उत्तराखंड के यशस्वी पत्रकार योगेंद्र सिंह भंडारी जी भी इस बीच चल बसे। सामाजिक संकट के इस दौर में यद्यपि 95 वर्ष की उम्र में और विशेषकर एक सामान्य अल्पकालीन बीमारी ने भंडारी जी को हम से दूर कर लिया। स्वर्गीय योगेंद्र सिंह भंडारी अनेक दशकों तक पौड़ी नगर से नवभारत टाइम्स और पीटीआई के संवाददाता रहे।
मैं कह सकता हूं कि हम पौड़ी के नवोदित पत्रकारों के लिए उस जमाने में भी गुरु द्रोणाचार्य से कम नहीं थे। किंतु भंडारी जी का व्यक्तित्व और उनका कृतित्व पौड़ी के विकास में उनकी सदैव याद दिलाता रहेगा। उनके बारे में पाठकों के समक्ष एक प्रसंग जरूर शेयर करना चाहूंगा। 1985 को जब अटल बिहारी बाजपेई पौड़ी आए तो मैंने पत्रकार वार्ता का संयोजन किया पत्रकार परिषद के सचिव के नाते और अटल बिहारी वाजपेई के साथ लगभग 45 मिनट तक कुछ वार्ता में भंडारी जी ने जिस तरीके से सवाल किए क्षेत्रीय से लेकर और अंतरराष्ट्रीय स्तर तक कई बार मैंने बाजपेई जी को विचलित हुए देखा। पत्रकार वार्ता की समाप्ति पर उन्होंने स्वयं कहा कि उन्हें अंदाजा नहीं था कि मुझसे स्थानीय स्तर से अंतरराष्ट्रीय सवाल भी पूछे जा सकेंगे। भंडारी जी के कंधे पर हाथ रखते मुझे और योगेंद्र सिंह भंडारी जी को कहा कि वास्तव में पहाड़ धन्य है।
नवंबर 1985 में इस वार्ता के दौरान मेरे साथ एडवोकेट विनोद नौटियाल, डॉ रमेश पोखरियाल निशंक, उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह सहित अनेक भाजपा के और संघ के कार्यकर्ता उपस्थित थे। बाजपेई जी ने श्री योगेंद्र सिंह भंडारी जी ने विशेषकर दोहरी नागरिकता के सवाल पर और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में उनकी चीन की यात्रा को लेकर जो अनेक सवाल किए, उनसे बाजपेई जी न केवल विचलित हुए वरन वाजपेई जी उनके व्यक्तित्व से भी बेहद प्रभावित हुए। योगेंद्र सिंह भंडारी जी के चले जाने से पौड़ी ने न केवल एक वरिष्ठ नागरिक को खोया है, बल्कि उनके चले जाने से पौड़ी के जीवंत इतिहास की एक परंपरा भी टूट गई है। हम सब की ओर से उनको शत.शत नमन।
डॉ योगेश धस्माना