फोटो- जोशीमठ-औली रोड पर जाम में फॅसे वाहन।
02–औली मे चियरलिफ्ट मे चढने के लिए लगी लंबी कतार व पास ही विचरण करते घोडे-खच्चर।
प्रकाश कपरूवाण
जोशीमठ। औली में बर्फबारी का लुत्फ उठाने पर्यटक तो बेहिसाब पहंुचे, जाम में भी फॅसे रहे लेकिन बर्फ का दीदार नहीं कर सके। 25दिसम्बर से 1 जनवरी तक यहाॅ पंहुचे पर्यटकांे को मायूस ही लौटना पडा। कुदरत इस बार औली पर मेहरबान नहीं रही।
इस बार कुदरत ने प्रकृति प्रेमी पर्यटकों को खूब छकाया। 25 दिसम्बर, वीकेंड व नए साल का जश्न मनाने के लिए विश्व विख्यात हिमक्रीडा केन्द्र औली में पर्यटकांे का तो जमवाडा लगा रहा, लेकिन बर्फबारी नहीं होने से पर्यटक बेहद मायूस दिखे। यूॅ तो 24 दिसम्बंर से 12जनवरी तक के लिए औली, जोशीमठ व आस-पास के क्षेत्रों मे होटल, रेस्टोरंेट, कोर्टेज, व टैण्ट कालानियों की फुल बुकिंग चल रही है, लेकिन 25दिसबंर से 1जनवरी तक औली पंहुचे पर्यटको को तो विन बर्फ के निराश ही होना पडा।
दरसअल गत वर्ष औली व जोशीमठ मे दिसबंर महीने के 12व 13तारीख को जमकर हिमपात हुआ था जो जनवरी के प्रथम सप्ताह तक पूरी तरह से जमा रहा। उस दौरान औली व जोशीमठ पंहुचे पर्यटको ने बर्फ का जमकर लुफ्त उठाया और औली की बर्फीली ढलानो से इस खूबसूरत शीतकालीन पर्यटन केन्द्र की अच्छी तस्वीर लेकर गए। इस बार भी असंख्य पर्यटको ने औली के गत वर्ष वाले नजारे को नजदीक से देखने का मन बनाया और एडवाॅस आॅन लाइन बुकिंग कर औली की ओर चल पडे। पर्यटक इतनी संख्या मे पंहुचे कि जोशीमठ-औली के बीच पर्यटको के वाहनो का ऐसा जाम लगा कि पुलिस को जाम से निजात दिलाने मे खासी मशक्कत करनी पडी।
जाम से निजात पाकर किसी तरह औली पंहुचे पर्यटको को तब निराशा हाथ लगी जब बर्फ से लकदक रहने वाले विश्व स्तरीय स्कीइंग ढलानो के आस-पास घोडे-खच्चर विचरण करते हुए दिखे। वास्तव मे इन दिनो चाॅदी के मानिंद चमकने वाली औली की बर्फीली वादियाॅ सूखे रेगिस्तान की तरह नजर आ रही है, और घोडे-खच्चरो का जमवाडा इतना कि औली पंहचे पर्यटको से बर्फ दिखाने के लिए गोरसों के जंगलो तक लाने-जाने का मोलभाव तय करते दिख सकते है। पर्यटक बर्फ से खेलने के बजाया घोडे-खच्चरो की सवारी करते हुए दिख रहे है।
दरसअल बर्फ को नजदीक से देखने का संपना संजोकर पर्यटक वर्षो से योजना बनाकर एक बार पंहुचता है, जब औली मे ही बर्फ नही दिखती तो पर्यटक भी सोचता है कि जब इतनी दूर आ ही गए तो बर्फ को नजदीक से छूने के लिए घोडे-खच्च्रो का सहारा लेना ही बेहतर है। घोडे-खच्चरो का ब्यवसाय करने वाले युवावों को भी इस बार पर्यटको ेस खूब लाभ मिला।
यू तो विश्व विख्यात हिमक्रीडा केन्द्र औली मे कृतिम बर्फ बनाने के लिए स्नो मेकिंग सिस्टम लगाया गया है लेकिन आज तक यह सिस्टम इतनी बर्फ नही जमा सका कि कृतिम बर्फ पर ही स्कीइंग प्रशिक्षण किया जा सके। हाॅलाकि जीएमवीएन द्वारा प्रतिवर्ष तापमान मिलने पर कृतिम बर्फ तैयार करने का दावा किया जाता रहा है। लेकिन इस कृतिम बर्फ पर स्कीइग प्रशिक्षण अथवा स्कीइंग की प्रतियोगिता का आयोजन हुआ हो ऐसा तो आज नही हो सका।
नए साल का जश्न निपटने के बाद अब मौसम मे कुछ बदलावा जरूर दिख रहा है। बादल भी छाए है लेकिन यह बर्फबारी मे कब तब्दील होगा इस पर भी प्रकृति प्रेमी पर्यटको व पर्यटन ब्यवसाय से जुडे लोगो की नजरे रहेगी।