

पातरनचैनियां और बगुवाबासा में रात्रि विश्राम की अनुमति मांगी
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- रूपकुंड में जहां.तहां बिखरे पड़े नर कंकाल जो आज भी दुनिया के लिए रहस्य बने हुए हैं।
- रूपकुंड ट्रैक पर पड़ने वाले मखमली बुग्याल।
- रूपकुंड की रोमांचकारी झील।
थराली से हरेंद्र बिष्ट।
बीते समय में देश.विदेश के ट्रैकरों की पसंदीदा पर्यटन स्थानों में सुमार रहस्मयी रूपकुंड में एक बार फिर से देशी.विदेशी यात्रियों की चहल-पहल बढ़ाने के लिए क्षेत्रीय जनता ने इस ट्रैक रूट के मध्य में स्थित पत्थीरीले बुग्याल बगुवाबासा एवं पातरनचौनियां में ट्रैकरों के रात्रि विश्राम की अनुमति देने की वन विभाग से मांग की है।
रूपकुंड पर्यटन विकास संघर्ष समिति लोहाजंग के अध्यक्ष इंद्र सिंह राणा ने बद्रीनाथ वन प्रभाग के उप वन संरक्षक गोपेश्वर को भेजे एक पत्र में कहा है कि उच्च न्यायालय नैनीताल ने बुग्यालों क्षेत्रों में रात्रि प्रवास पर पूरी तरह से रोक लगाई हुई है। इसी के तहत पिछले दो-तीन सालों से सहासिक यात्राओं में सुमार रूपकुंड की यात्रा पर देशी विदेशी पर्यटकों एवं सहासिक पद् यात्रियों का आवागमन लगभग पूरी तरह से बंद हो गया है। बताया है कि रूपकुंड आने-जाने में यात्रियों को कम.से.कम चार से पांच दिन लगते हैं। यात्रा बंद होने के कारण प्रति वर्ष करीब एक करोड़ से अधिक के राजस्व का नुकसान हो रहा है। पत्र में कहा गया है कि रूपकुंड यात्रा ट्रैक पर पातरनचौनियां एवं बगुवावासा दो ऐसे क्षेत्र हैं, जोकि बुग्यालों के बीच में तो स्थित हैं। किंतु ये दोनों स्थान मखमली बुग्यालों के बजाय पथरीलें क्षेत्र हैं। यहां पर रात्रि विश्राम की इजाजत दिए जाने से बुग्यालों को किसी भी तरह की क्षति नहीं पहुंच सकती है और हाईकोर्ट के आदेशों की भी अवहेलना नहीं होगी।
पत्र के माध्यम से डीएफओ से समिति के अध्यक्ष राणा ने बगुवावासा एवं पातरनचौनियां में रात्रि विश्राम करने की इजाजत दिए जाने एवं रात्रि विश्राम के लिए आवश्यक सुविधाएं मुहैया करवाने की मांग की है।












