मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत एवं आर्ट आफ लिविंग के गुरूदेव अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त योगाचार्य श्री श्री रविशंकर ने सोमवार को गंगा रिसोर्ट, ऋषिकेश में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में प्रतिभाग किया। उत्तराखण्ड पर्यटन विकास परिषद् एवं गढ़वाल मण्डल विकास निगम के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस सात दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के दूसरे दिन महोत्सव में पधारे आर्ट ऑफ लीविंग के गुरूदेव श्री श्री रविशंकर का स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त योगाचार्य श्री श्री रविशंकर की पूरे विश्व में पहचान हैं। उन्होंने दुनिया के अनेक अशांत देशों में जाकर शांति का संदेश दिया है। ऐसे देशों में शांति स्थापित होने के कई उदाहरण विद्यमान है। हाल ही में दिल्ली के दंगाग्रस्त क्षेत्रों में दंगा पीड़ितों के मध्य जाकर उन्होंने वहां शांति बहाली में योगदान दिया है।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि श्री श्री रविशंकर ने देश व दुनिया को योग से परिचित कराया है। जिस देश में वे जाते हैं वहां योग का वातावरण भी बनाते है। उन्होंने कहा कि योग में बड़ा आकर्षण है। हमारी भाषा नहीं समझने वाले देश भी इसके प्रति आकर्षित हो रहे हैं। इस प्रकार योग का आकर्षण उन्हें भारत से जोड़ने का भी कार्य कर रहा है। दुनिया को एक सूत्र में बांधने का भी कार्य योग कर रहा है। उन्होंने कहा कि हमें मन, कर्म एवं वचन से योग की साधना पर साधक की भांति ध्यान देना होगा।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि आज योग को दुनियां के अधिकतर देशों ने अपने दैनिक जीवन में उतार लिया है फिर भी वे योगा विद स्प्रिचुअलिटी की तलाश में देवभूमि उत्तराखण्ड आ रहे है। देवभूमि के योग शिक्षकों की कर्तव्य निष्ठा विश्व प्रसिद्ध है जिसका परिणाम है कि आज दुनियां के अधिकतर देशों में उत्तराखण्ड के योग शिक्षक योग की शिक्षा दे रहे है। उन्होने कहा कि योग लोगो को लोगो से जोड़ने, तनाव कम करने, रोग व द्वेश को तोड़ने और अपने-आप से जुड़ने का साधन है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने गंगा रिर्सोट परिसर में स्थापित मेडिटेशन एण्ड होलिस्टिक हेल्थ सेंटर का भी शुभारम्भ किया।
श्री श्री रविशंकर ने उपस्थित योग प्रेमियों एवं योगाचार्यो आदि को सम्बोधित करते हुए कहा कि दुनिया में योग का महत्व सबसे ज्यादा है। उत्तराखंड की देवभूमि से योग का संदेश विश्व में फैला है। योगियों का यह क्षेत्र अपना घर है, योग में मानव मन, शरीर और वातावरण को स्वस्थ बनाने की ताकत है। आज विश्व में 2 बिलियन लोग योग से जुड़े हैं। योग मात्र शारीरिक व्यायाम नहीं बल्कि जीवन दर्शन है, जो प्रकृति, संस्कृति एवं सम्पता से जुड़ने का भी माध्यम है। योग तनाव व अवसाद को कम करने के साथ ही खुशहाल और सामान्य जीवन जीने का भी माध्यम है। यह चुनौतियों का सामना करने में भी मदद करता है। उन्होंने कहा कि योग की भक्ति, कर्म एवं ज्ञानयोग आदि विद्याये हमारे जीवन का आनन्दित करती है। उन्होंने कहा कि गंगा का यह पावन क्षेत्र योग को बेहतर माहौल प्रदान करता है। उन्होंने सभी साधको से अपने जीवन में कम से कम 5 पौधे लगाने की अपेक्षा की। यह हमारा स्वच्छ देवभूमि को और स्वच्छ बनाने में बड़ा योगदान होगा।
श्री श्री रविशंकर ने दिल्ली से ऋषिकेश व देहरादून तथा चारधाम सड़क योजना के निर्माण कार्यों के साथ ही पर्यटकों व श्रद्धालुओं को बेहतर माहौल उपलब्ध कराने के लिए केंद्र व राज्य सरकार के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने केदारनाथ पुनर्निर्माण एवं बद्रीनाथ आदि क्षेत्रों के विकास हेतु किए जा रहे कार्यों के लिए मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र के प्रयासों की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि भारतवासियों के मन में गंगा व चारधाम के प्रति विशेष आस्था रहती है। गंगा की महिमा का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि गंगा नदी की पवित्रता और मान्यता दूरस्थ देश मंगोलिया की लोक कथाओं में भी शामिल है, जो कि गंगा नदी के महत्व को दर्शाता है। उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित योगाचार्यो एवं योगप्रेमियों को योग से सम्बन्धित क्रियाओं की भी जानकारी दी, तथा उनसे संवाद कर उनके प्रश्नों का भी उत्तर दिया।
इस अवसर पर पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने योग प्रमियों को योग के महत्व एवं योग महोत्सव मनाये जाने का उद्देश्य के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि योग जीवन में सुख, समृद्वि, शान्ति, खुशी और स्थिरता लाता है। इसलिए पूरी दुनिया योग को अपनाने लगी है। उन्होने कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड योगियों की तपोस्थली के रुप में जाना जाता है। जिसका कारण यहां का स्वच्छ वातावरण, शुद्व जल, रमणीक स्थल एवं शान्ति है। उन्होने कहा कि देश व दुनिया के विभन्नि देशों से लोग पर्यटक के रुप में यहां आते है और यहां की संस्कृति से प्रभावित होकर उसको अपना लेते है। उन्होने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी के विशेष प्रयासों से योग को विश्व में पहचान मिली और इसका परिणाम है कि विदेशी पर्यटकों का आवागम भी प्रदेश में बढ़ा है, जो उत्तराखण्ड में पर्यटन की अपार सम्भावनाओं को दर्शाता है।