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देहरादून। युवाओं को रोजगार दिलाने और राज्य सरकार की रोजगार नीति में खामियों के खिलाफ उत्तराखंड क्रांति दल ने आज गांधी पार्क से मार्च किया। राज्य सरकार पर युवाओं को दरकिनार करने का आरोप लगाया।
इस मौके पर मुख्यमंत्री को संबोधित एक ज्ञापन सौंपा गया। जिसमें कहा गया कि उत्तराखंड क्रान्ति दल का जन्म सन् 1979 में पृथक उत्तराखंड राज्य प्राप्ति के लिये हुआ। लंबे जनसंघर्षों एवं शहादतों के बदौलत राज्य प्राप्त किया। पृथक उत्तराखंड राज्य की मांग थी कि उत्तराखंड में रोजगार की उपलब्धता हो, सुनियोजित विकास एवम शिक्षा, स्वास्थ्य के क्षेत्र में राज्य के अंतिम व्यक्ति को लाभ मिले तथा पर्वतीय भूभाग से पलायन रुक सके। लेकिन राज्य के बने इन 20 वर्षो में ये सब सपने चकनाचूर हो गए हैं शिक्षा व स्वास्थ्य के क्षेत्र में आज भी समस्यायें जस की तस हैं। राज्य में रोजगार की उपलब्धता व ठोस रोजगार नीति के न बनने के कारण राज्य का नौजवान हताश हैं और दुगनी रफ़्तार से पलायन कर रहा है। राज्य के संसाधनों की लूट हो रखी है। सरकार रोजगार के नाम पर भ्रम का जाल फैलाकर नौजवानों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है। इसलिये उत्तराखंड क्रान्ति दल राज्य में बेरोजगारी के मुद्दे को लेकर मांग करती है-
- राज्य के बेरोजगार युवाओं के लिये रोजगार की ठोस व कारगर नीति बनायें।
- राज्य के सरकारी विभागों के रिक्त पदों पर समान शैक्षिक स्तर की सीधी भर्ती की जाय।तथा उपनल व पी०आर०डी० से सविंदा भर्ती पर अविलम्ब रोक लगे।
- राज्य की समूह ग की भर्ती को लोक सेवा आयोग की परिधि से तत्काल बाहर किया जाय तथा भर्ती प्रकिया के लिये मूलनिवास एवम सेवायोजन पंजीकरण अनिवार्य किया जाय।
- सरकारी विभागों में समान स्तर की शैक्षिक योग्यता वाले रिक्त पदों की भर्ती परीक्षाओं को एक साथ करायी जाय। शिक्षा विभाग में वर्तमान प्रवक्ता भर्ती प्रक्रिया पूर्व नियमावली.2015 के तहत किया जाय।
- विगत फोरेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा में हुई धांधली के मद्देनजर परीक्षा को तत्काल रद्द करते हुये नयी भर्ती प्रक्रिया की जायए तथा पूर्व में हुई सरकारी विभागों के लिये लोक सेवा आयोग की प्रतियोगी परीक्षा परिणाम घोषित किया जाय।
- संपूर्ण प्रदेश में स्वरोजगार के लिए 500000 बेरोजगारों को निशुल्क भूमि आवंटन की जाए देहरादून नगर निगम सहित सभी नगर निगम के अंतर्गत प्रस्तावित वेंडर जोनों की तरह प्रत्येक नगर निगमों व अन्य निकायों में वेंडर जोन खोले जाय।
दल मांग करता है कि वेंडर जोनों के लिये एक समान वेंडर नीति के अंतर्गत मूलनिवास की अनिवार्यता की जाय तथा राज्य के मूलनिवासियों को ही वेंडर लाइसेंस दिये।
7रू. राज्य सरकार प्रवासियों के लिये रोजगार उपलब्ध न करे सकने के कारण वाफिसी कर रहे है। जो कि शर्मनाक है।सरकार श्वेत पत्र जारी करे कि अभी तक कितने प्रवासियों को रोजगार दे पायी है किस मद के अंतर्गत दिया गया। तथा दल मांग करता है कि प्रवासियों को आत्म निर्भर भारत योजना के तहत रोजगार व स्वरोजगार उपलब्ध करवायें। - राज्य की अनुदानित कॉलेजों में अनुदान को यथावत बनाये रखे। पूर्व व्यवस्था के साथ कोई छेड़छाड़ न की जाय।
- राज्य आंदोलनकारियों की चिन्हीकरण प्रक्रिया में जांच उपरांत लंबित आवेदनों पर अविलम्ब उचित निर्णय लिया जाय।तथा क्षैतिज आरक्षण पूर्व की भांति लागू किया जाय।
- सरकार द्वारा घोषित उर्दू टीचर्स व अनुवादकों की भर्ती स्थानिय युवाओं की जाय।
इस अवसर पर दल पूर्व अध्यक्ष त्रिवेंद्र सिंह पंवार, बी०डी० रतूड़ी, केंद्रीय कार्यकारी अध्यक्ष ए पी जुयाल, केंद्रीय उपाध्यक्ष ओमी उनियाल लताफत हुसैन, अधिवक्ता एन के गुसाई, आनंद सिलमाना, देवेंद्र कंडवाल, देवी व्यास, महामंत्री जय प्रकाश उपाध्याय, बहादुर रावत, के एन डोभाल, प्रताप कुँवर, रेखा मिंया, प्रवक्ता सुनील ध्यानी, शांति भट्ट, देवेंद्र चमोली, राजेश्वरी रावत, प्रमिला रावत, राजेन्द्र बिष्ट, धर्मेंद्र कठैत, शिव प्रसाद सेमवाल, संजय संजय बहुगुणा, अशोक नेगी, किरन रावत कश्यप, नवीन भदुला, पीयूष सक्सेना, मिनाक्षी सिंह, दीपक रावत, राजेन्द्र प्रधान, सनी भट्ट, आशीष भट्ट, सुमन राणा, शकुंतला रावत, चंद्र सुंदरियाल, मिनांक्षी घिल्डियाल, समीर मुंडेपी, सोमेश बुडाकोटी, पंकज पैन्यूली, आशुतोष भंडारी, सीमा रावत, कमल कांत, वीरेश चौधरी, बृजमोहन सजवाण, श्याम सिंह रमोला, राकेश बिष्ट, अरुण पंवार, विनीत सकलानी, विद्या दत्त ध्यानी सहित सैकड़ों कार्यकर्ता थे।