रिपोर्ट-सत्यपाल नेगी/रुद्रप्रयाग
आखिरकार जनपद रुद्रप्रयाग में जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी को लेकर पिछले एक माह से चला ड्रामा समाप्त हो गया। आपको बताते चले कि जिले में कुल 18 जिला पंचायत सीटें हैं। जिसमें वर्तमान में भाजपा की अमरदेई शाह जिला पंचायत अध्यक्ष थी। सबसे हैरानी की बात यह भी सामने आई है कि जिले की दोनों विधानसभा सीटों पर बीजेपी के ही विधायक होते हुए भी जिला पंचायत की कुर्सी नहीं बचा सके .भाजपा की अंदरूनी एकता पर भी सवाल छोड़ गये।
वहीं जानकारों एवं वरिष्ठ कट्टर भाजपा सदस्यों की मानें तो यह पार्टी के लिए ज्यादा शर्मनाक बात हुई है कि बीजेपी केंद्र, राज्य, जिले में बहुमत के साथ होते हुए भी अध्यक्ष की कुर्सी नहीं बचा पाई। कुछ लोगों का कहना यह भी है कि वर्तमान में जिले के दोनों विधायक बेशक भाजपा के टिकट पर जीते हों, मगर उनकी पार्टी के प्रति मूल विचारधारा रही नहीं, वे कांग्रेस की विचारधारा से आये थे। जिससे कि संगठनात्मक पीड़ा उन्हें दिखी नहीं।
हालांकि आम जनता में अलग अलग तर्क सुनने को मिल रहे है। पर छवि भाजपा की ही धुमिल हुई है। अब आगे देखना होगा कि अगला जिला पंचायत अध्यक्ष कौन चुना जायेगा, बीजेपी से या कांग्रेस से?
वही निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष अमरदेई शाह ने वोटिंग से एक दिन पहले अपना इस्तीफ़ा जिलाधिकारी के माध्यम से सचिव पंचायत राज को सौंपा दिया था। उनका स्वास्थ्य भी कुछ समय से ठीक नहीं है। जिसे देखते उन्होंने इस्तीफ़ा दिया।
’रुद्रप्रयाग जिले के अस्तित्व में आने से तीन बार जिला पंचायत अध्यक्षों के खिलाफ अविश्वास आते रहे हैं। हालांकि सदस्य अपने अपने तर्क देते रहे हों, पर खेल सबका कुर्सी हथियाने तक का ही रहता है, जबकि आज तक किसी भी सदस्य ने अपने विकास कार्यों से लेकर निर्माण कार्यों में कमीशनखोरी व भ्र्ष्टाचार का विरोध नहीं किया। आखिर फायदे के इस नफा.नुकसान के गणित में, जनता को ही भुगतना पड़ता है। पिछले एक माह के पीक यात्रा काल में स्थानीय जनता को गाड़ियां तक नहीं मिल रही थी, जो गाड़िया मिली उन्होंने लोगों से डबल किराया बसूला, लेकिन तब सभी जनप्रतिनिधि आलीशन बंगलों की सैर करते दिखे।
बीते शनिवार को अपर जिला जज रुद्रप्रयाग/पीठासीन अधिकारी कंवर अमनिन्दर सिंह की उपस्थिति में जिला पंचायत के सभागार में अविश्वास प्रस्ताव की बैठक का समापन हो गया। इस दौरान कुल निर्वाचित 18 जिला पंचायत सदस्यों में से उपस्थित 14 सदस्यों द्वारा जिला पंचायत अध्यक्ष के विरुद्ध मतदान किया गया।
अविश्वास प्रस्ताव पर गहन चर्चा व विचार के पश्चात् अविश्वास प्रस्ताव पर हुए गोपनीय मतदान का परिणाम घोषित करते हुए पीठासीन अधिकारी ने अवगत कराया कि उत्तराखंड पंचायती राज अधिनियम 2016 की धारा.100 के अनुसार जिला पंचायत अध्यक्ष अमरदेई शाह के विरुद्ध प्राप्त अविश्वास प्रस्ताव जिला पंचायत के तत्कालीन निर्वाचित सदस्यों के कुल 18 में से न्यूनतम 2/3 अर्थात् 12 होने पर अविश्वास प्रस्ताव पारित समझा जाएगा। उन्होंने बताया कि कुल निर्वाचित सदस्यों में से आज उपस्थित 14 सदस्यों द्वारा किए गए गोपनीय मतदान के अनुसार अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में 14 मत डाले गए, जबकि अविश्वास के विरोध में शून्य मत डाले गए। उन्होंने बताया कि कुल उपस्थित 14 सदस्यों में अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में पड़े सभी 14 मत वैध पाए गए हैं।
’समाज का एक तबका यह भी कहता नजर आ रहा है कि गरीब व अनुसूचित परिवार की बेटी की बढ़ती लोकप्रियता से कई नेताओं की आगे की राजनीति पर फरक ना पड़े इसलिए बीजेपी के दिग्गजो ने भी अध्यक्ष की कुर्सी बचाने की पहल नहीं की।