जोशीमठ, चमोली। विष्णुगाढ़-पीपलकोटी जल विद्युत परियोजना 444 मेगावाट निर्माती कंपनी टीएचडीसी और हेंलग गाँव के कुछ ग्रामीण आमने सामने हैं। ग्रामीणों का कहना है कि हमारा राजस्व भूमि में सिविल का जंगल है, जिसे हम टीएचडीसी के लिए डंपिंग जोन के लिए नहीं दे रहे हैं। वही गांव के जनप्रतिनिधियों ने खेल मैदान के नाम से एक प्रार्थना पत्र नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क जोशीमठ को दिया था कि यहां पर 10 खड़ीक के पेड़ों को काटने की अनुमति दी जाए, इस प्रकरण में प्रभागीय वनाअधिकारी अधिकारी नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क के द्वारा 10 पेड़ों को छपाने की अनुमति दी गई है। वही ग्रामीणों का आरोप है कि कंपनी के द्वारा बिना छपान किए ही यहां अन्य प्रजाति के पेड़ों को काटा जा रहा है।
आज भी कंपनी के द्वारा अलकनंदा नदी के किनारे हेलंग में डंपिंग के लिए मलबा लाया जा रहा है। जब कंपनी यहां मलबा डालने लगी तो ग्रामीणों ने इसका जोरदार विरोध किया और वहां स्थल पर महिलाएं धरने पर बैठ गई और अधिकारियों के साथ नोकझोंक की वीडियो बनाकर वायरल कर दिया। स्थानीय निवासी मंदोदरी कहती है कि हम बेरोजगार हैं। दूध से हमारे आजीविका चलती है। इसी से हम अपना जीवन यापन करते हैं और हमारा घर भी यही है, अन्य जगह नहीं है। यदि यहां मकिंग डाला जाएगा तो वन क्षेत्र को नुकसान होगा। हमारे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। यहां मकिंग नहीं डाला जाना चाहिए।
टीएचडीसी के द्वारा पुलिस भी बुलाई गई थी स्थानीय ग्रामीणों ने जमकर विरोध किया और धरने पर जमे रहे। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि हर स्तर पर हम डंपिंग जोन का विरोध करेंगे। दूसरी तरफ जहां सरकार नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत गंगा स्वच्छता का अभियान चला रही है वही गंगा के किनारे पर डंपिंग जोन बनाए जा रहे हैं और स्थानीय ग्रामीणों के जंगलों को नुकसान पहुंचाए जा रहे हैं विरोध करने पर पुलिस का सहारा कंपनी ले रही है। घर में बैठने वालों में गोदावरी देवी शांति देवी मंदोदरी देवी लीला देवी आदि थे।
लक्ष्मण सिंह नेगी की रिपोर्ट