डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला दून विश्वविद्यालय, देहरादून, उत्तराखंड
कोलकाता में 21 फरवरी 1961 को अभिजीत का जन्म हुआ था। अभिजीत विनायक बनर्जी को बचपन से ही गरीबी परेशान करती थी। वे अपने अर्थशास्त्री पिता डा. दीपक बनर्जी और अर्थशास्त्री डा. निर्मला नोबेल फाउंडेशन द्वारा साल 2019 के लिए कुल 15 लोगों को अलग.अलग क्षेत्रों में नोबेल पुरस्कार दिया गया है। वर्तमान में अभिजीत बनर्जी मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी में प्रोफेसर हैं। वहां वे स्टूडेंट्स को अर्थशास्त्र पढ़ाते हैं। अगर उनकी शिक्षा की बात करें तो 1981 में बीएससी की डिग्री कोलकाता यूनिवर्सिटी से लेने के बाद उन्होंने 1983 में जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी से एमए की पढाई संपन्न की। उसके बाद अभिजीत बनर्जी ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी भी की। वह और उनकी पत्नी डफ्लो अब्दुल लतीफ जमील पॉवर्टी ऐक्शन लैब के सह.संस्थापक भी हैं। अभिजीत को किताबें पढ़ने व लिखने का बेहद शौक है। उन्होंने अर्थशास्त्र पर कई किताबें लिखी हैं। अभिजीत ने पूअर इकोनॉमिक्सः ए रेडिकल रीथीकिंग ऑफ द वे टू फाइट ग्लोबल पॉवर्टी नामक पुस्तक 2011 में लिखी थी, जसके कारण वे चर्चा में आए और उन्हें प्रसिद्धि हासिल हुई। बता दें कि वोलाटिलिटी एंड ग्रोथ के नाम से सन् 2005 में इनकी पहली किताब मार्केट में आई। उसके बाद उन्होंने कुल सात किताबें और लिखी हैं। इन सभी शख्सियतों को 10 दिसंबर को होने वाले समारोह में मेडल व पुरस्कार राशि से नवाजा जाएगा।
अभिजीत बनर्जी की, जिन्हें अर्थशास्त्र के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। भारतीय मूल के अभिजीत बनर्जी के साथ उनकी पत्नी एस्थर डफ्लो और माइकल क्रेमर को भी उस पुररस्कार से नवाजा जाएगा। बता दें कि ये पुररस्कार उनके द्वारा किए गए शोध वैश्विक गरीबी खत्म करने के प्रयोग के लिए दिया जाएगा। देहरादून के विवेकानंद स्कूल जोगीवाला के संस्थापक सदस्यों में से एक थीं गौरी मजूमदार कलकत्ता की गौरी मजूमदार ने वहां के साउथ पॉइंट स्कूल में इस साल अर्थशास्त्र के नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी को तब पढ़ाया था जब वे छोटे थे। एक इत्तफाक यह था कि वे अभिजीत बनर्जी की माँ की क्लासफैलो भी थीं। दूसरा इत्तफाक यह भी था कि गौरी मजूमदार के पति तापस मजूमदार भी अभिजीत बनर्जी भी जेएनयू में अभिजीत बनर्जी के प्रोफ़ेसर रहे थे। वर्ष 2015 में अभिजीत बनर्जी ने विवेकानंद स्कूल के दो छात्रों आर्यन थापा और अमन डबराल की पूरी पढ़ाई का खर्च उठाने का फैसला किया। उल्लेखनीय है कि अभिजीत बनर्जी के युवा बेटे कबीर की असामयिक मृत्यु हो गयी थी जिसकी स्मृति में एक संस्था गठित की थी, जो निर्धन विद्यार्थियों की सहायता करती रही है। अभिजीत बनर्जी आर्यन थापा ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा मैं उन्हें दिल से धन्यवाद कहता हूं कि उन्होंने हमें अपने स्कूल में पढ़ने के लिए नई राह दिखाई। साथ ही मैं उन्हें नोबेल पुरस्कार मिलने पर बधाई भी देता हूं। अमन डबराल ने अभिजीत बनर्जी को याद करते करते हुए कहा मैं वर्ष 2015 में उनसे इसी स्कूल में मिला था। जिस तरह वे हमारी हमेशा सहायता करते रहे हैं, उसके मैं हमेशा उनका ऋणी रहूँगा। ज्ञातव्य है कि अभिजीत बनर्जी को इस साल का पुरस्कार देते हुए नोबल समिति ने कहा था. प्रोफेसर अभिजीत बनर्जी का शोध विश्व स्तर पर गरीबी का निवारण करने की कोशिशों को मजबूत आधार देता है। पिछले दो दशकों में उनकी सोच, उनके नज़रिये ने विकास के अर्थशास्त्र को पूरी तरह से बदल दिया है। दुनिया में सत्तर करोड़ गरीब हैं। उनके अनुसन्धान एक्सपेरिमेंटल एप्रोच टु एलीवेटिंग ग्लोबल पावर्टी से समाधान के क्रियात्मक रास्ते खुले हैं। उनकी किताब पुअर इकोनॉमिक्स सिद्धांत, नीति, व्यवहार की कसौटी पर खरी उतरती है। जिसके 17 भाषाओँ में अनुवाद हो चुके हैं।
स्रोत-समाचार एजेंसी एएनआई