थराली से हरेंद्र बिष्ट।
आखिरकार वही हुआ जिस का सीमांत जिला चमोली की एक बड़ी जनसंख्या को डर था। गुरुवार की चमोली की मध्य स्थली में स्थापित उप जिला चिकित्सालय कर्णप्रयाग में पिछले पौने तीन दशक से अधिक लंबे समय से तैनात राज्य के वरिष्ठ सरकारी सर्जनों में सुमार डॉ राजीव शर्मा का स्थानांतरण यहां से अंयत्र जिले में कर दिया गया है। उनके स्थानांतरण की संभावनाओं को देखते हुए क्षेत्रीय लोगों के द्वारा लगातार पिछले सप्ताह से ही विरोध किया जा रहा है। बावजूद इसके उनका ट्रांसफर आदेश जारी होने के बाद विरोध की चिंगारी चुनावी मौसम में और तेजी के साथ भड़कने की संभावना बढ़ गई है।
चमोली जिले की मध्य स्थली कर्णप्रयाग के सरकारी अस्पताल में 1992 से डॉ राजीव शर्मा बतौर सर्जन इस जिले के 7 से अधिक ब्लाकों की जनता की सेवा कर रहे हैं। जबकि उनकी धर्मपत्नी डॉ उमा शर्मा भी यही पर 1994 से बतौर महिला चिकित्सक क्षेत्र की गरीब एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में पूरी तरह से असहाय लोगों की सेवा में जुटी हुई हैं। किंतु अचानक ही सर्जन डॉ राजीव शर्मा का कर्णप्रयाग से बतौर मुख्य चिकित्सा अधीक्षक उप जिला चिकित्सालय ऋषिकेश के लिए ट्रांसफर कर दिया गया है। यूं तो पिछले एक सप्ताह से अधिक समय से उनके ट्रांसफर की सुगबुगाहट तेज से फैल रही थी और इसी को देखते हुए उसके ट्रांसफर कर विरोध करते हुए क्षेत्रीय जनता ने आंदोलन शुरू भी कर दिया था।
यही नहीं बकायदा लोगों ने भाजपा को पूरे जिले में चुनाव के दौरान इसके गंभीर परिणाम भुगतने तक की चेतावनी दी है। इस संबंध में पिछले सप्ताह जिले के भ्रमण पर पहुंचे स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत को ज्ञापन सौंप कर डॉ शर्मा का किसी भी कीमत पर ट्रांसफर ना किए जाने की मांग की गई थी। जिस पर मंत्री ने जनभावनाओं का सम्मान करने का आश्वासन भी दिया था। बावजूद इसके गुरुवार को अचानक देर सायं स्वास्थ्य सचिव डॉ पंकज कुमार पाण्डेय के हस्ताक्षर से जारी आदेश से आसन्न विधानसभा चुनावों को दृष्टिगत बताते हुए ट्रांसफर आदेश जारी कर दिया गया है।
आदेश में साफतौर पर चुनावों की बात कही गई हैं और ट्रांसफर को जरूरी बताया गया है। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि अगर सर्जन डॉ शर्मा का एक ही स्थान अत्यंत ठहराया चुनावों को प्रभावित कर सकता है तो फिर उनकी धर्मपत्नी डॉ उमा शर्मा को भी कर्णप्रयाग में करीब 27 साल हो चुके हैं। ऐसे में उनका ट्रांसफर क्यों नहीं किया गया? इसके अलावा कहा जा रहा है कि पौने तीन दशक से अधिक समया अंतराल में क्या यहां पर लोक सभा एवं विधानसभा के चुनाव नही हूए ।याकि पहली बार विधानसभा के चुनाव हो रहे हैं। यें कुछ ऐसे प्रश्न हैं जिनका उत्तर राजनेताओं को जनता को देने ही होंगे।
अब जबकि डॉ शर्मा का ट्रांसफर आदेश आ ही चुका हैं।और ऐसी किसी संभावना को देखते हुए ही क्षेत्रीय जनता ने पहले से ही आंदोलन का बिगुल फूंका हुआ हैं तो अब क्या होगा यह तो आने वाले दिनों में ही पता लग पाएगाए किंतु यह तैय हैं कि डाक्टरों की कमी से जूझ रहे सीमांत चमोली जिले की गरीब जनता को अब या तों भगवान भरोसे ही अपना जीवन जीना पड़ेगाए या कि छोटे.छोटे रोगों एवं आपरेशनों के लिए भी मोटी.मोटी रकम खर्च कर बहारी क्षेत्रों के अस्पतालों के चक्कर काटने पर मजबूर होना पड़ेगा।
सीमांत जिले से एक साथ तीन डाक्टरों का किया ट्रांसफर, भेजा एक
जी हां जिस सूची के अनुसार ट्रांसफर किए गए हैं, उसके अनुसार डॉ शर्मा के अलावा प्रभारी अपर मुख्य चिकित्साधिकारी चमोली डॉ उमा रावत का टिहरी, प्रभारी अपर मुख्य चिकित्साधिकारी चमोली डॉ महेंद्र सिंह खाती का उत्तरकाशी ट्रांसफर किया गया है, जबकि यहां पर मात्र एक ही प्रभारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी अल्मोड़ा डॉ रमेश चंद्र पंय को प्रमुख परामर्शदाता फिजीशियन जिला चिकित्सालय गोपेश्वर भेजा गया है।