कमल बिष्ट।
कोटद्वार। स्थानीय मालवीय उद्यान में लोक संस्कृति की धरोहर मुनाल सांस्कृतिक मंच लखनऊ द्वारा लुप्त हो रही हिमालय की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण संवर्धन एवं विकास के लिए एकल नृत्य एवं सामूहिक नृत्य प्रस्तुत किये गये। दो दिवसीय चौंदकोट महोत्सव के द्वितीय दिवस 29 दिसंबर को देवभूमि कोटद्वार गढ़वाल के मालवीय उद्यान में मुनालश्री विक्रम बिष्ट के संयोजन व निर्देशन में संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सौजन्य से किया गया।
इस अवसर पर लोक संस्कृति के संरक्षण में प्रयासरत विभिन्न विद्वानों को मुख्य अतिथि वन मंत्री श्री हरक सिंह रावत ने अंग वस्त्र प्रतीक चिन्ह प्रमाण पत्र आदि देकर लोक गायिका शिवांगी घिल्डियाल को सम्मानित किया गया। अतिथियों का स्वागत फूल माला के स्थान पर पौधों द्वारा प्रकृति के पर्यावरण प्रदूषण रोकने हेतु कार्यक्रम संयोजक मुनालश्री विक्रम बिष्ट द्वारा पौधे अर्पित किये गये।
गढ़वाल की संस्कृति से जुड़े लोक गायन व नृत्य के आयोजन में प्रतिभागियों द्वारा गढ़वाली लोक नृत्य प्रस्तुत किए जिसमें नीतिका सिंह हर्षिता बिष्ट, गुंजन शाह, शिवानी शाह, विकास, काजल, साक्षी आदि ने प्रतियोगिता में भाग लिया। प्रतियोगिता के निर्णायक लोक गायक मणि भारती देहरादूनए प्रकाश गढ़वालीए कल्पना नेगी आदि रहे। इसके साथ ही आशु कला समिति सुमित्रा रावत के निर्देशन में गढ़वाल के पारंपरिक लोक नृत्य, चौफुला, धारमां, उरख्याली बो घसियारी हे दीदी हे भूली पथरोल, बादी बदिन, चाचरी, बाजूबंद, झूमेलो, जीजा साली आदि नृत्य को प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ.हरक सिंह रावत द्वारा सांस्कृतिक लोक कलाकारों को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर गायन में किया। नृत्य कलाकार मानव रावत, अनुषिका कुकरेती, अनामिका, काजोल सकलानी, शिवानी, रोबिन सुंद्रियाल, दिव्यांग, आकाश के साथ संगतकार में दीपक पंवार, दीपक पाल, जितेंद्र चौहान, आंचल चमोली, खुशी रावत आदि ने वाद्य यंत्रों से गायन व नृत्य में साथ दिया। इस अवसर पर सांस्कृतिक प्रभारी बसंत घिल्डियाल व चिंटू वर्मा ने सभी का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन तीलू रौतेली से सम्मानित वरिष्ठ कलाकार उद्घोषक सुश्री सुषमा ज़ख्मोला ने किया।












