—————– प्रकाश कपरुवाण।
ज्योतिर्मठ।
“औली”जिसे बुग्याल /चारागाह से विश्व स्तरीय स्कीइंग रिसोर्ट, विश्व स्तरीय हिल स्टेशन व विश्व स्तरीय पर्यटन केन्द्र के रूप मे विकसित करने का सपना तो दिखाया गया, लेकिन दो दशकों के बाद भी यह सपना हकीकत मे नहीं बदल सका, हालात ऐसे हैं कि औली की लाइफ लाइन जोशीमठ -औली रोप वे ढाई वर्षों से बन्द पड़ी है। समझा जा सकता है कि जब पर्यटन के जरिए राजस्व प्राप्ति के क्षेत्र ही उपेक्षित हैं तो भू धसाव प्रभावित जोशीमठ का भविष्य क्या होगा.?
औली जो आज भी राजस्व रिकॉर्ड मे चारागाह के रूप मे दर्ज है, जिसे हिमक्रीड़ा के लिए चयनित करते हुए बड़े बड़े सपने दिखाए गए लेकिन दो दशक बीतने के बाद भी औली स्वयं को विश्व स्तरीय बनने की राह देख रही है।
यूँ तो औली मे स्कीइंग की शुरुवात वर्ष 1986-87 मे तब हुई थी जब गढ़वाल मंडल विकास निगम के प्रबन्ध निदेशक दीपक सिंघल ने औली मे स्कीइंग कैम्प का शिलान्यास किया था और तभी से जीएमवीएन ने यहाँ स्कीइंग प्रशिक्षण कोर्स शुरू किए थे।
लेकिन औली को विश्व स्तरीय बनने के पंख तब लगे थे जब सैफ गेम्स के आयोजन के लिए औली प्रस्तावित हुआ और दर्जनों काश्तकारों की पुश्तेनी कृषि भूमि का अधिग्रहण कर लिया गया, सैफ गेम्स के लिए नाप भूमि के अलावा आसपास के बुग्याली क्षेत्र को रौंद कर स्कीइंग स्लोप बनाया गया जिस पर कृतिम बर्फ तैयार करने की मशीने “स्नोगन” लगाई गई जो आज तक स्कीइंग करने लायक बर्फ ही नहीं जमा सकी।
खैर यह तो औली के विकास का एक नमूना था, लेकिन इससे इतर इसी औली को स्विट्जरलेंड बनाने के भी दावे किए जाते रहे हैं, केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने उत्तराखंड विधानसभा चुनावों मे गोपेश्वर व कर्णप्रयाग की जनसभाओं मे औली को न केवल स्विट्जरलेंड की तर्ज पर विकसित करने बल्कि बजट का एलान भी कर डाला था, अब कमोवेश यही घोषणाएं गढ़वाल सांसद अनिल वलूनी द्वारा भी की गई है।
भारतीय जनता पार्टी के ज्योतिर्मठ नगर मंडल अध्यक्ष अमित सती ने केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को पत्र भेजकर औली को लेकर उनके द्वारा की गई घोषणाओं को धरातल पर उतारने का आग्रह किया है।
औली जिसे शीतकालीन पर्यटन केंद्र के रूप मे विकसित होना है, जिसके विकास के लिए कई मर्तबा घोषणाएं भी हो चुकी है और जो पर्यटन के माध्यम से सरकार के लिए राजस्व प्राप्ति का प्रमुख केन्द्र बन सकता है वही उपेक्षित है तो जोशीमठ भू धसाव आपदा पीड़ितों का भविष्य क्या होगा? समझा जा सकता है।
जोशीमठ आपदा प्रभावित दर्जनों परिवार अपने पुश्तेनी घरों को छोड़कर अपने ही नगर मे खानाबदोस जिन्दगी जीने को विवश हैं, ढाई वर्षो से उनकी भूमि व पुश्तेनी मकानों की मुआवजा राशि तक तय नहीं हो सकी है तो समझा जा सकता है कि प्रस्तावित सुरक्षात्मक कार्यों को को धरातल पर उतरने मे और कितने वर्ष लगेंगे।
जोशीमठ आपदा प्रभावितों के हकों के लिए तहसील स्तर से केन्द्र सरकार की चौखट तक पैरवी कर चुके मूल निवासी स्वाभिमान संगठन ने पुनः जिलाधिकारी चमोली को पत्र भेजकर भू धसाव प्रभावित क्षेत्रों मे प्रस्तावित सुरक्षात्मक कार्यों को लेकर उत्पन्न शंकाओं का तकनीकी विशेषज्ञों के माध्यम से यथाशीघ्र समाधान किए जाने की अपेक्षा की है।
अब देखना होगा कि औली को विश्व स्तरीय पर्यटन केन्द्र बनाने का सपना और भू धसाव आपदा प्रभावित जोशीमठ का ट्रीटमेंट कार्य कब तक धरातल पर उतर पाएंगे इस पर पर्यटन व्यवसाइयों एवं भू धसाव प्रभावितों की नजरें रहेंगी।।