बैसाखी के पूर्व से पिंडर घाटी के विभिन्न क्षेत्रों के मंदिरों में आयोजित होने वाले मेलों का शुभारंभ आज दक्षिण कालिंका मंदिर कुलसारी एवं नारायणबगड़ के पंती में स्थित मीगेश्वर महादेव मंदिर में आयोजित मेलों के साथ ही शुरू हो गया हैं।
पिंडर घाटी में वैशाखी के पर्व से अलग-अलग गांवों, कस्बों के अलग-अलग देवी देवताओं के मंदिरों में एक सप्ताह तक लगने वाले मेलों का बुधवार से कुलसारी एवं मींग के मंदिरों में पूजा-अर्चना के साथ ही पिंडर नदी में अपने-अपने गांवों की कुलदेवी व देवताओं के प्रतीक चिन्हों को स्नान करने के साथ ही शुरू हुआ और देर सांय तक दोनों ही कस्बों में मेलों का आयोजन किया गया।
मेलों के तहत आज माल गांव के मलयाल देवता,भटियाणा गांव से मां कुंवारी के साथ ही अन्य गांव के श्रद्वालु अपने-अपने देवी-देवताओं के प्रतिक निशानों के साथ ही ढोल नगाड़ों के साथ नाचने गाते कुलसारी पहुंचे जहां पर पिंडर नदी में स्नान के बाद देव प्रतीक कुलसारी स्थित दक्षिण कालिंका एवं सूर्य मंदिर में एकत्रित हुए।
जहां पर एक दूसरे से भेंट करने लगे। इस दौरान कई लोगों पर देवी-देवताओं के पश्वा अवतार हुए।जो देर तक नाचते हुए श्रद्धालुओं को आर्शीवाद देते रहे। इसी तरह से नारायणबगड़ के पंती में मीगेश्वर महादेव, मालेश्वर महादेव, कोबेश्वर महादेव की डोली व निशानों के साथ ही नीलाड़ी की कालिंगा की डोली व निशान का पंती में मिलन हुआ इसके बाद देव डोलियां एवं निशानों को पिंडर नदी में स्नान करने के बाद पंती मंदिर में पूजा-अर्चना की गई। यहां पर भी भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने शिरकत की।पूरे देश एवं प्रदेश में पिछले कुछ दिनों से कोरोना प्रकोप के फिर से एक बार तेजी पकड़ने का इन दोनों ही मेलों पर अधिक प्रभाव नही दिखा।
हालांकि काफी लोग मास्कों को पहने घूमते दिखाई दिए। कल अर्थात 15 अप्रैल को माल में मालेश्वर महादेव, मीगेश्वर महादेव के मेले का आयोजन किया जाएगा। 16 को कोब में कोबेश्वर महादेव व खनोली मेला का आयोजन होगा। 17 को असेड सिमली में मृत्युंजय महादेव, 18 को मलयाल थोक में मलीयाल दानू व हंसकोटी मेले का आयोजन होगा। वही 29 अप्रैल को पूर्णिमा के दिन भटियाणा में मां कुंवारी मेले के आयोजन के साथ ही इस साल के बैसाखी मेलों का समापन हो जाएगा। पिछले वर्ष इन मेलों का कोराना के चलते आयोजन नही हो पाया था।