डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
प्रचलित नाम ब्राह्मी, जल.ब्राह्मी अंग्रेजी नामः थाईम.लिव्ड ग्रेटिओला दुनिया में ऐसे ढेरों प्रकार के पौधों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनका इस्तेमाल रोगों के इलाज के लिए दवा के रूप में किया जाता है। इन्ही में से ब्राह्मी का पौधा भी एक ऐसा ही आयुर्वेदिक पौधा है, जिसे आयुर्वेद ग्रंथ में एक उत्तम औषधि के रूप में जाना जाता है। यह पौधा मिट्टी की सतह पर फ़ैल कर बड़ा होता है। इसकी पत्तियां कोमल, मुलायम एवं गूदेदार होती हैं वहीँ इसके फूल सफेद होते हैं। ब्राह्मी के पौधे का वानस्पतिक नाम बाकोपा मोनिएरी है। इसमें कईं गुण मौजूद होते हैं जो सेहत के लिए वरदान साबित होते हैं यह नम स्थानों पर तेजी से फैलने वाला मुलायम एवं जमीन पर रेंगने वाला छोटा पौधा है। इसके तने की गाँठों से अनेक शाखाएं निकलती हैं और पत्तियां छोटी.छोटी, अंडाकार, मांसल, एक दूसरे के विपरित तने से लगी होती हैं। इस पौधे से पूरे वर्ष हल्का नीलापन या गुलाबी रंग लिए सफेद फूल निकलते हैं। ब्राह्मी का पौधा गीली, नम या दलदली मैदानी क्षेत्रों में पाया जाता है। भारत में ब्राह्मी की लगभग 20 तरह की प्रजातियाँ हैं जिनमे से केवल 3 ही उत्तम हैं। यह वार्षिक शाक है जो धीरे धीरे मिट्टी पर बड़ी होती है और फैलती है। इसके पौधे की गांठों से शाखाएं निकलती हैं और पत्तियां गूदेदार, अवृन्त तने पर एक दूसरे के विपरीत व्यवस्थित और आकार में अण्डाकार होती हैं। इस पौधे के फूल अंडाकार आकृति के होते हैं जोकि दिसंबर से मई महीने तक निकलते हैं।
उपयोगी अंग ताजा या सुखाया हुआ सम्पूर्ण पौधा मुख्य रासायनिक घटक पौधे से सेपोनिन्स मोनियरिन, हरसेपोनिन तथा बेकोसाइड्स प्राप्त होते हैं। औषधीय गुण एवं उपयोग इस पौधे का उपयोग मानसिक रोगों यथा मिर्गी, पागलपन तथा मन्द.बुद्घि के उपचार में किया जाता है। यह कफ एवं वात का शमन करने, स्मृति एवं बुद्घि का विकास करने, आयु एवं बलवर्धक, त्वचा रोगों एवं ज्वर आदि में लाभकारी है। पौधों से प्राप्त बैकोसाइड्स नामक रासायनिक घटक में शोधोपरान्त स्मृति एवं बुद्घिवर्धक गुण पाया गया है। ब्राह्मी का पौधा हमारे इम्यून सिस्टम को दरुस्त रख कर प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करते हैं। इसमें मौजूद एंटी ऑक्सीडेंट और अन्य पौषक तत्व शरीर को बिमारियों से लड़ने के योग्य बनाते हैं। इसके लिए ब्राह्मी के पत्तों को चाय में मिला कर नियमित रूप से पीएं गोरखपुर के अविनाश बताते हैं कि ब्राह्मी एक ऐसी फसल है जिसे कम देखरेख की जरूरत होती है। 4 महीने बाद उनके खेत में जब फसल तैयार हुई तो 7 क्विंटल ब्राह्मी का उत्पादन हुआ और उन्होंने इसे 3000 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से बेच दियाण् इस तरह चार महीने के अंदर उन्हें 18 हजार रुपये की आमदनी हुईण् इतनी आमदनी उन्हें परंपरागत खेती से तो कतई नहीं हो सकती एक आकलन के मुताबिक, देश में हर्बल उत्पादों का बाजार करीब 50,000 करोड़ रुपये का है, जिसमें सालाना 15 फीसदी की दर से वृद्धि हो रही है। जड़ी.बूटी और सुगंधित पौधों के लिए प्रति एकड़ बुआई का रकबा अभी भी इसके मुकाबले काफी कम है। हालांकि यह सालाना 10 फीसदी की दर से बढ़ रहा है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, देश में कुल 1,058.1 लाख हेक्टेयर में फसलों की खेती होती है। इनमें सिर्फ 6.34 लाख हेक्टेयर में जड़ी.बूटी और सुगंधित पौधे लगाए जाते हैं।