थराली से हरेंद्र बिष्ट।
राजकीय महाविद्यालय तलवाड़ी में कुमाऊं विश्वविद्यालय के सहयोग से आयोजित वेबिनार में वनस्पति वैज्ञानिकों ने जलवायु परिवर्तन का स्थानीय वनस्पतियों पर पड़ रहे दुष्प्रभाव पर चर्चा करते हुए कहा कि परिवर्तन का स्थानीय वनस्पतियों पर काफी अधिक प्रभाव पड़ रहा है। इसी के अनुरूप वनस्पतियों को विकसित करने पर बल दिया गया।
महाविद्यालय तलवाड़ी में जलवायु परिवर्तन का हिमालय क्षेत्र की वनस्पतियों में असर नामक शीर्षक पर आयोजित एक दिवसीय वेबिनार में कुमाऊं विवि के डीएसबी कैंपस नैनीताल के वनस्पति विभाग के विषय विशेषज्ञ प्रो एससी सती ने कहा कि बदलते मौसम का हिमालयी क्षेत्र की वनस्पतियों पर काफी अधिक प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि बदलते मौसम के अनुरूप ही वनस्पतियों को संरक्षण देने की जरूरत होगी। इस मौके पर नैनीताल कैंपस के ही भूगोल विभाग के विशेषज्ञ प्रो पीसी तिवारी ने कहा कि जलवायु परिवर्तन का हमारे वनस्पतियों पर ही नहीं बल्कि हमारे भूगोल पर भी प्रभाव पड़ रहा है। जल संचयन एवं संरक्षण की परिस्थितियों पर भी बड़ा प्रभाव पड़ रहा है।
इस मौके पर गोविंद बल्लभ संस्थान कोसी कटारमल अल्मोड़ा के वैज्ञानिक डॉ जीसीएस नेगी ने जलवायु परिवर्तन का पारिस्थितिकी तंत्र पर पड़ रहे प्रभाव पर चर्चा करते हुए कहा कि इस पर और अधिक शोध करने की आवश्यकता हैं।इस अवसर पर तलवाड़ी महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ वाईसी सिंह ने वेबिनार में अतिथियों एवं विषय विशेषज्ञों का स्वागत करते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन पर विशेषज्ञों के द्वारा लगातार शोध किया जाना चाहिए, जिसका लाभ आम लोगों को मिल सकता है। इस मौके पर तलवाड़ी महाविद्यालय की डॉ प्रतिभा आर्य, डॉ नीतू पांडे, डॉ कुलदीप जोशी, डॉ रजनीश कुमार ने विचार व्यक्त किए।इस मौके पर उच्च शिक्षा निदेशक प्रो पीके पाठक ने इस वेबिनार के सफल आयोजन पर तलवाड़ी महाविद्यालय की सराहना की। इस वेबिनार में 182 प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया।