डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
उत्तराखंड पर अगस्त और सितंबर का महीना काफी भारी रहा था. प्रदेश को आपदा के चलते करीब पांच हजार करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हुआ था. आपदा में हुए नुकसान का जायजा लेने के लिए प्रधानमंत्री भी उत्तराखंड आए थे. तब तात्कालिक राहत पैकेज के रूप में पीएम ने उत्तराखंड के लिए 1200 करोड़ रुपए देने की घोषणा की थी, लेकिन उसमें से अभी तक उत्तराखंड को एक रुपया भी नहीं मिला.दरअसल, इस धनराशि को लेने के लिए उत्तराखंड आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से पोस्ट डिजास्टर नीड असेसमेंट भी कराया गया, जिसकी रिपोर्ट अभी तक तैयार नहीं हो पाई है. इसी वजह से प्रदेश के पीएम मोदी की घोषणा किए गए राहत पैकेज में से एक रुपया भी नहीं मिला है. उत्तराखंड के लिए ये मानसून सीजन काफी जख्म भरा रहा है. उत्तरकाशी का धराली व हर्षिल हो या फिर चमोली का थराली, हर जगह इस साल बारिश ने जमकर कहर बरपाया था. राजधानी देहरादून भी इस बार आपदा की मार से अछूती नहीं थी. पौड़ी, रुद्रप्रयाग और उधम सिंह नगर को कुदरत के कहर का सामना करना पड़ा था. प्रदेश के तमाम हिस्सों में कुदरत के कहर से हुए नुकसान का आपदा प्रबंधन विभाग ने आंकलन किया था. आपदा प्रबंधन विभाग ने करीब 5702.15 करोड़ रुपए का मेमोरेंडम तैयार कर भारत सरकार को भेजा था, लेकिन उत्तराखंड दौरे के दौरान पीएम ने प्रदेश को 1200 रुपए का राहत पैकेज देने की घोषणा की थी. आपदा प्रबंधन सचिव ने कहा कि पोस्ट डिजास्टर नीड असेसमेंट के लिए गठित टीम ने सभी क्षेत्रों का भ्रमण कर लिया है. साथ ही डाटा भी एकत्र कर लिया है. पीडीएनए की काफी बड़ी रिपोर्ट है, जिसके चलते एक्सपर्ट्स के जरिए तमाम इनपुट दिए गए हैं, जिसे कंपाइल किया जा रहा है. ऐसे में पीडीएनए की रिपोर्ट तैयार होने में समय लगने की संभावना है. राज्य में पहले भी किसी घटना विशेष के लिए ही पीडीएनए जरूर कराया जाता है, लेकिन आपदा प्रबंधन विभाग ने पहली बार खुद से पीडीएनए किया है, जिसमें केंद्रीय एजेंसी का सहयोग मिला है. यही वजह है कि पूरी रिपोर्ट तैयार करने में देरी हो रही है, क्योंकि राज्य को पहले इस तरह का अनुभव नहीं था. ऐसे में बहुत जल्द ही पीडीएनए की रिपोर्ट को भारत सरकार को सौंपा जाएगा. इस मानसून सीजन में उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में धराली, हर्षिल, चमोली में थराली, रुद्रप्रयाग में जखोली, बसुकेदार, बागेश्वर में कपकोट, पौड़ी में सैंजी जैसे राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में भारी बारिश, बादल फटने, बाढ़, भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं से भारी तबाही हुई है। ताजा आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष एक अप्रैल से अब तक प्रदेश में प्राकृतिक आपदाओं में 81 व्यक्तियों की मौत हो चुकी है जबकि 94 अन्य लापता हैं । इन आपदाओं में 80 लोग घायल भी हुए हैं। धराली में तबाही से लेकर थराली, पौड़ी, टिहरी, पिथौरागढ़, हरिद्वार, देहरादून, चमोली तक हुई विनाशकारी बारिश और भूस्खलन की घटनाओं ने राज्य को झकझोर कर रख दिया है। कई बार लोगों के जहन में 2013 जैसी भयानक त्रासदी की यादें तक ताज़ा हो गई, पर इस बार एक फर्क साफ़ दिखा “तैयारी, शीघ्र प्रतिक्रिया और नेतृत्व की मौजूदगी”! पैकेज की मात्रा केंद्रीय टीम द्वारा मूल्यांकन किए जाने के बाद तय की जाएगी।”।।केंद्र सरकार ने आश्वासन दिया कि उत्तराखंड में बाढ़ प्रभावित इलाकों की स्थिति सामान्य करने के लिए राज्य को हर संभव मदद दी जाएगी। बुनियादी ढांचे के पुनर्निर्माण, सड़क और संचार व्यवस्था की बहाली तथा लोगों के पुनर्वास के लिए व्यापक पैमाने पर सहयोग सुनिश्चित किया जाएगा, ताकि आपदा से प्रभावित परिवार जल्द ही सामान्य जीवन की ओर लौट सकें।वादा अगर वफ़ा हो जाएगीतो फिर वो वादा ही कहाँ। माशूक़ हमेशा वादा ख़िलाफ़ होता है, धोके बाज़ होता है जिसमें तमाम विभागों को हुए नुकसान के अलावा आपदा पीड़ितों के जख्मों पर मरहम लग सके. *लेखक विज्ञान व तकनीकी विषयों के जानकार दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं*











