फोटो–प्रकृति की अनमोल धरोहर डयाली सेरा का मनोहारी दृश्य।
प्रकाश कपरूवाण
जोशीमठ। सरकारों की नजरों से ही अछुूता रह गया प्रसिद्ध पर्यटन व ट्रैकिंग स्थल ’’डयाली सेरा’’ट्रैकिंग के साथ ही धार्मिक मान्यताओं का केन्द्र भी यह क्षेत्र। नैसर्गिक सुदंरता के बीच ताल-झीलें भी विद्यमान है यहाॅ।
शीतकालीन पर्यटन, स्कीइंग, ग्रीष्मकालीन ट्रैकिंग व पर्वतारोहण जैसे साहसिक क्रियाकलापों के लिए विख्यात सीमावर्ती क्षेत्र जोशीमठ के कई महत्वपूर्ण पर्यटन व ट्रैकिंग स्थल पर्यटन प्रदेश की सरकारों की नजरों से अछूते ही रह गए। जिनमें एक है खूबसूरत ट्रैकिंग व पर्यटन स्थल ’’डयाली सेरा’’। करीब 14 हजार फीट की ऊॅचाई पर स्थित डयाली सेरा नामक रमणीक बुग्याल अक्सर प्रकृति प्रेमी पर्यटकांे को बरबस अपनी ओर खींच लाता है। जोशीमठ-नीता मोटर मार्ग के ढाक-कुंडीखोला व करछो, तुगासी, रायगढी व करछी गाॅवांे के ठीक ऊपर इस बुग्याल में प्रतिवर्ष ग्रीष्मकाल व शीतकाल मे प्रकृति प्रेमी पर्यटकों का आवागमन बना रहता है। पर्यटकों व यायावरों की बढती आमद को देखते हुए इन गाॅवों के युवाओं ने अपने-अपने गाॅवों व आस-पास होमस्टे योजना शुरू की और प्रकृति प्रेमी पर्यटकांे को इस ओर आकर्षित करने का भरसर प्रयास किया। नतीजन युवाओं की मेहनत रंग लाई और इस वर्ष विश्व विख्यात हिमक्रीडा केन्द्र औली के साथ ही इन क्षेत्रों मे भी पर्यटकों की बेहताशा आवाजाही रही। आवागमन के सुलभ संसाधन नहीं होने के कारण कई उम्रदराज पर्यटक चाहते हुए डयाली सेरा की वदियों का दीदार नहीं कर पाते। हाॅलाकि ग्रीष्मकाल के दौरान ट्रैकिंग के शौकीन पर्यटक बडी संख्या में डयाली सेरा पंहुचकर प्रकृति की मनोहारी छठां को नजदीक से देखकर आंनंदित हो उठते हैं
नैसर्गिक सुदरंता से भरपूर डयाली सेरा बुग्याल के आस-पास ही बोडताल व भीमताल नाम की दो पा्रकृतिक झीले भी विद्यमान है, और क्वाॅरी पास ट्रैक का उपयुक्त मार्ग भी यही से होकर गुजरता हैं। यह क्षेत्र न केवल पर्यटन व ट्रैकिंग गतिविधियों के लिए ब्लकि धार्मिक मान्यताओं के लिए भी जाना जाता है। मान्यता है कि 14हजार फीट की ऊॅचाई पर जहाॅ खेती करना मुश्किल ही नही नामुमकिन है,वहाॅ आज भी धान की खेती होती है। और इसे कोई ग्रामवासी नही करते। माना जाता है कि वन देवियाॅ ही यहाॅ धान की खेती करती है और भगवान को इसका भोग भी चढाती हैं। आज भी यहाॅ धान की ख्ेाती देखी जा सकती है।
प्रकृति की अनमोल धरोहर को संजोए यह खूबसूरत क्षेत्र आज भी प्रकृति प्रेमी अंसख्य पर्यटकों की पंहुच से कोसो दूर है, जिसका प्रमुख कारण प्रर्यटन प्रदेश की सरकारो की उपेक्षा ही है। इस क्षेत्र मे बढती पर्यटन गतिविधियों व पर्यटन के माध्यम से लोगो को अधिक से अधिक रोजगार मिल सके। इसके लिए भाजपा के पूर्व मंडल अध्यक्ष कैप्टन मदन सिंहं फरस्वांण ने बीते नंवबर महीने मे बदरीनाथ पंहुचे सूबे के मुख्य मंत्री त्रिवेन्द्र रावत को ज्ञापन देकर रमणीक पर्यटक स्थलों डयाली सेरा,बोडताल, भीमताल व क्वांरी पांस तथा पांगर चूली ट्रैक आदि की विस्तार से जानकारी देते हुए इस क्षेत्र को रज्जुमार्ग से जोडने का आग्रह किया। नंवबंर महीने मे दिए गए ज्ञापन को स्मरण के लिए पुन मुख्य मंत्री कार्यालय को प्रेषित किया गया है।
वास्तव मे यदि सीमांन्त क्षेत्र जोशीमठ के इन रमणीक स्थलों तक पंहुचने का मार्ग सुलभ हो तो निश्चित ही इस क्षेत्र मे वर्षभर पर्यटकों का आवागमन बना रहेगा और गाॅव पलायन होने से भी बचेगे। सरकार को चाहिए कि इन क्षेत्रों तक पंहुचने के लिए संपर्क मार्गो का विस्तार करे ताकि युवा सरकारी नौकरी की आस छोड स्वरोजगार अपना कर अपना जीवन यापन बेहतरी से कर सके।
भाजपा के स्थानीय पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओ की डयाली सेरा, बोडताल आदि क्षेत्रो के पर्यटन विकास के अनुनय-विनय पर सरकार कितना और कब तक ध्यान आकर्षित करेगी इस पर पैनंखडा जोशीमठ के निवासियों के साथ ही पर्यटन के माध्यम से स्वरोजगार अपनाकर बेहतर भविष्य तरासने की उम्मीद पाले युवावों की भी नजरें रहेंगी।