फोटो-आठवें दिन टनल से शवो को निकलना हुआ शुरू ।
प्रकाश कपरूवाण
जोशीमठ। मौत की सुरंग से शवांे का निकलना शुरू हो गया। रैणी व तपोवन में अब तक 11 शव निकाले जा चुके हैं।
सात फरवरी की आपदा के बाद अब आठवें दिन तपोवन सुरंग से शवांे का निकलना शुरू हो गया है। हालांकि अभी उस टी-प्वांइट तक नहीं पहंुचा जा सका है, जहाॅ कई दिनांे से 35लोगांे के फंसे होने का बात की जा रही है।
एनटीपीसी द्वारा निर्माणाधीन 520मेगावाट की तपोवन-विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना के वैराज साइट तपोवन की टनल से अब शवों के निकलने को सिलसिला शुरू हो गया है। घटना के आठवें दिन अब तक 11शव निकाले जा चुके हैं जबकि एक शव रूद्रप्रयाग में भी मिलने की खबर है।
टनल के अंदर टी-प्वाइंट तक पंहुचने के लिए अभी जददोजहद जारी है। अभी तक सुरंग के अंदर करीब 155 मीटर तक मलबा हटा लिया गया है। पिछले सात दिनांे से यही कहा जा रहा है कि टनल के 180मीटर पर जहॅा टी-प्वाइंट है वही पर उस दिन 35लोग कार्य कर रहे थे। लेकिन अभी भी टी-प्वांइट पर नही पहंुच सके हैं। इससे स्पष्ट है कि अभी जिन लोगांे के शव मिल रहे हैं, वे जलजले के बाद जान बचाने के लिए सुरंग की ओर भागे और जलजला उनका पीछा करते हुए उनको दफन करता रहा। अब तो जो शव मिल रहे हैं उनमें कोई टनल के अंदर 110 मीटर पर कोई 120मीटर पर मिल रहे हैं, जबकि टी-प्वाइंट 180 मीटर पर उस दिन 35 लोगांे की मौजूदगी बताई जा रही है, जहाॅ पहंुचने के लिए अभी भी कार्य चल रहा है।
सेना, एनडीआरएफ,आईटीबीपी व एसडीआरएफ की राहत टीमों के साथ एनटीपीसी व उसकी सहायक कंपनी ऋत्विक व एचसीसी के लोग टनल में राहत कर्मियो का मार्गदर्शन कर रहे हैं। घटना के आठवें दिन 6 शव रैणी के दलदल में मिले जबकि तपोवन टनल से 5 शव अब तक निकाले जा चुके हैं।
अब दोनांे स्थानों में राहत कार्यांे में तेजी दिखाई दे रही है। तपोवन वैराज साइट पर परिजनों को खो चुके पीडितों ने जहाॅ नारेबाजी की तथा राज्यपाल से भेंट कर उनके लोगों की ढूॅड-खोज जल्द से जल्द कराने की मांग की थी वही रैणी साइट पर पंजाब, हिमांचल, उत्तर प्रदेश व जम्मू-कश्मीर से पहंुचे परिजनांे ने धरना-पदर्शन तक किया था। बाहरी प्रदेशांे से आए परिजनों का धरना-प्रदर्शन रंग लाया और जहाॅ पाॅचवे दिन दिन तक एक भी शव नहीं मिल रहा था, वही आठवें दिन पंहुचते-पंहुचते 6 शव मिल गए।
लेकिन यह दुर्भाग्य ही है कि अपनों को गवां चुके परिजनांे को शव की तलाश के लिए सडक पर धरना देने को विवश होना पडा। इससे राज्य की छवि भी धूमिल ही हुई है। बहरहाल शवों के मिलने के बाद परिजनों का ढाॅडस बॅधा हुआ हैं। और अब वे राहत कार्यो के प्रति संतुष्ट नजर आ रहे हैं।