देहरादून। उत्तराखंड में सामान्य तौर पर तस्करी से आने वाली चंडीगढ़ की शराब का प्रभाव रहता है, लेकिन चुनाव के इस मौके पर चारों तरफ से शराब की बाढ़ राज्य में आ गई है। इस दौरान प्रशासन द्वारा बनाई गई टीमें और आबकारी विभाग के छापामार दल लगातार शराब पकड़ रहे हैं। लेकिन माना जा रहा है कि शराब जितनी पकड़ी जा रही है, उससे कहीं अधिक लोगों तक पहुंच रही है। इतना ही नहीं शराब तस्करी में महिलाओं को भी झौंका जा रहा है।
चुनाव के इस दौर में आए दिन शराब पकड़ी जाने की खबरें आ रही हैं। पकड़ी जाने वाली शराब में अंग्रेजी है तो देशी भी है। यहां तक कि कच्ची शराब बनाने वालों के लिए यह कमाने का अच्छा अवसर बन रहा है। चंडीगढ़ ब्रांड की शराब उत्तराखंड में हमेशा तस्करी के जरिये आती रही है। लेकिन चुनाव की वजह से इसकी आमद बहुत तेजी से बड़ गई है।
रोज शराब पकड़ने की खबरें आ रही हैं। इस पकड़ी जाने वाली शराब में सभी तक के ब्रांड और गैरब्रांड शामिल हैं। लेकिन जानकारों का कहना है कि जितनी शराब पकड़ी जा रही है, उससे कहीं अधिक लोगों तक पहुंच रही है। क्योंकि शराब का उपयोग सभी प्रत्याशी करते हैं। उनके अपने लिंक होते हैं, वे सभी प्रशासनिक बाधओं को भेदना अच्छी तरह से जानते हैं। क्योंकि शराब के बिना चुनाव संभव ही नहीं हैं। हर प्रत्याशी शराब पिलाता है। अपने कार्यकर्ताओं के अलावा मतदाताओं को लुभाने के लिए शराब संजीवनी की तरह है।
हालांकि महिलाओं का शराब तस्करी में दुरुपयोग पहले से होता रहा है, लेकिन इस बार जिस तरह महिलाएं शराब तस्करी में पकड़ी जा रही हैं, उससे लगता है कि महिलाओं को शराब तस्करी में झौंक दिया गया है। इससे कहा जा सकता है कि राज्य में चुनाव के इस मौके पर शराब की बाढ़ आई है, उसके कुछ ही हिस्से को प्रशासन पकड़ पा रहा है।