
फोटो-नृसिंह मंदिर मठागंण से गाडू-घडी तेल कलश टिहरी दरबार के लिए प्रस्थान।
02–यांेग बदरी मंदिर पांडुकेश्वर से तेल कलश को प्रस्थान कराते ग्रामीण ।
प्रकाश कपरूवाण
जोशीमठ। गाडू-घडी तेल कलश के टिहरी दरबार के लिए प्रस्थान करने के साथ भगवान बदरीविशाल के कपाट खुलने के मुहुर्त तय किए जाने की प्रक्रिया शुरू। बसंन्त पंचमी टिहरी नरेश की मौजूदगी में इस वर्ष भवगान नारायण के कपाट खुलने की तिथि तय की जाऐगी।
भगवान बदरीविशाल के श्रीविगृह पर पूरे 6महीनो तक जिन तिलो के तेल का लेपन किया जाता है। उसे डिमरी समुदाय के लोग टिहरी दरबार से बदरीनाथ तक पंहुचाते है। कपाट बंद होने के बाद उक्त तेल कलश नृसिंह मंदिर जोशीमठ मे रहता है। और बंसती पंचमी से पूर्व तय कार्यक्रमानुसार डिमरी समाज के लोग पहले दिन जोशीमठ पंहुचकर गाडू-घडी तेल कलश को अपने सुपुर्द लेते है,उसके बाद पांडुकेश्वर पंहुचते हैं अगले दिवस पांडुकेश्वर मे पंच बदरी मे एक योग बदरी मंदिर मे गाडू-घडी तेल कलश की पूजा/अर्चना होती हैं। पांडुकेश्वर मे तेल कलश का स्वागत व पूजा के बाद बडे धूम-धाम से तेल कलश को जोशीमठ के लिए प्रस्थान कराया जाता है।
रविबार को गाडू-घडी के जोशीमठ पंहुचने पर नृसिंह मंदिर मठागंण मे बाजे-गाजे व शंख घ्वनि के साथ गाडू-घडी तेल कलश का स्वागत किया गया। इसके उपरांत नृसिंह मंदिर मे श्री बदरीनाथ के धर्माधिकारी आचार्य भुवन चंन्द्र उनियाल व वैदिक विद्वानो द्वारा विशेष पूजन व भोग-्रपसाद का कार्यक्रम आयेाजित किया गया। और गाडू-घडी को टिहरी दरबार के लिए प्रस्थान कराया गया। गाडू घडी के साथ डिमरी समाज के पंकज डिमरी, जयंन्ती डिमरी, अंकित डिमरी, नरेश डिमरी, व संजय डिमरी मौजूद थे।
गाडू-घडी का जोशीमठ मे स्वागत करने वालो मे सहायक मंदिर अधिकारी राजेन्द्र चाौहान, बरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी गिरीश चाौहान व डब्बल सिंह भुज्वांण, कुलदीप भटट,राजेन्द्र सेमवाल,दफेदार कृपाल सनवाल के अलावा देवपुजाई समिति की ओर से अनिल नंबूरी, सरजीत राणा विजय डिमरी आदि अनेक लोग मौजूद रहे।












