फाटो- गाड़ू-घडी तेल कलश जोशीमठ नृसिंह मंदिर पंहुची।
प्रकाश कपरूवाण
जोशीमठ। गाड.ू-घडी तेल कलश पहुंचा जोशीमठ, बुधबार को मुख्य पुजारी श्री रावल शंकराचार्य की गददी व गाडू-घडी के साथ बदरीनाथ धाम के लिए प्रस्थान करेंगे। एक प्रवास योग बदरी मंदिर पांडुकेश्वर मंे रहने के बाद 14 मई को उद्धव व कुबेर की डोलियों के साथ प्रस्थान करंेगे। गरूड छाड उत्सव को प्रतीकात्मक मनाया गया।
आद्य जगदगुरू शंकराचार्य की पवित्र गददी के साथ मुख्य पुजारी श्री रावल बुधबार को जोशीमठ के नृंिसंह मंदिर से प्रस्थान करेगे। इस बार बेहद सादगी व सोशियल डेस्टिेशिंग के बीच पवित्र गददी बदरीनाथ के लिए विदा होगी।
कोविड-19का असर- इस वर्ष पहली बार विना गाजे-बाजे व सेना की बैण्डधुन के ही बदरीनाथ के मुख्य पुजारी श्री रावल छ माह की पूजा के लिए बदरीनाथ प्रस्थान करेगे। प्रस्थान से पूर्व श्री रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूरी , धर्माधिकारी आचार्य भुवन चंद्र उनियाल, अपर धर्माधिकारी आचार्य सत्य प्रसाद चमोला व अन्य वदेपाठियों के साथ भगवान नृसिंह, नवदुर्गा सिद्धपीठ, राजराजेश्वरी मंदिर व वासुदेव मंदिरों मे पूजा-अर्चना कर सुखद यात्रा व विश्व को कोरोना महामारी से मुक्ति के लिए प्रार्थना करेगे। शंकराचार्य की पवित्र गददी व मुख्य पुजारी श्री रावल का पंरपरानुसार पहला प्रवास योगध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर मे होगा। और अगले दिवस 14मई को यहाॅ से उद्धव व कुबेर की डोलियों के साथ श्री रावल बदरीनाथ पंहुचेगे। और 15मई को प्रात साढे चार बजे भगवान श्री हरिनारायण के कपाट दर्शनार्थ खोले जोएगे।
इस बार कपाटोदघाटन के मौके पर बदरीनाथ अधिष्ठान से जुडे देवस्थानम बोर्ड के अधिकारी/कर्मचारी भी सीमित सख्या मे रह सकेग। बेहद सीमित लोगो को ही बदरीनाथ जाने की परमीशन दी गई है। मुख्य पुजारी श्री रावल, उनके नारायण नंबूदरी,धर्माधिकारी भुवनच्रद उनियाल, अपर धर्माधिकारी सत्य प्रसाद चमोला,स्योकार भंडारी से प्रदीप पंवार, शंकराचार्य गददी के साथ केवल चार लोग, एक सहायक दिनेश रावत, के अलावा सात सदस्य डिमरी समाज के, एक-एक सदस्य मेहत्ता,कमदी, भंडारी व धडिया से ही रहेगें। पूजा अधिष्ठान के अलावा मंदिर कार्यालय से संबधित भी कुछ ही कर्मचारियों का जाने की परमीशन दी गई है।
इधर गाडू-घडी तेल कलश भी डिम्मर से जोशीमठ पंहुच गया है। यहाॅ नृंिसहं मंदिर मे कलश को रखा गया है। तेल कलश के स्वागत मे भी सीमित लोग ही मौजूद रह सके।
दूसरी ओर पौराणिक पंरपरानुसार पवित्र शंकराचार्य गददी व मुख्य पुजारी श्री रावल के बदरीनाथ प्रस्थान से पूर्व स्थानीय देव पुजाई समिति जोशीमठ द्वारा गरूड-छाड उत्सव का आयोजन किया जाता है। लेकिन इस तिमुण्डया मेले की तरह इस पर कोरोना महामारी का साया रहा। गरूड-छाड उत्सव भी प्रतीकात्मक पूजा के साथ परंपरा का निर्वहन किया गया।