• About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact
Uttarakhand Samachar
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
Uttarakhand Samachar

औषधीय गुणों से भरपूर है गीठी लाइलाज बीमारियों से दिलाता है निजात

18/12/24
in अल्मोड़ा, उत्तराखंड, देहरादून, हेल्थ
Reading Time: 1min read
0
SHARES
99
VIEWS
Share on FacebookShare on WhatsAppShare on Twitter

औषधीय गुणों से भरपूर है गीठी लाइलाज बीमारियों से दिलाता है निजात
डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
उत्तराखंड प्राकृतिक संपदा और जैव विविधता के साथ ही यहां मिलने वाली जड़ी-बूटियों के लिए भी प्रसिद्ध है। देवभूमि में मिलने वाली जड़ी-बूटियों में जीवनदायिनी शक्ति है। पहाड़ के ग्रामीण इलाकों में आज भी इन जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल कई बीमारियों के इलाज में किया जाता है। इन्हीं जड़ी-बूटियों में से एक है पहाड़ में मिलने वाला जंगली फल गीठीं प्राचीन समय से ही पहाड़ों में लाइलाज बीमारियों का इलाज परंपरागत तरीकों से ही किया जाता रहा है. आज के दौर में भी कई बीमारियों के लिए कंदमूल फलों का उपयोग कर पहाड़ी क्षेत्रों में लोगों का इलाज किया जाता है. ऐसा ही एक फल है गीठीं जो आम तौर पर जंगलों में पाया जाता है. गीठी में कई औषधीय गुण पाएं जाते हैं. जो कई रोगों से लड़ने में मदद करते हैं. वहीं अब इसके औषधीय गुणों को देखते हुए लोग घरों में भी गीठी की खेती कर रहे हैं.गेठी की उत्पत्ति का स्थान दक्षिण एशिया माना जाता है। यह डायोस्कोरिएसी कुल का पौधा है। इसका वानस्पतिक नाम डायोस्कोरिया बल्बीफेरा है। इसे संस्कृत में वरही कंद ,मलयालम में कचिल और मराठी में दुक्कर कंद कहते हैं। हिंदी में इसे गेंठी, गेठी या गिन्ठी कहते हैं । और उत्तराखंड में भी ऐसे गेठि या गेंठी, गेठी ही कहते हैं। अंग्रेजी में गेठी को एयर पोटैटो) कहते हैं।भारत मे गेठी की 26 प्रजातियां पाई जाती हैं। जिनमे गेठी के साथ  तरुड़ कंद भी पहाड़ो में पाया जाता है। भारत के आयुर्वेद ग्रन्थ चरक संहिता और सुश्रुतसंहिता में गेठी को दिव्य अठारह पौधों में स्थान दिया गया है ।चवनप्राश के निर्माण में भी गेठी का प्रयोग होता है। नाइजीरिया को गेठी का सबसे बड़ा उत्पादक देश माना जाता है। नाइजीरिया के अलावा घाना ब्राजील ,क्यूबा, जापान इसके मुख्य उत्पादक देश हैं। भारत के कुछ राज्य ,उड़ीसा, केरल, तमिलनाडु में इसकी खेती की जाती है। उत्तराखंड में 2000 मीटर तक ऊँचाई वाले क्षेत्रों में गेठी कई बेल पाई जाती है।गेठी एक बेल वाला पौधा है।गेठी को दवाई के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है. यह खांसी ठीक करने में लाभदायक है. इसमें ग्लूकोज और फाइबर काफी मात्रा में होता है, जिस वजह से यह एनर्जी बूस्टर का भी काम करती है. इसमें कॉपर, आयरन, पोटेशियम, मैगजीन भी होता है. यह विटामिन बी का एक बेहतरीन सोर्स है. इसका लेप लगाने से फोड़े-फुंसी भी ठीक हो जाती हैं. इसका सेवन कोलेस्ट्रोल को कम करने में भी मदद करता है. शरद ऋतु के दौरान गेठी बाजार में देखने को मिल जाएगी. इसकी कीमत 60 से 70 रूपये प्रति किलो तक होती है. ठंड के मौसम में इसका प्रयोग बहुत लाभदायक होता है. पहाड़ी क्षेत्रों में इसे गर्म राख में पका कर इसका सेवन करते हैं. इसे खांसी की अचूक औषधि माना जाता है. गेठी ऊर्जा का अच्छा स्रोत है. गेठी में शर्करा (ग्लूकोज) और रेशेदार फाइबर सही मात्रा में पाए जाते हैं. जिससे खून में ग्लूकोज का स्तर बहुत धीरे बढ़ता है. गेठी में कई ऐसे तत्व पाए जाते हैं, जिनके कारण शरीर मे कोलस्ट्रोल कम बढ़ता है. साथ ही यह मोटापा घटाने में भी लाभदायक है. इसमे विटामिन बी प्रचुर मात्रा में मिलता है. जो बेरी बेरी और त्वचा रोगों की रोकथाम में सहायक होता है. गेठी या वराह कंद ऊर्जा का अच्छा स्रोत है। गेंठी में शर्करा(ग्लूकोज ) और रेशेदार फाइबर सही मात्रा में पाए जाते हैं। जिससे खून में ग्लूकोज का स्तर बहुत धीरे बढ़ता है।। गेंठी में कई ऐसे तत्व पाए जाते हैं,जिनके कारण शरीर मे कोलस्ट्रोल कम बढ़ता है । एयर पोटैटो मोटापा घटाने में लाभदायक है।। इसमे विटामिन बी प्रचुर मात्रा में मिलता है, जो त्वचा रोगों की रोकथाम में सहायक होता है।गेंठी में कॉपर ,लोहा,पोटेशियम ,मैगनीज आदि खनिज ( मिनरल्स ) पाए जाते हैं। जिसमे से पोटेशियम रक्तचाप को नियंत्रित रखता है और कॉपर रूधिर कणिकाओं के निर्माण के लिए आवश्यक है।। वराह कंद या गेठी की पत्तियों और टहनियों के लेप से फोड़े फुंसियों में लाभ मिलता है। गेंठी को उबालकर सलाद या सब्जी रूप में खाने से खांसी व जोड़ों के दर्द से राहत मिलती है।।गेठी के तनों व पत्तियों के अर्क में घाव भरने की क्षमता होती है। ऐसा भी माना जाता है कि इसके अर्क में कैंसर कोशिकाओं को मारने की क्षमता भी होती है। जिससे कैंसर जैसी भयानक बीमारी में लाभ मिलता है।। इसके पत्तियों के लेप से सूजन व जलन में लाभ मिलता है।।इसकी गांठों में स्टेरॉयड मिलता है जो कि स्टेरोएड हार्मोन और सेक्स हार्मोन बनाने के काम आता है।। गेठी बबासीर के मरीजों के लिए किसी वरदान से कम नही है। दस्त के लिए भी यह अति लाभदायक है।। इसमे एंटीऑक्सीडेंट प्रचुर मात्रा में होने के कारण रोग प्रतिरोधक क्षमता भरपूर रहती है। और कैंसर में तो लाभदायक होता ही है। गेठी में डायोसजेनिन और डायोस्कोरिन नामक रसायनिक यौगिक पाए जाते हैं. इसका उपयोग कई रोगों के इलाज में किया जाता है. साथ ही पहाड़ी क्षेत्रों में लोग इसका उपयोग सब्जी के रूप में भी करते हैं. आम तौर पर गेठी के फल को पानी में उबालने के बाद इसका छिलका उतारा जाता है. जिसके बाद इसे तेल में भून कर इसमें मसाले मिलाए जाते हैं. जिसके बाद इसका उपयोग सब्जी के रूप में किया जाता है.गेठी में प्रचुर मात्रा में फाइबर पाया जाता है. इसका उपयोग च्यवनप्राश बनाने में भी किया जाता है. गेठी का सेवन करने से शरीर में ऊर्जा का स्तर भी बढ़ता है. खास तौर पर गेठी का औषधीय उपयोग मधुमेह, कैंसर, सांस की बीमारी, पेट दर्द, कुष्ठ रोग, अपच, पाचन क्रिया संतुलित करने, दागों से निजात, फेफड़ों की बीमारी में, पित्त की थैली में सूजन कम करने और बच्चों के पेट में पनपने वाले कीड़ों को खत्म करने में किया जाता है. गेठी जैसे औषधीय कंदमूल फल उत्तराखंड में विलुप्त हो रहे हैं या उनके गुणों और उनके बारे में सही जानकारी ना होने के कारण हम उनका सही प्रयोग नही कर पा रहे हैं।। बजार में गेठी के दाम आसमान छू रहे है, मंडियों में गेठी 50 रुपये से 80 रुपये प्रति किलो के भाव में बिक रही है,मैदानी क्षेत्र की मंडियों में भी गेठी की डिमांड काफी बढ़ गई है। डिमांड अधिक होने के चलते इनकी आपूर्ति भी पूरी नहीं हो पा रही। पहाड़ में लाइलाज बीमारियों को ठीक करने के लिए आज भी परम्परागत नुस्खे अपनाए जाते है। जिसका उपयोग कई रोगों के उपचार में किया जाता है। जंगलों में होने वाले कंदमूल गेठी का उपयोग प्राचीन काल से ही कई बीमारियों के इलाज में होता आया है। इसके ओषधीय उपयोग को देखते हुए लोग घरों में भी गेठी का उत्पादन करने लगे है। मगर ये चमत्कारी वनस्पति अब धीरे-धीरे विलुप्ति की कगार पर है। देवभूमि उत्तराखंड में पिछले कुछ वर्षों में पलायन बहुत तेजी से हुआ है। जिस तेजी से पलायन बढ़ा है उसी तेजी से वहां की वन संपदा और भोजन की थाली से पहाड़ में उगने वाले कंदमूल फल जिसकी स्थानीय लोग सब्जी बनाते है भी अब गायब से हो गए है। ये कंदमूल फल न केवल स्वादिष्ट होते हैं अपितु शरीर को स्वस्थ रखने में भी सहायक होते हैं।उत्तराखंड के जंगलों में विभिन्न प्रकार के कंदमूल फल होते है जिनको सब्जी के रूप में इस्तेमाल किया जाता है इन्हीँ में एक है गींठी।  जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है कि ये एक गांठ की तरह का होता है।  इसके फल बेल में लगते है जो गुलाबी, भूरे और हरे रंग के होते हैं। आमतौर पर गीठीं के फल की पैदावार अक्टूबर से नवंबर महीने के दौरान होती है। उत्तराखंड के जंगलों में ये वर्षों पहले से पाया जाता है और वहां लोग इसकी सब्ज़ी को खूब पसंद करते हैं क्योंकि ये स्वादिष्ट होने के साथ-साथ पाचनक्रिया को भी दूरस्थ करता है और सांस व फेफड़ों को भी तरोताजा रखने में मदद करता है। इस  कंदमूल फल के औषधीय गुणों के कारण आज बाजार में इसकी डिमांड बहुत बढ़ गई है जिसे देखते हुए उत्तराखंड के कुछ एक स्थानों पर अब इसकी खेती भी होने लगी है।  ऐसी अनेकों वनस्पतियां जिनमे कि औषधीय गुण भी छिपे हैं आज के समय में जंक फ़ूड के चलते समाप्ति के कगार पर हैं। हमें व सरकारों को चाहिए कि इन बेसकीमती वनस्पतियों के सरक्षण के लिए कोई ठोस निति निर्धारण करें तांकि हमारे जीवन को जीवनदान देने वाली ये वनस्पतियों फिर से हमारे आस-पास मौजूद रहे । लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं।लेखक वर्तमान में दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं।

ShareSendTweet
Previous Post

स्पर्श गंगा अभियान से जुडा हर छात्र है अम्बेसडर : डॉ निशंक

Next Post

उत्तराखंड में जनवरी 2025 से लागू होगी समान नागरिक संहिता – मुख्यमंत्री

Related Posts

उत्तराखंड

मुख्यमंत्री ने देहरादून में रायपुर क्षेत्र के अंतर्गत अतिवृष्टि से प्रभावित क्षेत्रों का स्थलीय निरीक्षण किया

July 10, 2025
7
उत्तराखंड

हरेला पर्व से होती है सावन की शुरुआत

July 10, 2025
4
उत्तराखंड

कुप्रबंधन का शिकार हैं ‘कीड़ा जड़ी’ कई रोगों के लिए काल समान

July 10, 2025
5
उत्तराखंड

34 वर्षों के अंतराल के बाद इस वर्ष पैनखंडा जोशीमठ के भरकी गाँव की माँ कालिंका नौ माह के भ्रमण पर रहेंगी

July 10, 2025
12
उत्तराखंड

आंगनबाड़़ी केंद्रों में मनोरंजक गतिविधियों से बच्चों को दें शिक्षा: जिलाधिकारी गढ़वाल

July 10, 2025
5
उत्तराखंड

बाहरी क्षेत्रों से जारी ओबीसी प्रमाण पत्रों को निरस्त करने की मांग

July 10, 2025
6

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Popular Stories

  • चार जिलों के जिलाधिकारी बदले गए

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • डोईवाला : पुलिस,पीएसी व आईआरबी के जवानों का आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण सम्पन्न

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • ऑपरेशन कामधेनु को सफल बनाये हेतु जनपद के अन्य विभागों से मांगा गया सहयोग

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  •  ढहते घर, गिरती दीवारें, दिलों में खौफ… जोशीमठ ही नहीं

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • विकासखंड देवाल क्षेत्र की होनहार छात्रा ज्योति बिष्ट ने किया उत्तराखंड का नाम रोशन

    0 shares
    Share 0 Tweet 0

Stay Connected

संपादक- शंकर सिंह भाटिया

पता- ग्राम एवं पोस्ट आफिस- नागल ज्वालापुर, डोईवाला, जनपद-देहरादून, पिन-248140

फ़ोन- 9837887384

ईमेल- shankar.bhatia25@gmail.com

 

Uttarakhand Samachar

उत्तराखंड समाचार डाॅट काम वेबसाइड 2015 से खासकर हिमालय क्षेत्र के समाचारों, सरोकारों को समर्पित एक समाचार पोर्टल है। इस पोर्टल के माध्यम से हम मध्य हिमालय क्षेत्र के गांवों, गाड़, गधेरों, शहरों, कस्बों और पर्यावरण की खबरों पर फोकस करते हैं। हमारी कोशिश है कि आपको इस वंचित क्षेत्र की छिपी हुई सूचनाएं पहुंचा सकें।
संपादक

Browse by Category

  • Bitcoin News
  • Education
  • अल्मोड़ा
  • अवर्गीकृत
  • उत्तरकाशी
  • उत्तराखंड
  • उधमसिंह नगर
  • ऋषिकेश
  • कालसी
  • केदारनाथ
  • कोटद्वार
  • क्राइम
  • खेल
  • चकराता
  • चमोली
  • चम्पावत
  • जॉब
  • जोशीमठ
  • जौनसार
  • टिहरी
  • डोईवाला
  • दुनिया
  • देहरादून
  • नैनीताल
  • पर्यटन
  • पिथौरागढ़
  • पौड़ी गढ़वाल
  • बद्रीनाथ
  • बागेश्वर
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • रुद्रप्रयाग
  • रुद्रप्रयाग
  • विकासनगर
  • वीडियो
  • संपादकीय
  • संस्कृति
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • साहिया
  • हरिद्वार
  • हेल्थ

Recent News

मुख्यमंत्री ने देहरादून में रायपुर क्षेत्र के अंतर्गत अतिवृष्टि से प्रभावित क्षेत्रों का स्थलीय निरीक्षण किया

July 10, 2025

हरेला पर्व से होती है सावन की शुरुआत

July 10, 2025
  • About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.

No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.