देहरादून। क्षेतिज आरक्षण पर उच्च न्यायलय के फैसले से सरकार की घोर लापरवाही दर्शाता है। सही ढंग से सरकार द्वारा पैरावी नहीं की गयी। जिस कारण राज्यआंदोलनकारीयों में हताशा है। हर कोई सरकार आंदोलनकारियों की हितैषी होने का ढोंग करती आयी है, लेकिन जब भी ऐसे मुकदमे न्यायालय में चल रहे थे, तब राज्य सरकारों ने सही ढंग से पैरवी नहीं की। जिसका नतीजा यह निकला कि रामपुर तिराहा काण्ड के दोषी व अपराधी बच गये। क्षेतिज आरक्षण को लेकर जो बिल पूर्व सरकार द्वारा महामहिम राज्यपाल को भेजा गया था और वह बिल लंबित पड़ा रहा तब सरकार मौन थी। जबकि माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के विपरीत आपकी पूर्व सरकार सरकार मलिन बस्तियों को बचाने व शराब के ठेकेदारों के लाभ के लिए अध्यादेश लाकर उनको सुरक्षित किया। इसलिए उक्रांद की एक सूत्रीय मांग है कि-
1. सरकार अविलम्ब सदन बुलाकर पुनः क्षेतिज आरक्षण का क़ानून बनाये।
2. विधानसभा चुनाव 2022 से पूर्व चिन्हित किये गये आंदोलनकरियों की सूची जो आचार सहिंता के कारण घोषित नहीं हुई, चयनित सूची को अविलम्ब घोषित की जाय।
उत्तराखंड क्रांति दल इस फैसले को गंभीरता से ले रहा है, यदि आंदोलनकारियों के हितों में राज्य सरकार ने कानून बनाने में लापरवाही बरती तो दल राज्य आंदोलनकारियों को विश्वास में लेकर एकजुटता के साथ सरकार को मजबूर करेगा।
दल के केंद्रीय महामंत्री सुनील ध्यानी के नेतृत्व में ज्ञापन जिला प्रशासन के तहसीलदार श्री सुरेन्द्र कुमार को सौंपा गया। इस अवसर पर सुनील ध्यानी, प्रताप कुंवर, लताफत हुसैन, विजय बौडाई, राजेंद्र बिष्ट, विजेंद्र रावत, देवेंद्र रावत, सुमित डंगवाल, पंकज उनियाल आदि उपस्थित रहे।