गजेन्द्र चौहान
पुरोला। केन्द्र व राज्य सरकाररों द्वारा स्कुलों में शिक्षा का स्तर सुधारने व छात्र संख्या बढ़ाने को लेकर चाहे लाख दावे किये जा रहे हो लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कुछ ओर ही नजर आ रही है। सरकारी आंकड़ों पर नजर दौड़ाये तो सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है, इसकी बानगी उत्तरकाशी जनपद के पुरोला विकासखण्ड में साफ देखी जा रही है।
बताते चले कि सरकारी स्कूलों में छात्र संख्या बढ़ाने के लिये केन्द्र व राज्य सरकारों द्वारा मिड डे मील योजना, निशुल्क पठन सामग्री, निशुल्क मेडिकल सुविधा देने के बावजूद भी स्कुलों में छात्र संख्या लगातार घटती जा रही है। विकासखण्ड में 119 प्राथमिक विद्यालय व 63 जूनियर स्कूल संचालित हो रहे हैं, जिनमे वर्तमान में 2696 बच्चे अध्ययनरत हैं। इन बच्चों पर सरकार ने 182 टीचर नियुक्त किये है, जिनका एक माह का वेतन लगभग एक करोड़ 21 लाख तेरासी हजार है। सरकारी आंकड़ों पर गौर करे तो प्राइमरी स्तर पर साल 2016 में कुल छात्र संख्या 3400 वही 2017 में 3169 तथा 2018 में 2919 व 2019 में ये छात्र संख्या घटकर महज 2669 रह गई है।
बहरहाल सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता व छात्र संख्या बढ़ाने के जो प्रयास किये जा रहे है, वे नाकाफी हैं। वही खण्ड शिक्षा अधिकारी चतर सिंह चौहान का कहना है कि सरकारी स्कुलों के प्रति अभिभावकों का द्रष्टिकोण भी सकारात्मक नहीं है। उनका कहना है कि पीटीए की बैठक में अभिभावकों की नगण्य उपस्तिथि रहती है, वही अधिकांश शिक्षाविद व अभिभावकों का कहना है कि जब तक सरकारी पगार पाने वाले अधिकारी व कर्मचारी अपने बच्चों का दाखिला सरकारी स्कूलों में नही करेंगे तब तक आम जनता की सरकारी स्कूलों के प्रति बेरुखी बनी रहेगी ।।