उर्गम में आयोजित किया गया मौन पालन प्रशिक्षण ज्योर्तिमठ चमोली यूनेस्को नई दिल्ली एवं जनदेश स्वैच्छिक संगठन के द्वारा एक दिवसीय मौन पालन प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन तल्ला वरगिडा (उर्गम) गांव में आयोजित किया गया जिसमें मधुमक्खी पालन की अपार संभावनाओं के बारे में विस्तार से चर्चा की गयी जलवायु परिवर्तन के संकट से बचने के लिए प्रकृति के अनुरूप खेती करना आवश्यक है उसमें मधुमक्खी पालन महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है जहां प्रकृति में विद्यमान जैव विविधता को बचाने में मधुमक्खी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती आज के समय में मधुमक्खी को आवास उस के अनुरूप नहीं मिल पा रहा है भवन शैली निर्माण की प्रक्रिया बदलने के कारण उनके आवास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है पहले अधिकांश घर में मधुमक्खी पालन किया जाता है आज बहुत कम घरों में मधुमक्खी पालन किया जा रहा है जबकि हो एक रोजगार का अच्छा साधन बन सकता है यह बात जनदेश के सचिव लक्ष्मण सिंह के द्वारा प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान कहीं, लोगों को मधुमक्खी पालन के गुर सिखाए गये। सबसे पहले आले एव बॉक्स दोनों को बढावा देना होगा। आधुनिक पद्धति सभी मोहन पालन किया जा सकते हैं। मौन पलकों को प्रयास करना होगा। इस अवसर पर लोगों को मौन बॉक्स, क्वीन गेट, बकछुट थैला, रिंग आलसी बना हुआ क्वीन गेट, स्मोकर, मुंह की जाली, दस्ताने, शहर काटने की औजार, मधुमक्खी पालन में आने वाली कठिनाइयां उनके शत्रु कीट के वारे में जानकारी दी गई। इस अवसर पर ग्राम प्रधान देवग्राम देवेंद्र सिंह रावत, वीरेंद्र लाल आदि लोगों ने मौन पालन के संबंध में अपनी विचार रखें। 25 से अधिक लोगों ने इस कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। कार्यक्रम में जयचंद डूंगरिया दीपक चंद्र, अनीता देवी, सुरमा देवी विमला देवी जमुना देवी करीना देवी देवचनी देवी, बद्री सुभाष दिव्य प्रकाश उत्तम, उत्तम तारा देवी कली देवी, फ्यूली देवी, पवित्र जमुना आदि लोगों में प्रतिभाग किया।