उरगम घाटी। 15 जुलाई 2022 को राज्य के दूरस्थ पहाड़ी हिस्से में एक घसियारी महिला के साथ जो हुआ, उसकी एक झलक ने सम्पूर्ण राज्य में आक्रोश की एक लहर पैदा कर दी। धास लाती हुई महिला से पुलिस और सीआईएसएफ की छीनाझपटी। एक महिला जो इस राज्य की बुनियाद में रही है। राज्य आंदोलन की पहली पंक्ति में रहने वाली महिला ने राज्य आंदोलन में सत्ता के दमन के सबसे विभत्स रूप को झेला। एक महिला जो इस पहाड़ को आज भी अपनी पीठ पर उठाए है। पहाड़ जितना बचा है महिलाओं के श्रम ने उसे बचाया है। उसी महिला पर पुलिस कर दमन आज भी जारी है।
इस दृश्य ने हर आम ओ खास को, शहरी-ग्रामीण को, नौजवान, वृद्ध को भीतर से झकझोर दिया था। इसी का परिणाम था कि 15 तारीख को हुई घटना का जो वीडियो 16 को प्रसारित हुआ, उसके महज दो दिन बाद 19 जुलाई 2022 से पूरे राज्य में लोगों ने घटना के विरोध में प्रदर्शन किए, ज्ञापन दिए और इसके 4 दिन बाद ही 24 जुलाई 2022 को राज्य के तमाम हिस्सों से लोग हेलंग में जुटे। 1 अगस्त को पूरे राज्य में 13 जिलों में 35 स्थानों पर पांच सूत्री मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन व ज्ञापन दिए गए।
हेलंग की इस घटना से न सिर्फ जल जंगल जमीन के बुनियादी सवालों को सतह ला दिया है, वरन राज्य आंदोलन की बिखरी हुई शक्तियों को भी एकजुट कर एक मंच पर लाने का काम किया है। अब इस मंच के साथ साथ हम आप सबकी जिम्मेदारी है कि इन सवालों के हल होने तक इस संघर्ष को जारी रखें।
राज्य बनने के बाद सरकारों ने नए नए कानूनों के जरिये उत्तराखण्ड की जमीनों की लूट को आसान किया है। आज हालत यह है कि उत्तराखण्ड के भू कानून का लाभ उठाते हुए कोई भी कितनी भी भूमि खरीद सकता है, जिससे उत्तराखण्ड भू माफियाओं की खुली लूट का चारागाह बन गया है। पहले से ही बहुत अल्प कृषि भूमि वाले इस राज्य में कृषि भूमि की इस लूट से भविष्य में यहां के निवासियों के सम्मुख इसका संकट पैदा हो जाएगा ।
72 प्रतिशत वन भूमि वाले इस राज्य में वन कानूनों का शिकंजा इतना कड़ा है कि लोगों के पास अपने ही खेत मे अपने उगाए लगाए पेड़ों पर भी अधिकार नहीं है । अपने आस पास जंगल होते हुए भी लोग लकड़ी के लिए बाहर से आई लकड़ी पर निर्भर हैं अपने जंगलों पर अधिकार की सौ साल पुरानी लड़ाई में अंग्रेजों से लड़ कर जो अधिकार हमने हासिल किए थे आज वे भी गंवा दिए हैं । वन अधिकार कानून 2006 के माध्यम से लोगो के परंपरागत वन हकों को मान्यता देने के बजाय सरकार वन पंचायतों में मिले हकों को भी हड़पने के लिए आतुर है।
उत्तराखण्ड को ऊर्जा प्रदेश वनाने के नाम पर हमारे पानी को सरकारों ने पहले ही बड़ी बड़ी कम्पनियों को बेच दिया है। अपनी नदियों पर घाटों पर भी जनता का अधिकार खत्म कर दिया गया है। बहुत सी जगहों पर लोग शवदाह करने के लिए भी कम्पनियों की कृपा पर निर्भर हो गए हैं। इन कम्पनियों से मिलने वाला रोजगार भी नितांत अस्थाई किस्म का है। अपना जल जंगल जमीन गंवा करएहक अधिकार के बदले, महज कुछ सालों के लिए चंद लोगों को कुछ हजार रुपये में बंधुआ बना कर यह लूट को जायज बनाने का षड्यंत्र के सिवा कुछ नहीं है।
इसके कारण पहाड़ जगह जगह से कमजोर कर दिए गए हैं । जगह जगह भू धंसाव व भू स्खलन से लोगो के घर मकानों में दरारें आ गयी हैं। यह सब पूरे पहाड़ में एक बड़े विस्थापन का कारण बन रहा है । जबकि आपदाओं से ग्रस्त लोग पहले ही वर्षों से विस्थापनो की प्रतीक्षा में हैं।
अपनी जमीन अपने जंगल और अपने पानी पर जनता के बुनियादी अधिकार की जो मांग उत्तराखण्ड आंदोलन के बाद भी पूरी नहीं हुई, वह लड़ाई यह आंदोलन, इन बुनियादी सवालों के साथ हल करे, इसलिए जरूरी है। हेलंग की घसियारी महिला की लड़ाई महज एक चरागाह बचाने कीए महज एक कम्पनी के हाथों अपने हक अधिकार लुटने लूटे जाने की लड़ाई नहीं है इसकी बुनियाद में यही जल जंगल जमीन पर जनता के हक अधिकार के मूल सवाल हैं। इसलिए हेलंग की इस लड़ाई को इसकी मंजिल तक पहुंचना जरूरी है।
पांच सूत्री तात्कालिक मांगों के साथ इस लड़ाई को पहाड़ के उत्तराखण्ड के जन जन तक ले जाए जाने की जरूरत है। उत्तराखण्ड राज्य के भविष्य व अस्तित्व के लिए यह संघर्ष जरूरी है। आइये बेहतर उत्तराखण्ड के लिएण्ण्जनता के उत्तराखण्ड के लिए, महिलाओं के सम्मान के लिए, पहाड़ के अस्तित्व व अस्मिता के लिए, इस संघर्ष को मजबूत करें। शहीदों के सपनो को मंजिल तक पहुंचाने के लिए इस लड़ाई को इसके मुकाम तक ले जाने के लिए एकजुट हों।
9 अगस्त भारत छोड़ो दिवस के अवसर पर हेलंग एकजुटता मंच के आह्वान पर जाने.माने पर्यावरणविद् डॉ रवि चोपड़ा महिला मंच की कमला पंत, कामरेड इंद्रेश मैखुरी, अतुल सती कई ग्रामीण महिला संगठन के प्रतिनिधि इस कार्यक्रम में सम्मिलित रहेंगे। महिला एकता मंच रामनगर की महिलाओं ने हेलंग में 15 जुलाई 2022 को मंदोदरी देवी के साथ पुलिस के और औद्योगिक सुरक्षा बल के लोगों के द्वारा जिस तरह का व्यवहार किया गया, उसके विरोध में रामनगर में एक रैली का आयोजन किया गया।
लक्ष्मण सिंह नेगी की रिपोर्ट