देहरादून। उत्तराखंड की सभी लोकभाषाओं को एक मंच पर लाने एवं मानकीकरण के लिए प्रयासरत वर्तमान में प्रकाशित एकमात्र पत्रिका कुमगढ़ के सम्पादक व वरिष्ठ साहित्यकार डा दामोदर प्रसाद जोशी देवान्शु ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भेज कर प्रदेश की सर्वमान्य लोकभाषा गढ़वाली और कुमाऊंनी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की माँग की है।
अपने पत्र में श्री जोशी ने प्रधानमंत्री का गत 4 दिसंबर को उत्तराखंड की राजधानी देहरादून आगमन पर राज्य की गढ़वाली.कुमाउनी भाषा में संबोधन शुरू करने पर आभार व्यक्त किया है। उन्होंने अपने पत्र में कहा है कि गढ़वाली और कुमाउनी उत्तराखंड की जन.जन की मातृ भाषा है जिसे संपूर्ण उत्तराखंड सहित देश और विदेश में लगभग दो करोड़ से अधिक लोगों द्वारा व्यवहार में प्रयोग किया जाता है।
उन्होंने श्री मोदी को स्मरण दिलाया है कि इन भाषाओं का बहुत पुराना है। दोनों भाषाएं प्राचीन होने के साथ समृद्ध, स्तरीय व सर्वस्वीकार्य हैं। हिन्दी भाषा के जनक भारतेंदु हरिश्चन्द्र से पूर्व ही इन भाषाओं का आविर्भाव हो चुका था। गढ़वाली भाषा पवार शासन काल में और कुमाउनी चंद राजाओं के शासन काल में राजभाषा रहीं। प्राइमरी कक्षाओं से लेकर स्नातकोत्तर कक्षाओं के पाठ्यक्रम के साथ आकाशवाणी और दूरदर्शन में भी यह भाषाएं स्थान पा रही हैं।
उत्तराखंड से कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज तथा केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट संसद में गढ़वाली. कुमाउनी को राजभाषा को दर्जा देते हुए संविधान की आठवीं अनुसूची में स्थान देने हेतु प्रस्ताव.विधेयक प्रस्तुत कर चुके हैं। इसलिए प्रधानमंत्री जी से अनुरोध है कि वह अपने हल्द्वानी आगमन पर भी कुमाउनी व गढ़वाली में अपना संबोधन शुरू करते हुए कुमाउनी व गढ़वाली को संविधान की आठवीं अनुसूची में स्थान देने की साहित्यकारों की लंबे समय से चली आ रही मांग को स्वीकृत करने की घोषणा करने की कृपा करें। उन्होंने आशा व्यक्त की है कि प्रधानमंत्री जनभावना का सम्मान करते हुए इन दोनों भाषाओं को उनका स्थान दिलाएंगे।