हरेंद्र बिष्ट की रिपोर्ट।
थराली।
चमोली जिले के अंतिम गांवों में सुमार एवं पूर्व से आपदाग्रस्त झलिया गांव के ऊपर एक बार फिर से खतरें के बादल छाने लगें हैं।
दरअसल 2018 में विकासखंड देवाल के अंतर्गत एवं चमोली जिले के अंतर्गत अंतिम गांवों में सुमार झलिया जो कि बागेश्वर जिले के कुंवारी गांव से लगा हुआ हैं, गांव के पीछे की पहाड़ी के टूटने के कारण जिला प्रशासन ने ग्रामीणों की सुरक्षा की दृष्टि से सभी ग्रामीणों को इसी विकासखंड के अंतर्गत देवसारी गांव के अंतर्गत लाटातोली के बुग्याल में अस्थाई रूप से विस्थापित कर दिया गया था।करीब 6 माह तक लाटतोली एवं अन्य रिश्तेदारों के रहने के बाद ग्रामीण पुनः झलिया गांव चले गये थें। 2018 के बाद से आजतक स्थिति स्थिर रहने पर पीड़ित ग्रामीणों ने राहत की सांस लेली थी, किंतु 7 वर्षों के बाद एक बार फिर से पहाड़ी से भूस्खलन होने के कारण उनके ऊपर संकट के बाद छाने लगें हैं। गांव के ग्रामीण हरीश दानू ने बताया कि मंगलवार से शुरू हुई भारी बारिश के कारण बुधवार से झलिया गांव की पहाड़ी फिर से दरकने लगी है।अब तक गांव की करीब 75 प्रतिशत भूमि नष्ट हो चुकी हैं, मकानों के ऊपर भी खतरें के बादल छा गयें है। बारिश होते ही ग्रामीणों को अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा हैं।
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झलिया गांव के पीछे से फिर से पहाड़ी के भूस्खलन होने के संबंध में धरातलीय रिपोर्ट लेने के लिए राजस्व उपनिरीक्षक को गांवों में भेजा जा रहा है, वास्तविक स्थिति के बाद अग्रिम कार्रवाई की जाएगी, ग्रामीणों को आपदा की इस घड़ी में अतरिक्त सतर्कता बरती चाहिए।
*पंकज भट्ट*
उपजिलाधिकारी थराली
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झलिया गांव के पीछे की पहाड़ी से भूस्खलन होने के कारण गांव के ऊपर एक बार फिर से संकट के बादल छा गए हैं जो कि काफी चिंतनीय है,इस संबंध में उपजिलाधिकारी थराली को पत्र भेजकर ग्रामीणों की सुरक्षा का निवेदन किया गया हैं।
*रमेश गड़िया*
नवनियुक्त क्षेत्र पंचायत सदस्य चोटिंग-झलिया।