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पंच केदारों में एक कल्पेश्वर महादेव शैव सर्किट से बाहर क्यों?

10/03/21
in उत्तराखंड, चमोली
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महाशिवरात्रि पर्व पर विशेष।
फोटो–
1–गुफा मे विराजमान भगवान कल्पेश्वर महादेव।
02–भगवान कल्पेश्वर महादेव मंदिर का प्रवेश द्वार।
प्रकाश कपरूवाण
जोशीमठ। हिमालय के पंच केदारांे में एक पंचम केदार भगवान कल्पेश्वर महादेव का एक मात्र शिवालय है, जो बारहों महीने खुला रहता है। महाशिवरात्रि पर्व पर भगवान कल्पेश्वर के जलाभिषेक के लिए बडी संख्या में श्रद्धालु उर्गम घाटी के कल्पेश्वर पंहुचते हैं। यहाॅ भगवान शिव के पाॅच दिब्य स्वरूपों मंे जटा स्वरूप की पूजा की जाती है। लेकिन यह पर्यटन विकास परिषद की नजरों से ओझल ही है।

प्रकृति की रमणीक घाटी उर्गम जहाॅ न केवल पकृति की मनोहारी छठा के दर्शन होते हं,ै बल्कि उर्गम की इस धरती पर पंच बदरी में एक ध्यान बदरी व पंच केदारो मे एक कल्पेश्वर महादेव के भी दर्शन होते हंै। कल्पनाथ-कल्पेश्वर महादेव मंदिर हिमालय का एक मात्र शिव मंदिर है जहाॅ वर्षभर भगवान शंकर के दर्शन व जलाभिषेक हो सकते है। हिमालय के अन्य चार केदार भगवान केदारनाथ, मदमहेश्वर, तुंगनाथ व भगवान रूद्रनाथ के कपाट शीतकाल के 6महीनो के लिए बंद रहते है, और महा शिवरात्रि पर्व शीतकाल के दौरान ही आयेाजित होता है इसलिए भी महाशिवरात्रि पर्व पर पंचम केदार भगवान कल्पेश्वर के मंदिर मे भक्तो का ताॅता लगा रहता है।

कल्पगंगा के समीप भगवान कल्पेश्वर महादेव एक गुफा मे विराजमान है,और इसी गुफा मे भगवान भोले नाथ के पाॅच दिब्य रूवरूपों मे जटा स्वरूप के दर्शन होते है। वर्षभर असख्ंय शिव भक्त भगवान के जटास्वरूप शिवलिंग मे जलाभिषेक कर पुण्य लाभ अर्जित करते है। भगवान कल्पेश्वर मंदिर के समीप ही एक पवित्र जलकुंड है, मान्यता है कि कितना भी सूखा पडने के बाद भी इस कुण्ड का जल कभी भी कम नही होता,और इस कुण्ड के जल से भगवान कल्पेश्वर महादेव का जलाभिषेक करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। यहाॅ भगवान कल्पेश्वर महादेव को जटाधर व जटामौलेश्वर नामो से भी जाना जाता है।

प्रकृति की रमणीक घाटी उर्गम जो विगत वर्षो तक संडक संपर्क से अछूती थी, लेकिन अब भगवान कल्पनाथ-कल्पेश्वर मंदिर तक ही सडक का निर्माण हो चुका है, और श्रद्धालु अब सीधे वाहनो से मंदिर तक पंहुच सकते है। पहले ऋषिकेश-बदरीनाथ हाईवे के हेंलग नामक स्थान ेस करीब 12कि0मी0की पैदल दूरी तय कर मंदिर तक पंहुचना होता था। हाॅलाकि तब भी शिव भक्त श्रद्धालु विशेषकर श्रावण मास मे महाशिवरात्रि पर्व पर बडी संख्या मे यहाॅ पंहुचते थें। अब सडक सुविधा होने से वर्षभर श्रद्धालुओ का आवागमन यहाॅ बना रहता है।

पंचम केदार भगवान कल्पेश्वर के आचार्य विजय सेमवाल ने सभी शिवभक्तो से महाशिवरात्रि के विशेष पर्व पर भगवान कल्पेश्वर महादेव का जलाभिषेक व दर्शन कर पुण्य लाभ अर्जित करने का आवहान किया है।

लेकिन यहाॅ एक अफसोसजनक पहलू यह भी है कि उत्तराख्ंाड पर्यटन विकास परिषद ने गढवाल व कुमांऊ मंडल के शिव मंदिर को उल्लेख कर शैव सर्किट बनाते हुए श्रद्धालुओ से इन स्थानो तक पंहुचने का आग्रह किया है उनमे पंच केदारो मे एक भगवान कल्पेश्वर का जिक्र तक नही है।उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद द्वारा बनाए गए शैव सर्किट मे गढवाल मंडल मे एकेश्वर महादेव, श्री केदारनाथ,मदमेहश्वर, तंुगनाथ, रूद्रनाथ,कोटेश्वर महादेव-टिहरी,काशी विश्वनाथ-उत्तरकाशी,दक्ष प्रजापति-हरिद्वार,शिव मंदिर टिम्मणसैण-चमोली, विनसर महादेव-थैलीसैण, ताडकेश्वर महादेव-लैसंडाउन,व शिव मंदिर लाखा मंडल को तो शैव सर्किट मे दर्शाया गया है लेकिन हिमालय के पॅच केदारो मे एक भगवान कल्पेश्वर महादेव मंदिर को शैव सर्किट से बंचित रखा गया है। जो वर्षभर खुले रहने वाले एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल के प्रति पर्यटन विकास परिषद के ज्ञान को भी दर्शा रहा है।

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