पिथौरागढ़। मुनस्यारी विकासखण्ड के सुदूरवर्ती गांव बजेता में तमाम कायदे कानूनों को ताक पर रखकर करीब 18 हेक्टेयर भूमि खड़िया खनन के लिए स्वीकृत कर दी गयी। अनुसूचित जाति आयोग के हस्तक्षेप के बाद जिला प्रशासन हरकत में आया और खनन पर रोक लगा दी। बजेता की आबादी करीब 250 है और प्राकृतिक आपदा के लिहाज से अत्यन्त संवेदनशील क्षेत्र है। डीडीहाट के उप.जिलाधिकारी अनुरोग आर्य को मामले की जांच सौंपी गयी है।
उल्लेखनीय है कि जिला मुख्यालय से करीब 95 किलोमीटर दूर नाचनी के राया बजेता क्षेत्र में पर्याप्त मात्रा में खड़िया उपलब्ध है। ग्रामीणों का आरोप है कि छोटी मुखानी हल्द्वानी स्थित एक फर्म ने गांव के कुछ लोग जो गांव से पलायित कर हल्द्वानी में रहते हैं, के साथ मिलकर फर्जी दस्तावेजों के सहारे पूरे गांव की करीब एक हजार नाली जमीन पर खड़िया खनन की लीज 50 वर्ष के लिए स्वीकृत करा दी है।
इसकी भनक लगते ही ग्रामीण लामबन्द हो गये और खड़िया खनन की लीज रद्द करने की मांग उठने लगी। दिनांक 14 दिसम्बर, 2021 को पिथौरागढ़ के जिलाधिकारी ने खनन पर रोक का आदेश जारी किया। खनन कारोबारी ने जिलाधिकारी के इस आदेश के विरूद्ध माननीय उच्च न्यायालय नैनीताल में याचिका दायर की। इसके बाद खनन स्वीकृति के दस्तावेजों की जांच प्रारम्भ हुई तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आये।
बजेता निवासी बलवन्त सिंह की ओर से कम्पनी को दिये गये अनापत्ति प्रमाण पत्र में बलवन्त सिंह के पिता का नाम दुर्योधन सिंह लिखा गया है, जबकि उनके पिता का नाम पान सिंह है। इस शपथ पत्र में बलवन्त सिंह के हस्ताक्षर भी नहीं हैं। इसी तरह बजेता निवासी त्रिलोक सिंह पुत्र दीवान सिंह स्थायी रूप से डीडीहाट में आवासित हैं, उनके द्वारा अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं दिया गया, लेकिन दस्तावेजों में त्रिलोक सिंह का अनापत्ति प्रमाण पत्र संलग्न है। इसी तरह जसपाल सिंह पुत्र धरम सिंह, गोविन्द सिंह पुत्र शेर सिंह, इन्द्र सिंह पुत्र हरपाल सिंह, अनी राम पुत्र लछम राम के फर्जी हस्ताक्षर कर अनापत्ति प्रमाण पत्र दर्शाया गया है।
ग्रामीणों का आरोप है कि अपर जिलाधिकारी पिथौरागढ़ की अध्यक्षता में 12 जनवरी, 2020 को बांस बगड़ में खनन सम्बन्धी जन सुनवाई की गयी, लेकिन ग्रामीणों को इसकी विधिवत सूचना नहीं दी गयी। इसके बावजूद जिन लोगों ने खड़िया खनन का विरोध किया और अनापत्ति प्रमाण पत्र में फर्जी हस्ताक्षरों की शिकायत की, इस पर कोई कार्यवाही प्रशासन द्वारा नहीं की गयी। जन सुनवाई के दौरान बजेता निवासी अनी राम ने अपर जिलाधिकारी को प्रत्यावेदन सौंपते हुए स्पष्ट किया कि अनापत्ति प्रमाण पत्र में उनके फर्जी हस्ताक्षर किये गये हैं, इसकी जांच होनी चाहिए, लेकिन इस प्रकरण पर भी कोई कार्यवाही नहीं की गयी।
यह क्षेत्र आपदा की दृष्टि से अत्यन्त संवेदनशील है। इस क्षेत्र में वर्ष 2011 में भी प्राकृतिक आपदा में 5 लोगों की मृत्यु हुई और कई मवेशी और मकान दब गये। इससे पहले वर्ष 1970 में भी यहां बहुत बड़ी आपदा आ चुकी है, जिसमें दर्जनों लोग प्रभावित हुए। कई लोग विस्थापित हुए और कई मवेशी मारे गये। खनन से लोगों की उपजाऊ भूमि, गोचर, पनघट, स्कूल, सड़क, पानी के स्रोत और आवासीय मकानों को खतरा उत्पन्न हो गया है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि बजेता में खनन पट्टा निरस्त नहीं किया गया तो लोग सामूहिक रूप से बेमियादी आन्दोलन शुरू कर देंगे।












