उत्तराखंड समाचार यूट्यूब-फेसबुक न्यूज चैनल ने उत्तराखंड के वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य पर चर्चा करने के लिए एक साक्षात्कार आधारित कार्यक्रम शुरू किया है। जो सायंकाल सात बजे प्रारंभ होता है। अब तक इस कड़ी में हम तीन प्रमुख प्रवासी पत्रकारों से बातचीत कर चुके हैं। प्रेस क्लब आफ इंडिया के अध्यक्ष श्री उमाकांत लखेड़ा, आईआईएमसी के प्रोफेसर गोविंद सिंह और वरिष्ठ पत्रकार श्री गोविंद पंत राजू के साथ बातचीत अब तक हुई है। इन साक्षात्कार के बाद हमें एक प्रतिक्रिया के रूप में एक पत्र हल्द्वानी से श्री देवेंद्र सिंह कोटलिया का मिला है। इस पत्र को हम बिना संशोधित किए प्रकाशित कर रहे हैं। हमारी तरह बहुत सारे लोग हैं जो उत्तराखंड की राजनीति पर अपनी प्रतिक्रिया देना चाहते हैं। कोटलिया जी का असंपादित पत्र निम्नवत है-
आदरणीय भाटिया जी, सादर अभिवादन!
कल की परिचर्चा अत्यंत सार्थक, सारगर्भित, विवेचनात्मक, तथ्यपरक और तर्कपूर्ण थी, गोविन्द पन्त राजू जी बहुत सुलझे हुए, अनुभवी और धीर-गंभीर वार्ताकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं। उनका दृष्टिकोण बहतु व्यापक और स्पष्ट है।
उनके निष्कर्ष से सहमत होते हुए मेरा भी मानना यही है कि उत्तराखंड की राजनीतिक के वर्तमान परिदृश्य और भविष्य की चुनौतियों को समझने के लिए यहाँ की जन-चेतना को समझना बहुत ज़रूरी है। जन.भावना और राज्य.गठन के समय के संकल्पों पर बहुत बातें हो चुकी हैं। आज आम जनता या तो इन बातों से आगे निकल चुकी है या इनसे उकता चुकी है। दोनों बड़े दल जनता की अपेक्षाओं को पूरी तरह से अनदेखा करने के बाद भी चुनाव में मनमाने नतीजे हासिल करने में कामयाब हो रहे हैं। कांग्रेस-भाजपा सैद्धांतिक रूप से भले ही अलग.अलग हैं, लेकिन व्यावहारिक रूप से इन्हें कुछ एक नेताओं को छोड़कर चुनाव में हार.जीत से कोई ख़ास फर्क नहीं पड़ता।
बीस साल में हुए पांच चुनावों के नतीजों को देखकर हैरानी होती है। आपने भी देखा होगा कि सरकारों की विफलता और जनता की निराशा का ग्राफ ज्यों-ज्यों बढ़ रहा है, त्यों.त्यों दोनों दलों का संयुक्त जनाधार मत प्रतिशत, यानि इनकी लोकप्रियता का ग्राफ नीचे गिरने की बजाए लगातार ऊपर की ओर बढ़ रहा है। ऐसा क्यों हो रहा है? कब तक ऐसा होता रहेगा? भविष्य में इसके क्या परिणाम होंगे? इन प्रश्नों पर गंभीर चिंतन करने की ज़रुरत है।
बाकी आप मुझसे अधिक जानते हैं। सूरज को दिया दिखाने जैसी बात होगी। प्रदेश को आप जैसे लोगों के मार्गदर्शन की सख्त ज़रुरत है।
सादर धन्यवाद!
देवेन्द्र सिंह कोटलिया
हल्द्वानी