
फोटो- 1-बदरीनाथ धाम के मुख्य पुजारी श्री रावल जिनको क्वारेंटीन करने के कारण भगवान के कपाट खुलने की तिथि में परिवर्तन करना पड़ा।
02- यूपी का विधायक अमनमणी जो कपाट बंद होने के बाद भी बदरीनाथ तक की परमीशन लेकर गौचर तक पंहुच गया था।
प्रकाश कपरूवाण
जोशीमठ। श्री बदरीनाथ के मुख्य पुजारी श्री रावल के प्रदेश में प्रवेश करते ही उन्हें क्वांरटीन करते हुए कपाटोदघाटन की अनादिकाल से चली आ रही पंरपरा को बदला जा सकता है, तो उत्तर-प्रदेश के विधायक को राज्य की सीमा में पंहुचते ही क्वांरटीन क्यों नही किया गया? अब यह सवाल पिछले चालीस दिनांे से इधर-उधर फॅसे लोग ही नहीं बल्कि अपने निकटतम परिजनांे की अंत्येष्टि में तक शामिल नहीं हो सकने वाले तमाम लोग पूछने लगे हंै। लोग समझ नहीं पा रहे हैं कि गृह मंत्रालय की गाइडलाइन को धत्ता बताते हुए आखिर विधायक अमन मणी त्रिपाठी अपने दस अन्य लोगांे के साथ कैसे कई जनपदों को पार करते हुए सीमांत जनपद चमोली में प्रवेश कर गया।
दरसअल विधायक अमनमणी त्रिपाठी का मामला इसलिए भी तेजी से उछल रहा है कि विश्व के सर्वश्रेष्ठ धाम श्री बदरीनाथ के कपाट तीस अप्रैल को खुलने थे। लेकिन बदरीनाथ के मुख्य पुजारी श्री रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी को केरल से उत्तराखंड समय पर नहीं लाया गया और जब वे केरल से उत्तराखंड पहंुचे तो उन्हें ऋषिकेश में ही क्वारंटाइन कर दिया गया। और भगवान बदरी विशाल के कपाटोदघाटन की तिथि को तीस अप्रैल के बजाय 15 मई कर दिया गया। जब कोराना महामारी व भारत सरकार के गृह मंत्रालय की गाइडलाइन के चलते अनादिकाल से कपाटोद्घाटन की परंपरा की तिथि को बदला जा सकता है। तो यूपी के इस विधायक को राज्य की सीमा मंे प्रवेश करते ही क्वारंटीन क्यों नहीं किया गया? और विधायक त्रिपाठी पूरे लाव-लश्कर के साथ कई जनपदों को पार करता हुआ चमोली जनपद में पहंुच गया।
यूपी के इस विधायक के पास राज्य के बरिष्ठ नौकरशाह का संस्तुति पत्र था, जिसकी आड़ में वह जनपद चमोली तक पहंुच गया। लेकिन चमोली के मुस्तैद पुलिस व प्रशासन ने विधायक की सारी हेकड़ी निकालते हुए उसे वैरंग लौटने के लिए विवश कर दिया।
कोविड-19 के कारण लोग अपने घरों तक नहीं पंहुच पा रहे हैं, यहाॅ तक अपने माता/पिता अथवा सगे संबधियों की अंतेष्टि में भी शामिल नहीं हो सके हैं, लेकिन यूपी का यह विधायक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के स्व0 पिता के पितृ कार्य व तर्पण के लिए बदरीनाथ जाने की आड़ लेकर चमोली तक पंहुच गया। राज्य के वरिष्ठ अफसर उस अराजक विधायक का सुरक्षा कवच बन गए। सीएम योगी जी के पूर्व आश्रम के भरे-पूरे परिवार की मौजूदगी तथा बिना वार्षिक श्राद्ध व पार्वण श्राद्ध के ही तीर्थधाम में पितृ तर्पण किसी गैर द्वारा किया जाना शास्त्र विरूद्ध है, बावजूद विधायक को इस बिना पर ही बदरीनाथ व केदारनाथ आवागमन की परिमीशन मिल जाती है।
यहाॅ यह उल्लेख करना भी बेहद जरूरी है कि बीते दिनांे चमोली जनपद के ही पुरसाडी गाॅव के संतोष पुरोहित की माता का निधन हो गया था और वह हरिद्वार में नौकरी करते हैं, किसी तरह वहाॅ से परमीशन बना कर वह अपने जनपद के गौचर पंहुच गये, लेकिन लाॅकडाउन व गाइडलाइन का हवाला देकर उन्हें गौचर में ही रोक दिया गया और संतोष अपनी माता के अंतिम दर्शन भी नहीं कर सके। अगले दिन अनुनय-विनय के बाद एक अधिकारी उसे पुरसाडी तक ले गए और परिवार वालों से भेंट कराकर अपने साथ ही वापस ले आए। संतोष को आज भी इस बात का मलाल है कि माता जी के निधन पर कई जनपदांे की पुलिस व प्रशासन ने उन्हें आने दिया लेकिन अपने ही जनपद व घर के पास पंहुचकर भी वह माॅ के अंतिम दर्शन नहीं कर सके। लेकिन यूपी का विधायक सिर्फ घूमने का बहाना लेकर कई जनपदों को पार करता हुआ सीमांत जनपद चमोली में प्रवेश कर गया।
इस पूरे प्रकरण में कर्णप्रयाग के एसडीएम वैभव गुप्ता के साहस की सराहना की जानी चाहिए कि उन्होंने भारत सरकार की गाइडलाइन का पालन करते हुए विधायक त्रिपाठी को 14दिन क्वांरटाइन में रहने के निर्देश दे दिए और विधायक को अपने लाव-लश्कर के साथ वैरंग लौटने को विवश होना पड़ा।












