रिपोर्ट – सत्यपाल नेगी
रुद्रप्रयाग – जनपद रुद्रप्रयाग के विकासखण्ड अगस्त्यमुनि के अंतर्गत मदोला एक ऐसा गाँव है,जहाँ के लोग आज भी सैकड़ो सालों से शत प्रतिशत खेती पौराणिक तरीको बैलो से हल लगाकर करते चले आ रहे है,यहाँ रोपाई के समय बैलो पर अतिरिक्त काम का बोझ भी बढ़ जाता है,जिससे अधिक समय के साथ-साथ बैलो पर भी मार पड़ती रहती है। बेशक मदोला गाँव की रोपाई का अपना अलग ही महत्व रहा है जिसे लोग एक उत्सव के तौर पर मिल जुल कर निभाते है.बेशक आज नये कृषि यंत्रो के आने से मिनी पावर टिलर का भी स्तेमाल होने लगा है।
बताते चले कि जनपद रुद्रप्रयाग के मदोला गाँव के युवा चन्द्र मोहन सिंह नेगी ने पहली बार आधुनिक तकनीकी मशीन मिनी पावर टिलर से रोपाई करने की पहल शुरू की है,अभी तक यहाँ बैलो से ही रोपाई की जाती रही है,जिससे बैलो पर अतिरिक्त मार भी पड़ती थी।
चंद्र मोहन सिंह नेगी का मानना है कि आज आधुनिक संसाधनो,नये नये कृषि यंत्रो के बाजार मे आने से ग्रामीण कृषको को भी काफी राहत मिलनी शुरू हुई है,अब युवा पीढ़ी ने भी सुविधा जनक मशीन मिनी पावर टिलर को स्तेमाल मे लाना शुरू कर दिया है,जिसके कारण बैलो से हल लगाने की सदीयो पुरानी रीति धीरे धीरे कम होने लगी है.वही कि बैलो को पालना इस युग मे कोई नहीं चाहता है,क्योंकि घास,चारे की बड़ी दिक्क़ते हो रही है,साथ ही पशुओं मे तरह तरह रोग भी फैल रहे है,जिस कारण लोग अब सुविधा जनक उपकरण पावर टिलर का स्तेमाल करना पसंद कर रहे है.इससे समय की बचत ओर कम समय मे ज्यादा जुताई की जा सकती है।
आपको बता दे कि जनपद रुद्रप्रयाग के मदोला गाँव मे जुलाई माह से रोपाई शुरू होती है,यहाँ होने वाली रोपाई इस गाँव की अलग ही अपनी पहचान रखती है,गॉँव के लोग आज भी आपस मे सामूहिक रूप से एक दूसरे परिवारों की मदद कर रोपाई करते है।
इन दिनों जहाँ लोग बारिश,तेज धूप मे बाहर नहीं निकलते है वहीं मदोला गाँव के ग्रामीण काम के प्रति इतने समर्पित रहते है कि इन्हे ना बारिश के अलर्ट का डर रहता,ना तेज धूप की परवाह,अगर जूनून है तो बस सिर्फ और सिर्फ अपनी खेती/अनाज के प्रति दिल से समर्पण की भावना।
मदोला गाँव मे पहले दिन धान की पौधों को निकाला जाता है और दूसरे दिन इन खेतो मे पुरुषो द्वारा बैलो एंव छोटे टैक्टरो से हल,लगाकर खेतो को रोपाई के लिए तैयार किया जाताहै,उसके बाद गाँव की महिलाए खेतो मे धान की रूपाई करती है.यहाँ छोटे बच्चो से लेकर बुजुर्ग हो या पढ़े लिखें पुरुष महिलाये सभी एक जुट होकर अपना अपना काम पूरा करते है एक माह तक चलने वाली रोपाई यहाँ एक उत्सव के तौर पर मनाया जाता है,कोई थकान नहीं,कोई परेशानी नहीं,सबका लक्ष्य होता है अपनी खेती को उपजाऊ बनाना।











