
थराली से हरेंद्र बिष्ट।
मां राजराजेश्वरी नंदा देवी का मामा कोट मानें जाने वाले नंदा सिद्धपीठ देवराड़ा से नंदा भगवती का उत्सव डोला 6 माह देवराड़ा में प्रवास करने के बाद आगामी 23 दिसंबर को नंदा देवी का मायका माने जाने वाले नंदा सिद्धपीठ कुरूड़ नन्दानगर के लिए रवाना होगा। उत्सव डोला 20 गांवों में रात्रि प्रवास के बाद 21वें दिन 13 जनवरी 2022 को कुरूड़ पहुंच कर सिद्धपीठ में विराजमान होगी।
दरअसल पिछले लंबे समय से परंपरा चली आ रही हैं कि बधाण पट्टी की कुल देवी नंदा भगवती का उत्सव डोला 6 माह अपने मायके अर्थात कुरूड़ एवं 6 माह अपने मामा कोट देवराड़ा के सिद्धपीठों में विराजमान रहेगी।इन्ही महिनों के बीच उत्सव डोली आम वर्षों में वेदनी बुग्याल तक की एवं 12 वर्षों में एक बार होमकुंड़ की यात्रा जिसे राजजात यात्रा के नाम से भी जाना जाता हैं पर जाती हैं।इस परंपरा के तहत देवी का डोला वेदनी अथवा होमकुंड से वापस देवराड़ा आता है और यही पर पौष मास तक विराजमान रहता है।पौष मास में पंचांगों की गणना के अनुसार डोली सिद्वपीठ देवराड़ा से कुरूड़ जाती है और अगले 6 माह वहा पर प्रवास के बाद पुनः यात्रा पर निकलती हैं।
इस वर्ष डोली के देवराड़ा से कुरुड़ के लिए रवानगी एवं कुरूड़ सिद्धपीठ मे विराजमान होने की तिथियां घोषित कर दी गई हैं। यहां पर मां नंदा देवी राजराजेश्वरी सिद्वपीठ देवराड़ा के अध्यक्ष भूवन चंद्र हटवाल ने बताया कि सिद्धपीठ देवराड़ा थराली में गौड़ पंडित नरेश प्रसाद गौड़ एवं आचार्य पारेश्वर प्रसाद देवराड़ी ने पंचांगों की गणना के अनुसार पौष मास की 8 गतें अथवा 23 दिसंबर को डोली के सिद्वपीठ देवराड़ा के गर्भगृह से बहार निकालने एवं पूजा.अर्चना के बाद उसी दिन सुनाऊं मल्ला होते हुए अपने पहले पड़ाव बज्वाण पहुंचने की तिथि घोषित की हैं।
24 दिसंबर को डोली बज्वाड़ से माल होते हुए मेलठा रात्रि विश्राम के लिए पहुचेगी 25 को मेलठा से देवल होते हुए किमनी, 26 को किमनी से ढालू होते हुए नैल, 27 को नैल से आदरा होते हुए नौणा, 28 को नौणा से बज्वाड़ होते हुए आलकोट, 29 को आलकोट से झिझोली होते हुए भटियाणा 30 को भटियाणा से मेटा होते हुए तल्ला मेटा 31 दिसंबर को तल्ला मेटा से धारबारम होते हुए गैरबारम रात्रि विश्राम के लिए पहुंचेगी। 1 जनवरी 2022 को नंदा डोली गैरबाम से त्यूला होते हुए वमण गांव, 2 को वमण गांव से हरमनी होते हुए देवपुरी, 3 को देवपुरी से सनेड़ होते हुए ज्यूड़ा 4 को ज्यूड़ा से मैदोली होते हुए खैनोली, 5 को खैनोली से त्यूला होते हुए कंसोला, 6 को कंसोला से नौगांव होते हुए मरौड़ा, 7 को मरौड़ा से गढ़कोट होते हुए हंसकोटी, 8 को हसकोटी से पाली होते हुए बैनोली, 9 को बैनोली से मींग होते हुए पैठाणी, 10 को पैठाणी से बनैला होते हुए सिमली 11 को सिमली से नाखोली होते हुए सणकोट, 12 को सणकोट से नन्दानगर के बजबगड़ से होते हुए सैंती में रात्रि विश्राम के लिए पहुचेगीए13 जनवरी को डोली सैंती से नन्दानगर स्थित शिव मंदिर से होते हुए नंदा सिद्धपीठ कुरूड़ पहुंचेगी। जहां पर महायज्ञ एवं अन्य पूजा प्रतिष्ठा के साथ ही नंदा का उत्सव डोले को विधि.विधान के साथ मंत्रोच्चार के बीच सिद्धपीठ के गर्भगृह में विराजमान कराया जाएगा।यही से अगले साल भादों मास में एक बार फिर से नंदा लोक जात यात्रा 2022 का शुभारंभ होगा।












