रिपोर्ट:हरेंद्र बिष्ट
थराली।6 माह के लंबे समय बाद एक बार फिर से मां बधाण की नंदादेवी की उत्सव डोली के नंदा शिद्वपीठ देवराड़ा पहुंचने की तिथि करीब आने के साथ ही देवराड़ा में देव डोली के स्वागत की तैयारियां तेज हो गई हैं।श्री राजराजेश्वरी नंदादेवी की लोकजात यात्रा आगामी 29 सितंबर को नंदा सिद्वपीठ एवं नंदादेवी का मामाकोट माने जाने वाले देवराड़ा गांव पहुंचेगी।उसी दिन उत्सव डोली यहां स्थित मंदिर के गर्भगृह में विराजमान हो जाएगी। अगले 6 माह तक उत्सव डोली इसी सिद्वपीठ में विराजमान रहेंगी। यही पर कुरूड गांव के गौड़ ब्राह्मण नंदादेवी की पूजा अर्चना करते रहेंगे। देवी की डोली पहुंचने की तिथि करीब आते ही देवराड़ा में उसके स्वागत की तैयारियां तेज हो गई हैं। यात्रा के गांव पहुंचने को लेकर क्षेत्र के नंदा भक्तों में काफी अधिक उत्साह बना हुआ हैं। गत दिवस देवराड़ा मंदिर समिति के अध्यक्ष भूवन हटवाल की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में तैयारियां को अंतिम रूप देते हुए तैय किया गया कि मंदिर की साफ-सफाई के साथ ही गांव के रस्तों को साफ किया जाएगा। इसके अलावा देवी के आगमन पर सामुहिक भंडारे का भी आयोजन किया जाएगा। इस अवसर पर पार्षद सीमा देवी, सरपंच लाल सिह गुसाई, वीरेंद्र सिह रावत, बलवंत सिह रावत, जगदीश पुरोहित, किशोर पंत, अब्बल सिंह गुसांई, केदार पंत, पूर्व क्षेपंस महेशी देवी,मदन सिह गुसांई, मोहन प्रसाद देवराडी कुवंर सिह गुसाई आदि ने विचार व्यक्त किए।तो इस बार नंदादेवी की उत्सव डोली शारदीय पूर्णमासी के दिन ही देवराड़ा सिद्वपीठ में विराजमान होगी। जिससे नंदा भक्तों में मायूसी व्याप्त होने लगी हैं। दरअसल आम तौर पर नंदादेवी की उत्सव डोली भादों मास की अनंत चतुर्दशी के पर्व पर नंदापीठ के गर्भगृह में विराजमान होने की परंपरा है। इसके अगले दिन अर्थात भादों मास की पूर्णमासी के दिन से नवरात्रि शराद शुरू हो जातें हैं। किंतु इस बार शराद पक्ष में ही देव डोली अपनी पीठ पर बैठ पाएंगे।इस संबंध में पूछे जाने पर श्री नंदादेवी राजराजेश्वरी मंदिर कमेटी कुरूड (परगना नंदाक बधाण) के अध्यक्ष नरेश गौड़ का कहना हैं कि पहले ही 20 पड़ाव तैय हो चुकें हैं ऊपर से एकादशी की तिथि क्षय हैं जिस कारण डोली चतुर्दशी के बजाय पूर्णमासी के दिन देवराड़ा पीठ में विराजमान हो पा रही हैं।