रिपोर्ट:कमल बिष्ट
कोटद्वार। राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय कोटद्वार की आई.क्यू.ए.सी. के प्रयासों से देव संस्कृति विश्वविद्यालय गायत्रीकुंज- शांतिकुंज, हरिद्वार, उत्तराखंड और डॉ० पी.डी.बी.एच. राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय कोटद्वार के मध्य शिक्षा, संस्कृति, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा के क्षेत्र में वैज्ञानिक, तकनीकी और शैक्षिक सहयोग को बढ़ावा देने तथा जैव विविधता संरक्षण, कौशल विकास, स्वरोजगार और मानव कल्याण के अन्य क्षेत्रों के साथ-साथ आपसी हितों के क्षेत्रों में संयुक्त अनुसंधान और विकास परियोजनाएं के क्रियावन हेतु एक समझौता ज्ञापन ( एमओयू ) हस्ताक्षरित किया गया। देव संस्कृति विश्वविद्यालय शांतिकुंज, हरिद्वार में सम्पन्न इस समझौता ज्ञापन में डॉ० चिन्मय पंड्या, प्रति कुलपति, देव संस्कृति विश्वविद्यालय गायत्रीकुंज – शांतिकुंज, हरिद्वार, एवं राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय कोटद्वार की प्राचार्या प्रोफेसर जानकी पंवार द्वारा हस्ताक्षर किए गए। इस अवसर पर कोटद्वार महाविद्यालय के आई.क्यू.ए.सी. कॉर्डिनटर डॉ० प्रवीन जोशी तथा देव संस्कृति विश्वविद्यालय के पर्सनल एवं प्रोटोकॉल अधिकारी डॉ० अश्वनी शर्मा भी उपस्थित रहे।प्रति कुलपति डॉ० चिन्मय पंड्या का आभार व्यक्त करते हुए महाविद्यालय की प्राचार्या प्रोफेसर पंवार ने बताया कि समझौता ज्ञापन का उद्देश्य दोनों संस्थानों में कार्यरत संकायों के प्राध्यापकों व कर्मचारियों को पारस्परिक प्रशिक्षण, शैक्षणिक और प्रशासनिक विशेषज्ञता और हितों के पारस्परिक क्षेत्रों में लगे संकाय, छात्रों और तकनीकी कर्मचारियों सहित कर्मियों का आदान-प्रदान, विभिन्न शैक्षणिक स्तर पर सेमिनार, परिसंवाद, प्रशिक्षण एवं जागरूकता कार्यक्रम और पाठ्यक्रमों का आयोजन, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय फंडिंग एजेंसियों और फाउंडेशनों से धन प्राप्त करने के लिए संयुक्त अनुदान प्रस्तावों का विकास तथा स्वरोजगार एवं कौशल विकास आदि को बढ़ावा देना है।
आई.क्यू.ए.सी. कॉर्डिनटर डॉ० प्रवीन जोशी ने बताया कि आपसी हितों के क्षेत्रों में सभी सहयोगात्मक अनुसंधान और शिक्षण गतिविधियाँ दोनों संस्थानों की नीतियों, कानून, मिशन और कानूनी आवश्यकताओं के अनुसार संचालित की जाएंगी। संयुक्त परियोजनाओं में विकसित किसी भी बौद्धिक संपदा (आईपी) के अधिकारों को संबंधित संस्थानों की आईपी नीतियों के अनुसार विनियमित किया जाएगा। देव संस्कृति विश्वविद्यालय के पर्सनल एवं प्रोटोकॉल अधिकारी डॉ० अश्वनी शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि दोनों संस्थानों द्वारा हस्ताक्षर किए जाने के बाद प्रभावी यह एम.ओ.यू. तीन साल की प्रारंभिक अवधि के लिए वैध रहेगा जिसे आपसी समझौते के अधीन नवीनीकृत किया जा सकता है।