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बीरेंद्र को मिला उर्गम घाटी में आओ जीत गौरा देवी पर्यावरण प्रकृति पर्यटन विकास मेले में मिला गौरा देवी पर्यावरण सम्मान 2024

08/06/24
in उत्तराखंड, चमोली
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लक्ष्मण सिंह नेगी। चमोली। गौरा देवी पर्यावरण एवं प्रकृति पर्यटन विकास मेले का आयोजन हर वर्ष जनदेश सामाजिक संगठन के द्वारा आयोजित किया जाता है इस वर्ष चिपको आंदोलन की 50वीं वर्षगांठ पर इस कार्यक्रम को भव्य रूप दिया गया और विश्व पर्यावरण दिवस 5 और 6 जून को राशि की इंटर कॉलेज उर्गम में गौरा देवी सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर देशभर के दो दर्जन से अधिक लोगों को गौरा देवी पर्यावरण सम्मान दिया गया इस सम्मान में एक नाम वीरेंद्र गोदियालका था। वीरेंद्र गोदियाल एक लंबे समय से पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन के लिए काम कर रहे हैं उन्होंने पौड़ी गढ़वाल में एक अलग जगाने का काम किया है अपने पर्यावरण संरक्षण की शिक्षा अपने स्वर्गीय पिता दाताराम गोदियाल सेविनिवृत वन क्षेत्राधिकारी से मिली और गुरु शिक्षा मैती आन्दोलन के प्रणेता पद्मश्री कल्याण सिंह रावत जी से प्रेरित होकर उन्होंने ने अपनी जन्म भूमि एवं कर्मभूमि जनता जूनियर हाईस्कूल पाटुली से 15जुलाई2000सेछात्र छात्राओं के जन्मदिवस से समलौण पौधारोपण का कार्य शुरू किया, तथा छात्र छात्राओं के सहयोग से विधालय में ही समलौण नर्सरी की स्थापना कर समलौण वन बन सके,आज समलौण वन में 500से अधिक विभिन्न प्रजातियों आम, अमरूद, नींबू, मौसमी,तेजपात,बोतलब्रुश बांज, जामुन, सुराही, देवदार आदि के पौधे एवं वृक्ष है॑, महापुरुषों के नाम पर समलौण पौधारोपण किया जाता है,इस पहल को आगे बढ़ाने के लिए वर्ष 2010मे मैंने समळौण पश्चिमी नयार घाटी पर्यावरण संरक्षण समिति का गठन किया, जिससे द्वारा छात्र छात्राओं के शैक्षिक उत्थान एवं पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक के लिए जगह जगह शैक्षणिक संस्थानों में प्राथमिक से लेकर स्नातकोत्तर तक वाल युवा सम्मेलन का कार्यक्रम किया जाता है, जिसमें विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है, सफल प्रतिभागियों को पुरस्कार स्वरूप भेंट किए जाते हैं।इसी परिप्रेक्ष्य में ग्रामीण स्तर पर समलौण आन्दोलन को आगे बढ़ाने के लिए जीस प्रकार से देश की सेवा के लिए जल ,थल एवं वायुसेनाऐ॑ कार्य करती हैं, ठीक उसी प्रकार से गांव के पर्यावरण को बचाने के लिए गांव की महिलाओं का संगठन बनाकर समलौण सेना का गठन किया जाता है, जिसका नेतृत्व सेना नायिका करती है, और एक महिला को उस सेना का कोषाध्यक्ष बनाया जाता है, बाकी सारे गांव की महिलाएं उस सेना की सदस्य होती हैं, सेना के द्वारा संयुक्त खाता सेना नायिका एवं कोषाध्यक्ष के नाम से संचालित होता है,जब भी किसी परिवार में कोई संस्कार रूपी कार्यक्रम होता है, समलौण सेना स्वयं के साधन से एक पौधा उस संस्कार के उपलक्ष में रोपित करवाती है, और उस समलौण पौध की संरक्षण की जिम्मेदारी उस परिवार को दिया जाता है।वह परिवार उस सेना को पुरस्कार स्वरूप कुछ धनराशि भेंट करता है,जो कि सेना की एक आय बन जाती है,इसी प्रकार जब गांव में हर संस्कारों के उपलक्ष में समलौण पौधारोपण का कार्य से प्राप्त पुरस्कार राशि संयुक्त खाता में जमा होती है,वह राशि गांव की आर्थिक स्थिति को मजबूत करता है, जिससे पर्यावरण, शिक्षा स्वास्थ्य, पंचायती सामान एवं स्वरोजगार आदि के साधन अपनाऐ जा सकते हैं। वहीं दूसरी तरफ संस्कारों में रोपित पौधों पर भावनात्मक लगाव से पर्यावरण संरक्षण में वृद्धि होती है। इसके साथ साथ हमारी लुप्त हो संस्कृति के संरक्षण एवं पर्यावरण के प्रति जागरूक के लिए वर्ष 2016से प्रति वर्ष माह जनवरी में राठ महोत्सव का आयोजन थडिया चौ॑फला लौकनृत्य प्रतियोगिता के रूप में किया जाता है। और पर्यावरण के क्षेत्र में कार्य करने वाले मनीषियों को समळौ॑ण सम्मान से सम्मानित भी किया जाता है।

30 जुलाई 2010को राठ क्षेत्र की आराध्य देवी मां बू॑खाल का॑लिका मे बलि प्रथा को बंद करने माननीय प्रख्यात पशु प्रेमी सांसद श्रीमती मेनका गांधी जी राजकीय इंटर कालेज चौरीखा॑ल में एक सेमिनार में पहुंची,उन निरीह पशुओं की आत्मा की शान्ति के लिए मैंने तत्कालीन जिलाधिकारी महोदय श्री दिलीप जावलकर जी के मार्गदर्शन में मैनका गांधी जी के हाथों एक बांज का समलौण पौधा मैंने लगवाया, जिसके संरक्षण की जिम्मेदारी विधालय के प्रधानाचार्य जी को दी गई,मै भी उस विधालय का छात्र होने के कारण उस पौधे को देखने आता रहता,वह दिन प्रतिदिन पल्लवित पोषित होकर एक दिन वृक्ष बन गया,मैरे मन में एक ख्याल आया कि जिस प्रकार से हम अपने और अपने बच्चों कि जन्मदिवस बड़े धूमधाम से मनाते हैं, क्यों ना हम वृक्षों का भी जन्मोत्सव मनाए॑,इसी परिप्रेक्ष्य में 30जुलाई2020को उस वृक्ष की दसवीं वर्षगांठ पर वृक्ष जन्मोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया गया, साथ ही,हर वर्ष 30 जुलाई को वृक्ष संरक्षण दिवस एक संकल्प के रूप में वृहद वृक्षारोपण कार्य के रूप में मनाया जाता है, साथ ही सरकार से मांग है कि 30जुलाई को वृक्ष संरक्षण दिवस घोषित हो।

समलौण आज एक जन आंदोलन बन चुका है। इसमें ब्लाक, जिला, एवं राज्य संयोजिका एवं संयोजको के माध्यम से प्रचार प्रसार का कार्य किया जाता है।आज हर संस्कारों के उपलक्ष में कुल रोपित पौधों की अनुमानित संख्या 1,00000से अधिक हो चुकी है। इनको मिलने वाली मुख्य उपलब्धिया

आज ग्रामीणों के द्वारा हर संस्कारों के अवसर पर समलौण पौधारोपण का कार्य बृहद स्तर पर किया जा रहा है।

गांव गांव में बंजर पड़ी भूमि में पौधारोपण कर समलौण वन की स्थापना।

शैक्षणिक संस्थानों में भी समळौ॑ण वन की स्थापना भी प्रगति पर है।

पर्यावरण क्षेत्र में मिले सम्मान।

मैती सम्मान, लौह पुरुष पंडित देवराम नौटियाल पर्यावरण सम्मान,गौरव जन कल्याण सम्मान, शिक्षा रत्न सम्मान, सुंदरलाल बहुगुणा वृक्ष मित्र सम्मान,ग्रीन ग्लोबल अवार्ड,हिंदुस्तान समाचार पत्र द्वारा हिमालय मित्र की उपाधि, गंगा श्री सम्मान, केदार सिंह रावत पर्यावरण सम्मान,सुधीन्द्र सम्मान, अमर उजाला की ओर से देवभूमि शिक्षा उत्कृष्ट सम्मान, सामाजिक सेवा सम्मान,बीना स्मृति सम्मान, गौरादेवी पर्यावरण सम्मान 2024 इनको आज तक मिल चुके हैं।

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