ब्यूरो रिपोर्ट। आज राष्ट्रीय पुस्तकालय दिवस बड़े ही धूमधाम से मनाया गया, जिसका आयोजन सेंट्रल गवर्नमेंट लाइब्रेरी एसोसिएशन (CGLA) और दून लाइब्रेरी एंड रिसर्च सेंटर (DLRC) ने DLRC के मल्टी एक्टिविटी ऑडिटोरियम में संयुक्त रूप से किया। इस विशेष अवसर पर पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान के जनक डॉ. सियाली राममृत रंगनाथन की 132वीं जयंती मनाई गई। इस कार्यक्रम में 100 से अधिक पेशेवरों ने भाग लिया, जिन्होंने डॉ. रंगनाथन की विरासत को सम्मानित करते हुए पुस्तकालय पेशे के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को पुनः प्रकट किया। कार्यक्रम की शुरुआत माननीय अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ हुई, जिसके बाद भारतीय सैन्य अकादमी की श्रीमती हिमानी द्वारा सरस्वती वंदना की मधुर प्रस्तुति की गई, जिसने इस पवित्र दिन की शुरुआत को और भी विशेष बना दिया। श्री मनीष शर्मा द्वारा निर्मित एक वृत्तचित्र फिल्म, जो भारतीय सैन्य अकादमी से हैं, ने डॉ. एस. आर. रंगनाथन के जीवन और उनकी उपलब्धियों को संक्षेप में प्रस्तुत किया, जिससे पुस्तकालय विज्ञान के क्षेत्र में उनके स्थायी प्रभाव की झलक मिली। प्रतिनिधियों का स्वागत और उद्घाटन भाषणः श्री एन. रविशंकर, पूर्व मुख्य सचिव और DLRC के निदेशक, ने प्रतिनिधियों का गर्मजोशी से स्वागत किया और दून लाइब्रेरी के विकास का परिचय दिया, इसके समुदाय की सेवा में महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने सभी उपस्थित प्रतिभागियों से DLRC के आगे के सुधार में योगदान देने की अपील की, जिससे यह ज्ञान का एक ऐसा केंद्र बने जो सभी के लिए सुलभ हो। डॉ. बी.के. जोशी, अध्यक्ष और सलाहकार DLRC, ने सभा को संबोधित किया और लाइब्रेरी में हाल ही में किए गए सुधारों पर प्रकाश डाला। उन्होंने 30 नए कंप्यूटर नोड्स का परिचय दिया, जो ई-लाइब्रेरी तक पहुंचने के लिए लगाए गए हैं, जिससे राष्ट्रीय डिजिटल लाइब्रेरी (NDL) और DELNET की सदस्यता के माध्यम से व्यापक संसाधनों तक सहज पहुंच हो सके। इसके अलावा, उन्होंने बच्चों के लिए एक विशेष खंड की शुरुआत की घोषणा की, ताकि समुदाय के सबसे छोटे सदस्य भी पढ़ने के प्रति अपने प्रेम को विकसित कर सकें। वरिष्ठ प्रोफेसर ए.एस. खुल्लर, जिन्होंने स्वास्थ्य चुनौतियों के बावजूद इस कार्यक्रम में भाग लिया, ने पुस्तकों और पुस्तकालयों के अपूरणीय महत्व पर सारगर्भित ढंग से विचार व्यक्त किए। उनकी बातों ने समाज में ज्ञान और संस्कृति को पोषित करने में पुस्तकालयों के गहरे प्रभाव को रेखांकित किया और उन्हें सीखने के केंद्र के रूप में देखा। उपलब्धियों का जश्न और भविष्य की योजनाएँ: CGLA के अध्यक्ष श्री रमेश गोयल ने संघ की उपलब्धियों का संक्षिप्त विवरण दिया और आगामी अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के विषय “Taking Pride in Legacy – Libraries and Archives for Viksit Bharat” का अनावरण किया। यह सम्मेलन 17-19 अक्टूबर 2024 को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, नई दिल्ली में आयोजित किया जाएगा, जो पुस्तकालय समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण आयोजन होगा।पाठकों की आवाजः इस कार्यक्रम में DLRC लाइब्रेरी के तीन नियमित पाठकों- श्रीमती मीनाक्षी कुकरेती भारद्वाज, श्री शाहेब नकवी, और सुश्री हिमानी डांगी ने भी भाग लिया और पुस्तकालयों और पुस्तकों के महत्व पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने लाइब्रेरी की सेवाओं को और अधिक लाभकारी बनाने के लिए सुझाव भी दिए। श्रेष्ठता का सम्मानः श्री चंद्रशेखर तिवारी ने DLRC की उल्लेखनीय यात्रा को साझा किया, जो एक छोटे से कमरे से शुरू होकर अब चार मंजिला ज्ञान के भंडार के रूप में प्रतिष्ठित हो चुका है। उन्होंने लाइब्रेरी में आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों का भी संक्षिप्त विवरण दिया, जिससे यह समुदाय का एक गतिशील केंद्र बन गया है। इस अवसर पर दो प्रमुख पुस्तकालयाध्यक्षों को उत्कृष्ट जीवनपर्यंत उपलब्धि पुरस्कार से भी सम्मानित किया गयाः प्रो. (डॉ.) एस.एन. पांडे, जो हाल ही में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, नई दिल्ली से सेवानिवृत्त हुए हैं, और डॉ. सुसंता कुमार सेनापति, जो सीएसआईआर- सीबीआरआई, रुड़की से प्रमुख तकनीकी अधिकारी के रूप में सेवानिवृत्त हुए हैं। डॉ. पांडे ने अपने संबोधन में पुस्तकालय पेशे के प्रति आजीवन समर्पण के महत्व पर जोर दिया और सेवानिवृत्ति के बाद भी सक्रिय रहने के लिए पुस्तकालयाध्यक्षों को प्रेरित किया। मुख्य भाषण और सम्मानः डॉ. संजीव चोपड़ा, आईएएस, पूर्व निदेशक IBSNA और वैली ऑफ वर्ड्स के संस्थापक, ने एक प्रेरणादायक मुख्य भाषण दिया, जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनके शब्दों ने ज्ञानवर्धक और जागरूक समाजों के निर्माण में पुस्तकालयों की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। समापन से पहले, डॉ. चोपड़ा ने प्रतिभागियों को स्मृति चिन्ह प्रदान किए, और सभी गणमान्य व्यक्तियों को CGLA के अध्यक्ष और महासचिव द्वारा सम्मानित किया गया। समापन टिप्पणीः इस कार्यक्रम का समापन DLRC के पुस्तकालयाध्यक्ष श्री जे.बी. गोयल द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिसमें उन्होंने इस दिन को एक शानदार सफलता बनाने में योगदान देने वाले सभी लोगों का आभार व्यक्त किया। इस कार्यक्रम का कुशल संचालन श्री डी. के. पांडे द्वारा किया गया, जिन्होंने अपने सहज और प्रभावशाली शैली से कार्यक्रम को सफल बनाया। प्रमुख उपस्थितियाँः इस कार्यक्रम में कई प्रतिष्ठित व्यक्तियों की उपस्थिति भी दर्ज की गई, जिनमें डॉ एके सुमन, LIO, IGNFA, डॉ. इंदु नवानी, विभागाध्यक्ष, लाइब्रेरी एवं सूचना विज्ञान, स्पर्श हिमालय विश्वविद्यालय, देहरादून; डॉ. मनीषा अग्रवाल, विभागाध्यक्ष, हिंदी, स्पर्श हिमालय विश्वविद्यालय, देहरादून; श्री राम सोनारे, उप विश्वविद्यालय पुस्तकालयाध्यक्ष, देव संस्कृति विश्वविद्यालय; श्री आर. के. सूद; श्रीमती सी.एम. मामिकः श्री माला दत्ता; श्रीमती सुनीता अग्रवाल; श्री जगदीश; सुमन भारद्वाज, शगुन, गीतांजलि भट्ट, योगिता थपलियाल, प्रियंका, रेनुका, श्री सुंदर सिंह बिष्ट, और श्रीमती अंजना आदि प्रमुख थे। राष्ट्रीय पुस्तकालय दिवस का यह उत्सव न केवल डॉ. रंगनाथन को एक श्रद्धांजलि थी, बल्कि पुस्तकालयों की उस अदम्य भावना का भी प्रमाण था, जो उन्हें ज्ञान और संस्कृति के गढ़ के रूप में स्थापित करती है। इस दिन ने पुस्तकालयों को सीखने और समुदाय को एकजुट करने वाले केंद्र के रूप में विकसित करने के मिशन को जारी रखने के सामूहिक संकल्प को पुनः पुष्ट किया।