डोईवाला, (प्रियांशु सक्सेना) । नई आशा स्वयं सहायता समूह द्वारा होली के रंगो का ऑर्गेनिक उत्पाद किया जा रहा है। यह प्राकृतिक रंग 25 से 100 रुपए की कीमत तक के पैकेट में बिक रहे हैं। यदि आप अपनी त्वचा को रासायनिक युक्त रंगों से बचना चाहते हैं तो इस होली पर ऑर्गेनिक रंगों का इस्तेमाल कर सकते हैं। बच्चे, बूढ़े या महिलाएं सभी को होली का पर्व बेहद पसंद होता है। हर वर्ग के लोग इस त्यौहार का बेसब्री से इंतजार करते हैं। लेकिन बाजारों में मिलने वाले केमिकल युक्त रंगों के उपयोग से न सिर्फ त्वचा को नुकसान पहुंचाते हैं बल्कि आपकी सेहत के लिए भी बेहद नुकसानदायक होते हैं। डायमंड शिक्षा प्रचार समिति की प्रदेश अध्यक्ष एवं समूह की अध्यक्ष आशा सेमवाल ने बताया की उनके द्वारा होली के जैविक रंग बनाने का प्रशिक्षण बीते चार वर्षो से दिया जा रहा है। अब तक वह 1580 महिलाओं को ट्रेनिंग दे चुकी हैं और यह अभियान अभी जारी है। नगर पालिका अंतर्गत वार्ड नंबर 3 सेमवाल हाउस बारुवाला में वह प्रति वर्ष होली के प्राकृतिक रंग बनाने का काम करती हैं और उन्हें नगर पालिका, एसडीआरएफ आदि स्थान पर स्टाल लगाकर बेचती हैं। इन चीजों से बनेंगे होली के प्राकृतिक रंग होली के प्राकृतिक रंग बनाने के लिए गुलाब के फूल की पंखुड़ियां, गेंदे का फूल, लाल चंदन पाउडर, अनार के छिलके, मुल्तानी मिट्टी, हल्दी पाउडर, पुदीना, धनिया, पालक आदि चीजों का इस्तेमाल किया जा सकता है।
कैसे तैयार होते हैं होली के प्राकृतिक रंग
होली पर लाल और गुलाबी रंग को लोग ज्यादा पसंद करते हैं। लाल और गुलाबी रंग को घर पर बनाने के लिए गुलाब के फूलों की पंखुड़ियों को सुखाकर, मसलकर पाउडर बना लें और थोड़ा इसमें चंदन पाउडर भी मिला लें। जबकि इसे गुलाबी रंग देने के लिए इसमें थोड़ा सा गेहूं का आटा मिला दें।यदि आपको होली के पानी वाले प्राकृतिक रंग बनाने हैं तो आप अनार के छिलकों का इस्तेमाल कर सकते हैं। अनार के छिलकों को पानी में डालकर उबाल दें, रातभर रखा रहने दें। सुबह तक आपका लाल रंग तैयार हो जाएगा, ये मानव त्वचा को कई तरह से फायदा भी पहुंचाएगा।