फोटो– यज्ञ कुंण्डो का लेपन करती महिलाएं ।
प्रकाश कपरूवाण
जोशीमठ। नृसिंह मंदिर मठांगण में श्री लक्ष्मी नृंिसंह महायज्ञ सोमवार से, तैयारियाॅ पूरी कर ली गई हैं। उत्तर भारत के ज्योर्तिमठ बदरीकाश्रम क्षेत्र में स्थित भगवान नृसिंह के पौराणिक मंदिर प्रांगण-मठांगण मंे सोमवार 13 अप्रैल से 17अप्रैल नृंिसह जयंती तक 31 कुंण्डीय ’’अष्टमुखगण्डभेरूण्ड’’-श्री लक्ष्मी नृंिसंह महायज्ञ का दिब्य आयोजन किया जा रहा है।
जगदगुरू संन्यास आश्रम ऋषिकेश एंव इंण्डिया कलचरल सेंटर एण्ड टेंपल यूएसए के संयुक्त तत्वाधान मे ज्योर्तिमठ-बदरीकाश्रम क्षेत्र मे पहली बार आयोजित इस 31कुंण्डीय महायज्ञ को लेकर सीमांत क्षेत्र जोशीमठ की धर्मपरायण जनता मे भारी उत्साह का माहौल है। बदरी-केदार मंदिर समिति एव जोशीमठ मे धार्मिक कार्यो का संपादन करने वाल देव पुजाई समिति द्वारा यज्ञ के सफल आयोजन के लिए भरपूर सहयोग किया जा रहा है।
’’अष्टमुखगण्डभेरूण्ड लक्ष्मी नृंिसंह महायज्ञ’’ के प्रेरक महामण्डलेश्वर स्वामी अभिषेक चैतन्य गिरी जी महाराज के अनुसार जगदगुरू संन्यास आश्रम ऋषिकेश एंव इंडिया कलचरल सेंटर एण्ड टेंपल यूएसए द्वारा इससे पूर्व मंगल गिरी-आन्ध्रप्रदेश, मारीशस एवं यूएसए के अलावा हिदुस्तान के प्रसिद्ध नृंिसंह क्षेत्रों मे इस प्रकार के यज्ञों का आयोजन किया जा चुका है। कहा कि उत्तर भारत का प्रसिद्ध नृंिसंह क्षेत्र ज्योर्तिमठ-जोशीमठ ही है, और भगवान नृसिंह के प्रांगण मे यज्ञ के आयोजन से निश्चित ही विश्व के कल्याण का मार्ग प्रशस्त होगा।
महामण्डलेश्वर ने कहा कि देश व समाज की एकता बनी रहे,राग-द्वेष मुक्त समाज की स्थापना हो तथा विश्व कल्याण के साथ ही लोगो की धर्म मे आस्था मजबूत हो इसी के निमित्त इस महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा है।
अष्टमुखगण्डभेरूण्ड नाम से आयोजित इस यज्ञ की विस्तार से जानकारी देते हुए महामण्डलेश्वर अभिषेक चैतन्य गिरी महाराज ने बताया कि भगवान नृंिसंह ने भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए अलग-अलग समय मे अलग-अलग कुल अष्टमुख धारण किए थे। उन्ही मे एक है गण्डभेरूण्ड- उग्र पक्षी का अवतार,और यहाॅ भगवान नृंिसह के मंदिर मे भगवान के उग्र रूप गण्डभेरूण्ड नाम से ही यज्ञ किया जा रहा है।
महामण्डलेश्वर के अनुसार इस विशाल व दिब्य महायज्ञ के मुख्य पुरोहित तिरूपति देवस्थानम टेंपल यूएसए के मुख्य पुजारी आचार्य सत्यनारायण हैं, और तीस वैदिक ब्राहमण त्रिमुला देवस्थानम तिरूपति से यज्ञ के लिए ज्योर्तिमठ-जोशीमठ पंहुच गए है। यज्ञ 13मई से शुरू होकर भगवान नृंिसंह की जयंती पर 17मई को पूर्णाहुति के बाद समाप्त होगा। उन्होने इस विशाल यज्ञ के दर्शन एंव आहुति के लिए सभी श्रद्धालुओं को आयोजन समिति की ओर से आमंत्रित किया है।
इस महायज्ञ के सफल आयोजन के लिए बदरी-केदार मंदिर समिति एंव धार्मिक संस्था देव पुजाई समिति तथा महिला मंगल दलों द्वारा पूर्ण सहयोग किया जा रहा है। महिलाआंे द्वारा गाय के शुद्ध गोबर से 31यज्ञ कुण्डो का लेपन किया गया। यज्ञ की आवश्यकतानुसार पसिर एव अन्य स्थान बदरी-केदार मंदिर समिति द्वारा उपलब्ध कराए गए है।
बदरी-केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष मोहन प्रसाद थपलियाल, मुख्यकार्याधिकारी बीडी ंिसहं, व बदरीनाथ के धर्माधिकारी आचार्य भुवन चंद्र उनियाल ने कहा कि उत्तर भारत के सिद्ध नृंिसंह क्षेत्र के पौराणिक नृसिंह मंदिर मठांगण मे आयोजित होने वाले 31कुंण्डीय श्रीलक्ष्मी-नृसिंह महायज्ञ से निश्चित ही विश्व कल्याणं का मार्ग तो प्रशस्त होगा ही, साथ ही उत्तराख्ंाड वासियांे को भी इस महायज्ञ का पुण्य लाभ मिलेगा। उन्होने सभी सनातन धर्मावलबिंयो व ज्योर्तिमठ-बदरीकाश्रम क्षेत्र की धर्मपरायण जनता से यज्ञ मे शामिल होकर पुण्य लाभ अर्जित करने का आवहान किया है।