देहरादून . उत्तराखंड सरकार द्वारा सभी विभागों में एक पखवाड़े के भीतर पदोन्नति करने हेतु नौ दिसम्बर को जारी आदेश की मियाद आज समाप्त हो गई । हैरानी की बात यह रही कि वित्त विभाग के नियन्त्रणाधीन आडिट विभाग जो स्वयं मुख्यमंत्री के पास हैए में ही यह आदेश बेअसर रहा ।
खाली पदों पर वर्षों से पदोन्नति की आस लगाए गए विभाग के कार्मिक बेवजह पदोन्नति रोके जाने से बेहद हताश व नाराज हैं। उत्तराखंड कार्मिक एकता मंच ने पूरे मामले को मुख्यमंत्री समेत आला अधिकारियों के संज्ञान में लाते हुए बेवजह रोकी गई पदोन्नति के मामलों में जवाबदेही तय करने की मांग की है ।
एकता मंच के महासचिव दिगम्बर फुलोरिया द्वारा मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में लेखा परीक्षा अधिकारी के रिक्त 04 पदों को आडिट निदेशालय द्वारा पदोन्नति के पद होने से इन्कार किये जाने पर कड़ी आपत्ति जताते हुए इसे सरासर ग़लत बताया है।
विभाग में संयुक्त निदेशक के 2, उपनिदेशक के 4 तथा लेखा परीक्षा अधिकारी के 4 पद खाली हैं । एकता मंच ने इन पदों पर पदोन्नति अवरुद्ध होने के पीछे गलत मंशा के साथ ही संवाद शून्यता, वादाखिलाफी और तानाशाही को मूल कारण बताया है ।
बता दें कि लेखा परीक्षा अधिकारी के उक्त पदों पर पदोन्नति हेतु सहायक लेखा परीक्षा अधिकारी रमेश चंद्र पाण्डे द्वारा किये गये अनुरोध के जवाब में निदेशालय द्वारा उन्हें उक्त प्रत्युत्तर दिया गया है । 31 दिसम्बर को रिटायर हो रहे पाण्डे ने निदेशालय के प्रत्युत्तर से असहमत होते हुए 17 दिसम्बर को निदेशक को भेजे पत्र में इन पदों को पदोन्नति का ही पद होने के पक्ष में जहां ठोस तर्क दिए हैं वहीं यह भी सवाल उठाया है कि अगर ये पद पदोन्नति के नहीं तो क्यों नहीं भेजा अब तक सीधी भर्ती का अधियाचन।
श्री पाण्डे के पत्र को मुख्यमंत्री को भेजते हुए एकता मंच के महासचिव श्री फुलोरिया ने कहा है अपने सेवाकाल में नरेन्द्र नगर में कार्यरत अवधि के दरम्यान राज्य प्राप्ति के आन्दोलन में विशेष अग्रणी भूमिका निभाने वाले श्री पाण्डे सहित समूचा कार्मिक समुदाय ब्यूरोक्रेसी के तानाशाही पूर्ण रवैए से हतप्रभ हैं ।