—————— प्रकाश कपरुवाण।
ज्योतिर्मठ,22फरवरी।
पहाड़ियों की शहादत के बाद बने पहाड़ी राज्य उत्तराखंड को बने मात्र 24वर्ष मे ही पहाड़ वासियों को ये दिन देखने पड़ेंगे ऐसा तो राज्य आंदोलनकारियों ने कभी सोचा भी नहीं था, जिन सपनो व संकल्पों को लेकर राज्य की अवधारणा थी वह सब चकनाचूर होते दिख रही है, ख़ासकर तब जब सदन चलाने की जिम्मेदारी निभाने की भूमिका वाले संसदीय कार्य मंत्री ही पहाड़ व पहाड़ वासियों को अपशब्द बोल दें।
संसदीय कार्य मंत्री प्रेम चन्द्र अग्रवाल द्वारा शुक्रवार को सदन मे दिए गए पहाड़ विरोधी बयान के बाद पहाड़ी राज्य मे आग सुलगने का अंदेशा तो था ही जो आज सच भी साबित हुआ, सीमांत नगर ज्योतिर्मठ से लेकर ऋषिकेश सहित तमाम पहाड़ी शहरों व कसबों मे मंत्री प्रेम चन्द्र अग्रवाल की शव यात्रा व पुतला दहन तो हुआ ही, सदन मे बद्रीनाथ के विधायक लखपत बुटोला ने आक्रामक रुख दिखाकर यह भी स्पष्ट कर दिया कि एक भी पहाड़ी जिनका जमीर जिन्दा है वो पहाड़ियों को गाली बर्दास्त नहीं कर सकता।
विधायक लखपत बुटोला का समर्थन करते हुए विधायक उमेश शर्मा ने भी जोरदार तड़का मारते हुए कहा कि न केवल देश के सबसे बड़े सूबे के मुखिया पहाड़ी मूल के हैं बल्कि देश सुरक्षा सलाहकार भी पहाड़ी राज्य उत्तराखंड के ही हैं, इसलिए भलाई इसी मे है कि मंत्री प्रेम चन्द्र अग्रवाल अपने बयान पर समय रहते माफी मांग लें।
वास्तव मे पिछले कई महीनों से मंत्री प्रेम चन्द्र अग्रवाल के तेवर कुछ ज्यादा ही तीखे दिख रहे हैं, चाहे बीच सड़क पर मारपीट का मामला हो या मेयर चुनाव मे उनकी भूमिका, इन सबके बावजूद अनुशासित कही जाने वाली पार्टी आखिर क्यों मौन साधे है?।
भाजपा के दिल्ली प्रदेश के कद्दावर नेता बीरेंद्र जुयाल ने मंत्री प्रेम चन्द्र अग्रवाल के बयान के बाद जो अपनी पहली प्रतिक्रिया दी है उससे उनकी पीड़ा को समझा जा सकता है, श्री जुयाल ने अपने बयान मे राज्य के मुख्यमंत्री एवं विधानसभा अध्यक्ष से मंत्री प्रेम चन्द्र पर कठोर कार्यवाही की मांग तक कर दी है।
अब देखना होगा कि अनुशासित पार्टी सिर्फ ग्रास रूट वर्कर पर ही अनुशासन का डंडा चलाती है या पदों पर बैठे बयानबीरों को भी अनुशासन का पाठ पढ़ायेगी इस पर गाली सुनकर मौन साधने वाले पहाड़ियों की भी नजरें रहेंगी।