रिपोर्ट-सत्यपाल नेगी/रुद्रप्रयाग
जनपद रुद्रप्रयाग के गुलाब राय मैदान में गौ.गंगा कृपाकांक्षी पूज्य श्री गोपाल मणि महाराज के पावन सानिध्य में धेनु मानस गौ राम कथा आयोजन 28 दिसम्बर से शुरू हुआ, 3 जनवरी तक चलेगा।

पूज्य गोपाल मणि महाराज ने कहा कि जिस घर में गौ माता और कन्या नहीं हो वहाँ दया और धर्म का भी स्थान नहीं रहता। शास्त्रों.वेदों मे कहा गया है कि दो ही प्राणी है जिन्हे कोई रोक टोक नहीं थी. वें है, गौ माता और ब्राह्मण।
दूसरे दिन की कथा में गुरु गोपालमणि के मुखारविंद से गौ माता की महिमा तथा हमारी संस्कृति में गौ माता को सर्वोच्च स्थान एवं हमारी परंपरा के महत्व के विषय में निरंतर ज्ञान बरसता रहा।गोपाल मणि जी महाराज ने बताया की हमारी संस्कृति ओर हमारी परंपरा इतनी महान है कि हम प्रतिष्ठा दे देकर एक पत्थर को भी एवं एक प्रतिमा को भी भगवान बना देते हैं। तब गौमाता तो चलता फिरता देवालय है, विश्व की मां है।हमारे वेद, पुराणों एवं ग्रंथों ने हमारे पूर्वजों ने हमारे बड़ों ने गाय को माता के रूप में स्वीकार किया है।
गुरु गोपाल मणि ने कहा कि पुराने जमाने में हमारी दादी, नानी, घर की माताएं सबसे पहले सुबह उठकर गाय की पीठ पर हाथ फेरा करती थी।इस हाथ फेरने का मतलब हमने सुबह.सुबह सूर्यनारायण प्रभु से हाथ मिला लिया। गाय के शरीर में 33 करोड़ रोम होते हैं। गाय के शरीर के 33 करोड़ रोम वह 33 करोड़ देवी.देवता हैं। हमें गौ माता को सम्मान देना चाहिए। यदि हम गौ माता को सम्मान देते हैं तो हमारा जीवन सुधर जाएगा।
आज रिश्तों में अनेकों विकृतियां आ गई हैं। बच्चे मां.बाप की बात नहीं मानते। वह सब इसी कारण हो रहा है क्योंकि हम अपनी संस्कृति, अपनी परंपरा, अपने पूर्वजों की बातें, अपने वेदों और ग्रंथों में कहीं बातों को नजरअंदाज कर रहे हैं। हमें उन सब मूल्यों को जीवन में वापस उतारना होगा।
गौमाता को सम्मान देकर हम अपना जीवन सुधार सकते हैं। हमारे हाथ जगन्नाथ प्रभु के हाथ हैं। इन्हें हम रोज गौ माता की सेवा में जीवन के सारे कष्टों को दूर करें ।
गौ रक्षा कथा के आयोजक सच्चिदानंद नौटियाल, पूर्व पालिकाध्यक्ष राकेश नौटियाल, कालिका प्रसाद सेमवाल ने कहा कि मनुष्य जीवन मिला है, इसका सही व सत्य के लिए स्तेमाल करना ही जीवन की शांति है, यह गौ माता की सेवा से ही पुण्य प्राप्त होगा। गौ रक्षा कथा प्रवचन सुनने के लिए भी संख्या मे भक्त लोग पहुँचे रहे है।
इस अवसर पर हरिसिंह सुन्दरमणी गोस्वामी, अवधेश सेमवाल, लक्ष्मी जगवाण, शकुंतला नौटियाल, ज्योति नौटियाल, मंजू पोखरियाल आदि मौजूद रहे।












