डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
एक सुगन्धित सदाबहार जड़ी-बूटी है जिसके पत्ते सुई के आकार के होते हैं। यह भूमध्यसागरीय क्षेत्र का मूल पौधा है। यह पुदीना परिवार लैमियेसी की सदस्य है, जिसमें और भी कई जड़ी.बूटी शामिल हैं। जोशीमठ ब्लॉक के ग्राम पंचायत परसारी, मेरग, लाता, सुभाईं और सलधार गांवों के काश्तकार परंपरागत खेती के साथ ही रोजमैरी का उत्पादन कर रहे हैं। तैयार उत्पाद को जैविक उत्पाद परिषद काश्तकारों के माध्यम से ही विपणन की व्यवस्था करा रहा है। एक नाली भूमि में नकदी फसलों से किसान सालाना 50 हजार कमाते थे, उसी खेत से अब किसान रोजमैरी का उत्पादन कर 25 हजार अतिरिक्त कमाई कर रहे हैं। वर्ष 2014 से गढ़वाल केंद्रीय विवि के वानिकी विभाग की ओर से भी डीबीटी डिपार्टमेंट ऑफ बॉयोटेक्नोलॉजी परियोजना के तहत परसारी और मैरग गांवों में करीब एक हेक्टेयर भू.भाग पर रोजमैरी का उत्पादन किया जा रहा है। वानिकी विभाग की ओर से काश्तकारों को समय.समय पर रोजमैरी के कृषिकरण और इसकी उपयोगिता के बारे में भी टिप्स दिए जा रहे हैं।
वर्ष 2006 से जोशीमठ के मेरग गांव निवासी उमराव सिंह रोजमैरी का उत्पादन कर रहे हैं। उनका कहना है कि रोजमैरी के कृषिकरण से कम मेहनत में अच्छी आय प्राप्त होती है। रोजमैरी के कृषिकरण के लिए एक बार लगाई गई पौध से करीब 8 से 10 वर्षों तक फसल ली जा सकती है। रोजमैरी के फायदे मध्यसागरीय क्षेत्र में होने वाले पुदीना कुल के रोजमैरी के उत्पादों का उपयोग जहां सौंदर्य प्रसाधन की सामग्री बनाने में होता है वहींए रोजमैरी की सूखी पत्तियां जैमए पेय पदार्थों, सब्जियों, मीट व मछली में खुशबू के लिए मसाले बनाने के प्रयोग में लाई जाती है। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में रोजमैरी की सूखी पत्तियों के दाम करीब 350 रुपये प्रति किलो है, वहीं रोजमैरी से निकलने वाले तेल का बाजार भाव करीब 3500 से 4000 रुपये लीटर तक है।
रोजमैरी पौधे को किसी भी जलवायु में उगाया जा सकता है।
पौधे के उत्पादों से मुख्य रूप से हाई क्वालिटी परफ्यूम व मसाले बनाए जाते हैं। उच्च हिमालयी जलवायु में उगने वाले पौधे की गुणवत्ता उच्च स्तर की होती है। जड़ी.बूटी शोध संस्थान, चमोली।औषधीय पौधा रोजमैरी को चमोली की आबोहवा खूब रास आ रही है। जोशीमठ ब्लॉक के ग्राम पंचायत परसारी, मेरग, लाता, सुभाईं और सलधार गांवों के काश्तकार परंपरागत खेती के साथ ही रोजमैरी का उत्पादन कर रहे हैं। तैयार उत्पाद को जैविक उत्पाद परिषद काश्तकारों के माध्यम से ही विपणन की व्यवस्था करा रहा है। एक नाली भूमि में नकदी फसलों से किसान सालाना 50 हजार कमाते थे उसी खेत से अब किसान रोजमैरी का उत्पादन कर 25 अतिरिक्त कमाई कर रहे हैं। वर्ष 2014 से गढ़वाल केंद्रीय विवि के वानिकी विभाग की ओर से भी डीबीटी डिपार्टमेंट ऑफ बॉयोटेक्नोलॉजी, परियोजना के तहत परसारी और मैरग गांवों में करीब एक हेक्टेयर भू.भाग पर रोजमैरी का उत्पादन किया जा रहा है।
वानिकी विभाग की ओर से काश्तकारों को समय.समय पर रोजमैरी के कृषिकरण और इसकी उपयोगिता के बारे में भी टिप्स दिए जा रहे हैं। वर्ष 2006 से जोशीमठ के मेरग गांव निवासी उमराव सिंह रोजमैरी का उत्पादन कर रहे हैं। उनका कहना है कि रोजमैरी के कृषिकरण से कम मेहनत में अच्छी आय प्राप्त होती है। रोजमैरी के कृषिकरण के लिए एक बार लगाई गई पौध से करीब 8 से 10 वर्षों तक फसल ली जा सकती है। रोजमैरी के फायदे भूमध्यसागरीय क्षेत्र में होने वाले पुदीना कुल के रोजमैरी के उत्पादों का उपयोग जहां सौंदर्य प्रसाधन की सामग्री बनाने में होता है वहीं, रोजमैरी की सूखी पत्तियां जैम, पेय पदार्थों, सब्जियों, मीट व मछली में खुशबू के लिए मसाले बनाने के प्रयोग में लाई जाती है।
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में रोजमैरी की सूखी पत्तियों के दाम करीब 350 रुपये प्रतिकिलो हैए वहीं रोजमैरी से निकलने वाले तेल का बाजार भाव करीब 3500 से 4000 रुपये लीटर तक है। रोजमेरी टी का सेवन करना एक लाभकारी विकल्प होता है। वैसे तो कई सारी टी के बारे में आपको जानकारी होगी लेकिन रोज़मेरी टी आपके लिए बेहद फायदेमंद है, क्योंकि इसमें बहुत से पोषक तत्व मौजूद होते हैं जो शरीर को कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करते हैं। रोजमेरी टी के बारे में बहुत से लोगों को जानकारी नहीं होती है और इस वजह से वो इनके लाभों का फायदा नहीं उठा पाते हैं, लेकिन आज हम आपको इसके बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हें आप भी जान सकते हैं। यह चाय एक जड़ी.बूटी से बनी होती है जिसमें एंटीऑक्सीडेंट, एंटी.बैक्टीरियल, एंटी.माइक्रोबियल और सैलिसेलिक एसिड जैसे और भी कई अन्य पोषक तत्व मौजूद होते हैं जो शरीर को कई प्रकार के इंफेक्शन से बचाने में मदद करते हैं। पौधे के उत्पादों से मुख्य रूप से हाई क्वालिटी परफ्यूम व मसाले बनाए जाते हैं। रोजमेरी में कारोनोसोल के गुण मौजूद होते हैं। रोजमेरी का ये गुण कैंसर रोधी होता हैए जो ब्रेस्ट कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर, कोलोन कैंसर, ल्यूकेमिया, स्किन कैंसर व अन्य से बचाव करता है। रोजमेरी का खाने में इस्तेमाल करने से खाने का स्वाद तो बढ़ता ही है साथ ही ये कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से भी बचाता है। रोजमेरी स्वास्थ्य के लिए खजाना उच्च हिमालयी जलवायु में उगने वाले पौधे की गुणवत्ता उच्च स्तर की होती है।