देहरादून:
उत्तराखंड हिमालयी राज्यों में न सिर्फ प्रति व्यक्ति सबसे कम धनराशि जन स्वास्थ्य पर खर्च करता है, बल्कि अन्य राज्यों की तुलना मे कुल राजस्व खर्च (Revenue Expenditure) और जीएसडीपी (GSDP) का सबसे कम हिस्सा भी स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च करता है। देहरादून स्थित एसडीसी फाउंडेशन ने हाल ही में जन स्वास्थ्य पर किये जाने वाले खर्च के मामले में राज्य के प्रदर्शन को रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के हवाले से उजागर किया था।
फाउंडेशन ने इसके लिए तीन पैरामीटर्स का इस्तेमाल किया-
1- जन स्वास्थ्य पर कुल राजस्व खर्च का कितना प्रतिशत खर्च किया जा रहा है।
2- जन स्वास्थ्य पर जीएसडीपी का कितना प्रतिशत खर्च किया जा रहा है।
3- जन स्वास्थ्य पर प्रति व्यक्ति कितना खर्च किया जा रहा है।
इस विश्लेषण में जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और पूर्वोत्तर (असम को छोड़कर) सहित अन्य हिमालयी राज्यों के साथ उत्तराखंड की तुलना की। उत्तराखंड तीनों मापदंडों में सबसे नीचे पायदान पर मिला। यानी कि राज्य ने जम्मू-कश्मीर, पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश और पूर्वोत्तर राज्यों की तुलना में जन स्वास्थ्य पर सबसे कम पैसा खर्च किया है। यह अध्ययन 2019 और 2020 के भारतीय रिजर्व बैंक की रिपोर्ट को आधार बनाकर किया गया।
आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2019-2020 में उत्तराखंड ने जन स्वास्थ्य पर अपने कुल राजस्व खर्च का 6.8 प्रतिशत हिस्सा खर्च किया, जो हिमालयी राज्यों में सबसे कम है ।जम्मू-कश्मीर ने इस दौरान अपने राजस्व खर्च का 7.7 प्रतिशत, पूर्वोत्तर राज्यों ने औसतन 7.5 प्रतिशत और पड़ोसी हिमाचल प्रदेश ने 7.6 प्रतिशत हिस्सा खर्च किया।
इतना ही नहीं उत्तराखंड ने जन स्वास्थ्य पर जीएसडीपी का भी सबसे कम 1.1 प्रतिशत खर्च किया। जबकि, जम्मू-कश्मीर ने 2.9प्रतिशत, हिमाचल प्रदेश ने 1.8 प्रतिशत और पूर्वोत्तर राज्यों ने 2.9 प्रतिशत हिस्सा खर्च किया।\
एसडीसी फाउंडेशन की पहली फैक्टशीट के अनुसार उत्तराखंड ने 2017 से 2019 तक प्रति व्यक्ति स्वास्थ्य सेवाओं पर हिमालयी राज्यों में सबसे कम खर्च किया था । स्वास्थ्य सेवाओं में हिमालयी राज्यों में अरुणाचल प्रदेश ने तीन वर्षों में सबसे ज्यादा 28,417 रुपये प्रति व्यक्ति खर्च किये। जबकि उत्तराखंड ने मात्र 5,887 रुपये खर्च किये। यहां तक कि पड़ोसी हिमाचल प्रदेश ने भी इस मद में उत्तराखंड से 72 प्रतिशत ज्यादा खर्च किया था ।
एसडीसी फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल के कहते हैं कि रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया के राष्ट्रीय आंकड़ों से स्पष्ट हो जाता है कि जन स्वास्थ्य पर खर्च के मामले में हम पिछड़ रहे हैं। राज्य सरकार को अब जन स्वास्थ्य को पहली प्राथमिकता बनाना चाहिए । वे कहते हैं कि कोविड महामारी ने हमारे सामने जो चुनौतियां खड़ी की हैं उसके बाद यह मसला न सिर्फ सार्वजनिक चर्चा का विषय बन गया है, बल्कि यह भी स्पष्ट हो गया है कि हमें जन स्वास्थ्य के ढांचे पर गुणात्मक तरीके से और ज्यादा खर्च करके इसे और मजबूत बनाने ही जरूरत है।
एसडीसी फाउंडेशन के रिसर्च एंड कम्युनिकेशंस हेड ऋषभ श्रीवास्तव कहते हैं, अब समय आ गया है, जबकि सरकार को इन आंकड़ों को करीब से देखना चाहिए और अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए विशेषज्ञों के साथ जुड़ना चाहिए। वे कहते हैं कि जन स्वास्थ्य में निरंतर ज्यादा खर्च करने वाले राज्य ही सुरक्षित और सतत विकास सुनिश्चित करने में बेहतर तरीके से सक्षम बन रहे हैं। आने वाले समय मे उत्तराखंड मे भी स्वास्थ्य सुधार की संभावनाएं हैं ।
एसडीसी फाउंडेशन उत्तराखंड में जलवायु परिवर्तन और जन स्वास्थ्य के मुद्दों पर विशेष फैक्टशीट प्रकाशित करता रहा है। फैक्टशीट का शोध फाउंडेशन के विदुष पांडे और ऋषभ श्रीवास्तव ने किया।