थराली से हरेंद्र बिष्ट।
तो क्या अभी भी भारतीय जनता पार्टी में थराली विधानसभा क्षेत्र में सब कुछ ठीक ठाक नहीं चल रहा है। गुरुवार को इस विधानसभा क्षेत्र से पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी भूपाल राम टम्टा के नामांकन के दौरान पार्टी में टिकट के दावेदारों के द्वारा जिस तरह से दूरी बनाए रखी गई, उससे तो कुछ इसी तरह की आशंकाएं व्यक्त की जा रही हैं। हालांकि शुक्रवार को थराली की विधायक मुन्नी देवी शाह के द्वारा अपनी नाराजगी दूर होने की बात कह कर जिस तरह से एक आडियो संदेश जारी किया गया है, उससे पार्टी को कुछ राहत जरूर मिली है।
दरअसल गुरुवार को थराली सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र के लिए भाजपा की ओर से भूपाल राम टम्टा ने अपना नामांकन पत्र दाखिल किया है। तब माना जा रहा था कि नामांकन के दौरान पार्टी में टिकट की दौड़ में शामिल इस क्षेत्र की वर्तमान विधायक मुन्नी देवी शाह, पूर्व विधायक जीएल शाह, पिछले डेढ़ दशक से लगातार इस सीट से विधायक की भाजपा की ओर से दावेदारी पेश कर रहे बलवीर घुनियाल एवं युवा नेता नरेंद्र भारती अधिकृत प्रत्याशी के साथ जिला मुख्यालय गोपेश्वर में पार्टी के प्रत्याशी के समर्थन में नजर आएंगे, किंतु टिकट की दौड़ में शामिल एक भी नेता नामांकन के दौरान वहां पर नहीं दिखाई दिए। जिससे कई तरह की आशंकाएं फिजाओं में तैरने लगी हैं।
इसके विपरित कांग्रेस के थराली विधानसभा क्षेत्र से अधिकृत दावेदार कांग्रेस पार्टी के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष डॉ जीत राम ने भी गुरुवार को ही अपना नामांकन पत्र दाखिल किया, तो उस दौरान उनके साथ टिकट की दौड़ में शामिल पूर्व जिला पंचायत सदस्य महेश शंकर त्रिकोटी, युवा नेता संदीप पटवाल एवं प्रताप राम, जिला मुख्यालय में अपने प्रत्याशी के साथ दिखाई दिए। इससे कांग्रेस आम जनता में पार्टी में पूरी तरह से एकता होने का संदेश देने में सफल रही।
एक तरह से कांग्रेस अपने पक्ष में मनौवैज्ञानिक माहौल बनाने में सफल रही हैं। जबकि भाजपा इस मामले में अभी तक काफी पीछे दिखाई पड़ रही हैं। हालांकि इस बीच आज शुक्रवार को जरूर भाजपा अपने कुनबे को समेटने में कुछ हद तक तब सफल दिखाई पड़ रही है। जबकि आज थराली की विधायक मुन्नी देवी शाह के द्वारा एक आडियो संदेश जारी कर कहा गया है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत, पार्टी जिलाध्यक्ष रघुवीर सिंह बिष्ट सहित भाजपा के तमाम अन्य बड़े नेताओं ने उनसे टेलीफोन पर बात की है और अब उनकी नाराजगी टिकट वितरण के बाद दूर हो गई है। इसलिए वे अब निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अपना नामांकन नहीं कर रही हैं और वे आने वाले दिनों में पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी को विजयी बनाने के लिए काम करेंगी। भाजपा में सब कुछ कब तक ठीक.ठाक होगा ये तो आने वाले दिनों में ही पता चल पाएगा, लेकिन फिलहाल पार्टी के बड़े नेताओं को प्रचार के साथ ही कुनबे को समेटने में भी अपना समय लगाने पर मजबूर होना पड़ रहा है।












