अल्मोड़ा। नगरपालिका सभागार में आयोजित खुली संगोष्ठी में उपपा के केंद्रीय अध्यक्ष पी सी तिवारी ने कहा कि उत्तराखंड में पिछले 22 वर्षों में राज करने वाली पार्टियां जनविरोधी, उत्तराखंड विरोधी, पूंजीपतियों माफियाओं को बढ़ावा देने वाली नीतियों के कारण उत्तराखंड राज्य आंदोलन के सपने ध्वस्त हो गए हैं। उन्होंने कहा एक हिमालयी उत्तराखंड राज्य को बचाने के लिए राज्य में एक प्रखर राजनीतिक आंदोलन की जरूरत है।
उपपा के संयोजन में क्या राज्य आंदोलन के सपने साकार हुए विषय पर तीन घंटे चली संगोष्ठी में वक्ताओं ने उत्तराखंड में हो रही प्राकृतिक संसाधनों, जमीन की लूट, महंगाई, बेरोजगारी, नौकरियों में भ्रष्टाचार, कृषि क्षेत्र के चौपट होने के साथ शिक्षा, स्वास्थ्य की दुर्दशा, पलायन, विस्थापन की गंभीर स्थितियों ने राज्य की अवधारणा को ध्वस्त कर दिया है जिसकी जिम्मेदारी इस राज्य में पिछले 22 वर्षों में राज करने वाले राजनीतिक दलों व सरकारों की है। वक्ताओं ने कहा कि इन नीतियों में आमूल परिवर्तन के बिना राज्य को संवारा नहीं जा सकता।
संगोष्ठी को संबोधित करते हुए डॉ जे सी दुर्गापाल ने कहा कि नौकरशाही और नेताओं का गठजोड़ जन समस्याओं की उपेक्षा करता है। पैरामिल्ट्री फोर्सेस के मंडलीय अध्यक्ष मनोहर सिंह नेगी ने कहा कि उत्तराखंड की सत्ता में बैठे लोग भले ही उत्तराखंड के रहे हों लेकिन उनकी सरोकार उत्तराखंड विरोधी रहे जिसके कारण राज्य की दुर्दशा हुई।
उपपा के केंद्रीय महासचिव नरेश नौड़ियाल ने कहा दिल्ली व उत्तरप्रदेश के हितों के लिए केंद्र सरकार ने उत्तराखंड राज्य में सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक हितों में कुठाराघात किया जिसका प्रतिकार करने की क्षमता दिल्ली की कठपुतली सरकारों में नहीं थी।
संगोष्ठी में महिला समिति की अध्यक्ष एडवोकेट भावना जोशी, उपपा नेता एडवोकेट नारायण राम, पार्टी की केंद्रीय उपाध्यक्ष आनंदी वर्मा, हीरा देवी, सरिता मेहरा, वसीम अहमद, एडवोकेट रामाशंकर नैनवाल, उपपा केंद्रीय कार्यकारिणी के हेम पांडेय आदि ने विचार व्यक्त किए।
संगोष्ठी में चंपा सुयाल, राजू गिरी, अनीता, हरीश लाल, गोपाल सिंह, दीवान सिंह, हेमा पांडे, भावना पांडे, चंदू तिवारी, एडवोकेट वंदना कोहली, एडवोकेट जीवन चंद्र, बिशन राम टम्टा, गंगा पांडे, मंजू पंत, गोपाल राम, भारती पांडे समेत तमाम लोग शामिल रहे।
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