सोबन सिंह
ग्राम ठाण्डी, उत्तरकाशी। कोरोनाकाल में पहाड़ों से पलायन कर चुके लोग नौकरी गंवाकर पहाड़ों की तरफ वापस आ रहे हैं। केंद्र सरकार के दिशा निर्देशों के अनुसार घर आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को कम से कम 14 दिन के लिए क्वारंटीन में रखा जाएगा। रेड जोन से आने वालों को संस्थागत क्वारंटीन में रखा जाएगा, जबकि आरेंज तथा ग्रीन जोन से आने वालों को होम क्वारंटीन में रखा जाएगा। लेकिन पहाड़ों में क्वारंटीन सेंटर के रूप में विकसित किए जा रहे प्राथमिक स्कूलों और पंचायत घरों के हालात इससे उजागर हो गए हैं। क्वारंटीन सेंटर बनाए गए ग्राम ठाण्डी के प्राथमिक विद्यालय के जर्जर हालात इस कारण सबके सामने आ गए हैं।
क्वारंटीन सेंटर में रखे गए लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग का सबसे पहले अनुपालन करना पड़ता है, लेकिन यहां एक कमरे में एक साथ बिस्तर लगाया गया है। सोशल डिस्टेंसिंग का कोई मतलब नहीं रह गया है। स्कूल का टायलेट से लेकर बरांडे और कमरों का जर्जर फर्स साबित कर रहा है कि हालत किस कदर खराब हैं। जन प्रतिनिधियों तथा शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने इनकी तरफ शायद कभी पलटकर नहीं देखा। अब जब स्कूल को क्वारंटीन सेंटर बनाया गया तब इसके जर्जर हालात सबके सामने आए हैं।
सरकार पहाड़ से पलायन रोकने के लिए हजार कोशिश कर चुकी है, लेकिन अब तक उसे सफलता नहीं मिली। अब कोरोनाकाल में लोग खुद रिवर्स पलायन कर पहाड़ों की तरफ लौट रहे हैं, लेकिन यहां की व्यवस्थाएं सरकारों, जनप्रतिनिधियों और शिक्षा महकमे का निकम्मापन उजागर कर रहा है।