• About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact
Uttarakhand Samachar
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
Uttarakhand Samachar

देशभक्ति का जज्बा स्वत: स्फूर्त लोगों के दिलों में हिलोरे मारने लगता है

August 24, 2021
in उत्तराखंड
Reading Time: 1min read
0
SHARES
467
VIEWS
Share on FacebookShare on WhatsAppShare on Twitter

डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला:

उत्तराखंड की भी भूमिका अहम रही थी। यह वह दौर है जब धार्मिक एवं सामाजिक विसंगतियों के कारण जनता बंटी हुई थी। आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती ने लोगों को एकजुट करने के लिए उत्तराखंड से ही राष्ट्रीय चेतना यात्रा की शुरुआत की थी। कालू महरा को उत्तराखंड का पहला स्वतंत्रता सेनानी होने का गौरव हासिल है। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ व्यापक आंदोलन चलाया था।उत्तराखंड में ईस्ट इंडिया कंपनी का आगमन 1815 में हुआ।

देखा जाए तो यहां अंग्रेजों का आगमन गोरखों के 25-वर्षीय सामंती शासन का अंत भी था। 1856 से 1884 तक उत्तराखंड तत्कालीन कमिश्नर हेनरी रैमजे के अधीन रहा। यह कालखंड ब्रिटिश सत्ता के शक्तिशाली होने का दौर माना जाता है। आजादी के आंदोलन में सालम क्षेत्र के क्रांतिवीरों का योगदान स्वर्णाक्षरों में दर्ज है। 25 अगस्त 1942 को आज ही के दिन आजादी की लड़ाई के दौरान जैंती के धामद्यो में ब्रिटिश हुकूमत से लोहा लेते हुए चौकुना गांव निवासी नर सिंह धानक और कांडे निवासी टीका सिंह कन्याल शहीद हो गए थे।ब्रिटिशों ने सालम के क्रांतिवीरों का मनोबल गिराने के लिए आजादी के नायक प्रताप सिंह बोरा, मर्चू राम, डिकर सिंह धानक, उत्तम सिंह बिष्ट, राम सिंह आजाद, केशर सिंह आदि क्रांतिकारियों को जेलों में ठूंस दिया था।

क्रांतिकारियों के गांव कांडे, थामथोली, मझाऊं, सैनोली, दाड़िमी, चौकुना, बरम, नौगांव आदि में महिलाओं, बच्चों को अनेक यातनाएं दी गई। इसके बावजूद क्रांतिकारियों में देश प्रेम का जज्बा कमजोर नहीं हुआ। गांव-गांव क्रांतिवीरों की सभाएं होने लगीं और आंदोलन तेज हो गया। 25 अगस्त 1942 को सालम के कई गांवों के क्रांतिकारी जैंती पहुंचे। आंदोलनकारियों और ब्रिटिश सेना के बीच झड़प हुई। इस झड़प के बाद नर सिंह धानक और टीका सिंह कन्याल ब्रिटिश सेना की गोली से शहीद हो गए।

आजादी के आंदोलन में सर्वस्व न्यौछावर करने वाले सालम के स्वतंत्रता सेनानियों के गांव आज भी बुनियादी समस्याओं से जूझ रहे हैं। नर सिंह धानक का गांव चौकुना, शिव दत्त पांडे का गांव दन्योली, प्रताप बोरा, लक्ष्मण सिंह बोरा का गांव दाड़िमी, दुर्गा सिंह कुटौला का गांव तड़ैनी, लीलाधर शर्मा का गांव बक्सवाड़ में कई बार सर्वे होने के बावजूद आज तक सड़क नहीं पहुंची है। स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के गांव के लोगों को आज भी सड़क के लिए चार पांच किमी की दूरी पैदल तय करनी पड़ती है। राम सिंह धौनी के गांव तल्ला बिनौला के लिए मोटर मार्ग का निर्माण कछुआ गति से चल रहा है। शहीद दिवस के दिन हर साल धामद्यो में अनेक नेता पहुंचते हैं।

विकास की घोषणाएं होती हैं लेकिन आज तक शहीदों के गांव बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। कुमाऊं के बड़े स्वतंत्रता आंदोलनों में शुमार सालम जनक्रांति की याद में शहीद रणबांकुरों को श्रद्धांजलि दी गई। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि सालम पट्टी वीरों की भूमि रही है। यहां के क्रांतिकारियों ने महात्मा गांधी के विचारों को न केवल आत्मसात किया बल्कि उनके संदेश को जन-जन तक पहुंचा गोरों के खिलाफ जो जंग छेड़ आजादी दिलाने में बड़ी भूमिका निभाई। पूर्व सीएम ने कहा, आज देश को स्वतंत्रता दिलाने वालों और उनके योगदान को भुलाने की कोशिश की जा रही है।

मगर जब तक महात्मा गांधी के विचार जिदा हैं, तब तक आजादी दिलाने वालों की याद भी जिदा रहेगी। उत्सव फिर सामने है। आजादी का उत्सव। खुशियां मनाने का उत्सव। योद्धाओं को सलाम करने का उत्सव जिनकी वजह से हम आज गुलामी से मुक्त हैं। जिनके बलिदान से हमें संवैधानिक व्यवस्था में जीने का अधिकार मिला है। उन्होंने अंग्रेजों से मोर्चा लिया। डटकर खड़े रहे और दिखा दिया कि हिंदुस्तानी कमजोर नहीं होते हैं। इस उत्सव में कुमाऊं की धरती का भी बड़ा योगदान है।

स्वतंत्रता के लिए छिड़े युद्ध की साक्षी रही इस जमीन ने उन योद्धाओं को जन्म दिया, जिनकी हिम्मत के आगे फिरंगियों को हार माननी पड़ी। देश छोड़ना पड़ा और तिरंगा शान से लहराया।स्वतंत्रता आंदोलन में कुमाऊं के करीब 1400 योद्धा (स्वतंत्रता सेनानी व आजाद हिंद फौज के सिपाही) ऐसे थे, जिन्होंने सौगंध खाई कि देश जब तक आजाद नहीं होगा, तब तक वे खुद भी चैन से नहीं बैठेंगे। इस सौगंध को उन्होंने पूरा किया। हर आंदोलन में पूरी शिद्दत से उतरे। लाठियां खाई, जेल गए।

जलालत सही, लेकिन फिर भी इरादों को नहीं बदला। कुमाऊं के इन योद्धाओं में से अब कुछ ही जीवित बचे हैं। जो जीवित हैं, उनका जोश आज भी वैसा ही दिखता है, जैसा गुलाम भारत को अंग्रेजों के चंगुल से छुड़ाते समय था। सबसे खास बात यह भी है कि कुमाऊं में आंदोलन की धार को देखते हुए, लोगों के भीतर आजादी के लिए उबल रही ज्वाला को देखते हुए खुद गांधी जी यहां आए थे। उन्होंने लोगों की हिम्मत को और बढ़ाया।

समय के साथ परिस्थितियां बेशक बदल गई हैं, लेकिन यादें आज भी जिंदा हैं। इस उत्सव के बहाने एक बार फिर उन योद्धाओं के बलिदान और आंदोलन का स्मरण कर उन्हें सैल्यूट करते हैं, जिन्होंने जान की परवाह न कर देश को आजाद कराया। गुस्साए आजादी के दीवानों ने 25 अगस्त को इन स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को छुड़ाने के लिए बिगुल फूंक दिया और धामदेव के टीले पर सैंकड़ों आजादी के दीवाने एकत्र हो गए। लेकिन यहां भी ब्रितानी हुकुमत ने लोगों को तितर बितर करने के लिए गोलियां चलाई।

जिसमें सालम के दो सपूत नर सिंह धानक और टीका सिंह कन्याल मौके पर ही शहीद हो गए थे। सालम को कुमाऊं मे क्रांति का सबसे बड़ा अग्रदूत माना जाता है। आज इतने सालों बाद सालम की क्रांति को लोग याद करते हैं तो देशभक्ति का जज्बा स्वत: स्फूर्त लोगों के दिलों में हिलोरे मारने लगता है। कुमाऊं के इन योद्धाओं में से अब कुछ ही जीवित बचे हैं। जो जीवित हैं, उनका जोश आज भी वैसा ही दिखता है, जैसा गुलाम भारत को अंग्रेजों के चंगुल से छुड़ाते समय था। सबसे खास बात यह भी है कि कुमाऊं में आंदोलन की धार को देखते हुए, लोगों के भीतर आजादी के लिए उबल रही ज्वाला को देखते हुए खुद गांधी जी यहां आए थे।

उन्होंने लोगों की हिम्मत को और बढ़ाया। समय के साथ परिस्थितियां बेशक बदल गई हैं, लेकिन यादें आज भी जिंदा हैं। आइए इस उत्सव के बहाने एक बार फिर उन योद्धाओं के बलिदान और आंदोलन का स्मरण कर उन्हें सैल्यूट करते हैं, जिन्होंने जान की परवाह न कर देश को आजाद कराया। आजादी के आंदोलन के ऐसे स्वर्णिम अध्याय हैं, जिन्होंने अंग्रेजों की चूलें हिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

ShareSendTweet
Previous Post

चन्द्र सिंह गढ़वाली भाबर मण्डल के बूथ सत्यापन अभियान मेरा बूथ सबसे मजबूत हो, कार्यशाला का आयोजन

Next Post

वाहन चालक के 164 पदों पर भर्ती, आनलाइन आवेदन मांगे

Related Posts

चमोली

विधायक भूपालराम राम टम्टा के नेतृत्व मे नगर पंचायत थराली,जीआईसी,जीजीआईसी थराली के छात्र-छात्राओं ने सफाई अभियान

September 30, 2023
103
चमोली

गोपेश्वर महाविद्यालय में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ प्रशिक्षण कार्यक्रम

September 30, 2023
24
पौड़ी गढ़वाल

एंटी ड्रग क्लब के तत्वावधान में नशा रोधी कार्यक्रम के अन्तर्गत शपथ दिलाई गई

September 30, 2023
8
पौड़ी गढ़वाल

जनपद के अलग-अलग स्थान पर साप्ताहिक स्वास्थ्य मेले का आयोजन

September 30, 2023
15
रुद्रप्रयाग

डेंगू रोकथाम के लिए नुक्कड़ नाटक के माध्यम दिया गया जरुरी उपाय करने का संदेश

September 30, 2023
81
चमोली

खोल दें माता खोल भवानी धार मे किवाड…, जैसे झोड़े,चाचरी के गायन से बीती रात देवराड़ा, तु़ंगेश्वर क्षेत्र गुंजायमान रहा

September 30, 2023
34

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Popular Stories

  • चार जिलों के जिलाधिकारी बदले गए

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • डोईवाला : पुलिस,पीएसी व आईआरबी के जवानों का आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण सम्पन्न

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • ऑपरेशन कामधेनु को सफल बनाये हेतु जनपद के अन्य विभागों से मांगा गया सहयोग

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  •  ढहते घर, गिरती दीवारें, दिलों में खौफ… जोशीमठ ही नहीं

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • विकासखंड देवाल क्षेत्र की होनहार छात्रा ज्योति बिष्ट ने किया उत्तराखंड का नाम रोशन

    0 shares
    Share 0 Tweet 0

Stay Connected

संपादक- शंकर सिंह भाटिया

पता- ग्राम एवं पोस्ट आफिस- नागल ज्वालापुर, डोईवाला, जनपद-देहरादून, पिन-248140

फ़ोन- 9837887384

ईमेल- shankar.bhatia25@gmail.com

 

Uttarakhand Samachar

उत्तराखंड समाचार डाॅट काम वेबसाइड 2015 से खासकर हिमालय क्षेत्र के समाचारों, सरोकारों को समर्पित एक समाचार पोर्टल है। इस पोर्टल के माध्यम से हम मध्य हिमालय क्षेत्र के गांवों, गाड़, गधेरों, शहरों, कस्बों और पर्यावरण की खबरों पर फोकस करते हैं। हमारी कोशिश है कि आपको इस वंचित क्षेत्र की छिपी हुई सूचनाएं पहुंचा सकें।
संपादक

Browse by Category

  • Bitcoin News
  • अल्मोड़ा
  • अवर्गीकृत
  • उत्तरकाशी
  • उत्तराखंड
  • उधमसिंह नगर
  • क्राइम
  • खेल
  • चमोली
  • चम्पावत
  • जॉब
  • टिहरी
  • दुनिया
  • देहरादून
  • नैनीताल
  • पर्यटन
  • पिथौरागढ़
  • पौड़ी गढ़वाल
  • बागेश्वर
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • रुद्रप्रयाग
  • वीडियो
  • संपादकीय
  • संस्कृति
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हरिद्वार
  • हेल्थ

Recent News

विधायक भूपालराम राम टम्टा के नेतृत्व मे नगर पंचायत थराली,जीआईसी,जीजीआईसी थराली के छात्र-छात्राओं ने सफाई अभियान

September 30, 2023

गोपेश्वर महाविद्यालय में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ प्रशिक्षण कार्यक्रम

September 30, 2023
  • About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.

No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.