अल्मोड़ा। भैसियाछाना बिकास खंड के ग्राम सभा लिगुडता के पतलचौरा गांव की प्रिंयंका बानी के सास हेमा, बानी व बड़ी सास लक्ष्मी बानी व आशा कार्यकर्ता संजू देवी प्रियंका बानी को निकटतम अस्पताल भैसियाछाना के लिए लेकर चले। पतलचौरा गांव से कनारीछीना की पैदल दूरी पांच किलोमीटर है। प्रियंका के परिवार जनों के द्बारा डोली के इंतजाम करके निकटतम अस्पताल भैसियाछाना जाने की तैयारी की गई थी, लेकिन कठिन रास्ता और डोली डोली लाने में देरी होने के कारण प्रियंका बानी ने आधे रास्ते में अपने शिशु को जन्म दे दिया। ईश्वर की कृपा है कि दोनों जच्चा-बच्चा कुशल से हैं।
इक्कीसवीं सदी की बात करने वाले नेता आज भी इस बात से शर्मसार नहीं होते कि सड़क के अभाव में पहाड़ की बहू बेटियों को रात के अंधेरे में बीच रास्ते में प्रसव करना पड़ रहा है। रीठागाडी दगड़ियों संघर्ष समिति ने कनारीछीना बिनूक पतलचौरा सड़क मार्ग के लिए लंबे समय से शासन.प्रशासन को गुहार लगाई। इस सड़क मार्ग के लिए गजट जारी व सर्वे होने के बाबजूद भूगर्भ विभाग की औपचरिकता पूरी होने पर भी अभी तक सड़क मार्ग नहीं बतना है। पतलचौरा गांव से गर्भवती महिलाओं को व बुजुर्ग-बीमार को कनारीछीना सड़क तक लाने में डोली या खच्चरों का सहरा लेना पड़ता है। उत्तराखंड राज्य बनने के बाबजूद सडक तो दूर की बात ठीक ढंग से रास्ता बनाना भी भूल गयी सरकार।
पतलचौरा गांव अनुसूचित जाति का गांव है। एक तरफ सरकार बोलती है हम अनुसूचित जाति के लिए हर चीज मुहिया करा रहे हैं, लेकिन इस गांव को उत्तराखंड राज्य बनने के बाबजूद भी ठीक ढंग से चलने के लिए रास्ता नसीब नहीं हुआ।