थराली/देवाल से हरेंद्र बिष्ट।
जहां एक ओर 2013 में आएं जल सैलाब के बाद प्रसिद्ध चार धामों में से दो धामों का राज्य सरकार के द्वारा केंद्र सरकार की मदद से अरबों रुपए खर्च कर पुनर्निर्माण का कार्य युद्ध स्तर पर किया जा रहा हैं। वही दूसरी ओर यहां के वासिदे आज भी इस त्रासदी के चलते अपनी जान गंवा रहे हैं। परंतु शासन, प्रशासन ग्रामीणों की दिक्कतों को दूर करने के लिए किसी भी स्तर पर गंभीर नही दिख रहा है।
बताते चलें कि 15 से 17 जून 2013 के बीच राज्य में आएं जल सैलाब से पूरा जनसमुदाय थरा गया था। किन्तु इस जल सैलाब का सर्वाधिक असर चमोली व रूद्रप्रयाग जिले में पड़ा था। इन जिलों में हजारों लोगों की दर्दनांक मौत के साथ ही अरबों-खरबों की सार्वजनिक एवं व्यक्तिगत संपत्तियों का नुकसान हुआ था। इस तबाही से केदारनाथ एवं बद्रीनाथ धाम को भी खासा नुकसान हुआ था। धार्मिक स्थल होने के चलते आपदा के तत्काल बाद से दोनों धामों का खरबों की लागत से पुनः निर्माण का कार्य युद्ध स्तर पर जारी हैं। किंतु इस आपदा से जख्मी यहां के मूल निवासियों के ज़ख्मों को भरने का अब तक प्रयास नही किए जाने से सामान्य जनमानस आहत हैं। एक तरह से उसके 2013 के जख्म अब उसके लिए नासूर बनते जा रहे हैं।
दरअसल 9 वर्ष पहले आई आपदा में पिंडर घाटी में भी भारी नुक़सान हुआ था।इस दौरान पिंडर, कैल एवं प्राणमती नदियों के साथ ही तमाम गंदेरो में बने दर्जनों पुल नदी,गदेरो की भेट चढ़ गए थे। इस में पिंडर नदी पर नारायणबगड़, चेपड़ो, ओड़र, बोरागा ड़, हरमल झूला पुल पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए थे वही अन्य झूला पुलों को भी खासा नुकसान हुआ था। इसके अलावा कैल नदी पर बने सुपलीगाड़ एवं प्राणमती पर डाड़रबगड़ पुल भी नदियों में समा गए थे। बीतते समय में जहां अन्य पुलों का नव निर्माण एवं मरम्मद का कार्य हों चुका हैं। वही आज तक भी देवाल के ओड़र, हरमल,सुपलीगाड़ एवं थराली के डाड़रबगड़ पुलों का निर्माण नही हों पाया है जिसके कारण जबतब इन पुलों के अभाव में दर्दनांक हादसे होते आ रहे हैं।
शुक्रवार को देवाल के हरमल गांव में झूला पुल के अभाव में नदी को आर-पार करने के लिए खतरनाक भेता लकड़ी के मोटे, मोटे लठो से सहारे पिंडर नदी को पार करते हुए रामपुर गांव की महिला व उसके बेटे के नदी में बह कर दर्दनांक मौत जैसे हादसें होते रहते हैं।
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हरमल हादसा शासन प्रशासन की खेरूखी का नतीजा है।2013 में झुला पुल बह गया। उसके बाद यहां पर नदी को आर-पार करने के लिए स्थापित इलैक्ट्रिक ट्राली 2021 में बह गई। बावजूद इसके गढ़वाल से कुमाऊं को जोड़ने वाले आधे दर्जन से अधिक गांवों के लिए हरमल में आपदा के 9 वर्ष गुजर जाने के बाद भी एक अदद पुल नही बन पाना सरकार की नाकामी को ही उजागर कर रही हैं। मृतकों के परिजनों को सरकार के द्वारा 50 लाख रुपए का मुआवजा अपनी सरकार की गलती पर देना चाहिए।
उर्मिला बिष्ट
पूर्व प्रमुख देवाल
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2013 की आपदा के बाद 2014 में हरमल में लोनिवि थराली के द्वारा इलैक्ट्रिक ट्राली लगाईं थी।2018 में इस ट्राली का एक अपटमेंट बह गया था।जिसकी मरम्मत के लिए धनराशि शासन से मिली थी।उसका निर्माण कार्य चल ही रहा था कि 2021 में इस का दूसरा अपटमेंट भी बह गया। विभाग ने साढ़े 12 लाख का स्टीमेट ट्राली के पुनर्निर्माण के लिए 2021 में भेज दिया था। धनराशि नही मिल पाने के कारण ट्राली स्थापित नही हों पाई हैं। जहां तक बहे़ झूला पुल के निर्माण की बात है तों 2013 की आपदा के बाद सरकार ने राज्य में बहे पुलों के स्थान पर नए पुलों के पुनर्निर्माण का जिम्मा विश्व बैंक के डीविजन को सौंपने की बात कही थी।
अजय काला
अधिशासी अभियंता
लोनिवि थराली
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